ओणम 2024: मलयाली समुदाय की पारंपरिक और सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव

घर ओणम 2024: मलयाली समुदाय की पारंपरिक और सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव

ओणम 2024: मलयाली समुदाय की पारंपरिक और सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव

16 सित॰ 2024

ओणम 2024: उत्सव की शुरुआत और महत्व

ओणम 2024 की शुरुआत 5 सितंबर से हुई और यह 15 सितंबर को थिरुवोणम के अवसर पर समाप्त होती है। यह 10 दिवसीय उत्सव केरल के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है और मलयाली समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है। इसे विशेषतः फसल के मौसम के स्वागत के रूप में मनाया जाता है और इसे राजा महाबली की वापसी की प्रसिद्ध कथा से भी जोड़ा जाता है।

पारंपरिक पुक्कलम और अन्य प्रमुख रस्में

ओणम के दौरान सबसे प्रमुख गतिविधियों में पुक्कलम की रचना शामिल है। पुक्कलम अद्वितीय फूलों की सजावट है जो कि प्रतिदिन विस्तार पाती है और इसके माध्यम से उत्सव के हर दिन को चिह्नित किया जाता है। इसके साथ-साथ, मलयाली घरों की दीवारों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है और इसके आसपास पारंपरिक नृत्य और गीतों की प्रस्तुति होती है।

पुली कली और सांस्कृतिक गतिविधियाँ

ओणम के दौरान पुली कली या बाघ नृत्य विशेष आकर्षण होता है और यह केरल के पारंपरिक नृत्यों में से एक है। नर्तक बाघ की तरह पेंटिंग कर, बाघ की हरकतें प्रदर्शित करते हैं। यह नृत्य देश और विदेश में काफी प्रसिद्ध है और इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक और स्थानीय लोग एकत्रित होते हैं। इस नृत्य के अलावा, ओणम के अवसर पर काठीकली और मोहिनीअट्टम जैसी पारंपरिक नृत्य शैलियाँ भी प्रस्तुत की जाती हैं।

ओनासद्या: भव्य भोजन समारोह

ओनासद्या ओणम का एक मुख्य आकर्षण है और यह एक शानदार भोजन समारोह होता है। इसे पारंपरिक तौर पर केले के पत्ते पर परोसा जाता है और इसमें अलग-अलग प्रकार के व्यंजन होते हैं। ओनासद्या में 26 से अधिक व्यंजन होते हैं, जिसमें सांभर, अवियल, थोरन, पचड़ी, और विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ शामिल होती हैं। यह भोजन पूरे परिवार के सदस्यों द्वारा एकत्र होकर तैयार किया जाता है और इसे सामूहिकता और एकता का प्रतीक माना जाता है।

एतिहासिक और सांस्कृतिक पहलू

ओणम का एतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत बड़ा है। यह त्योहार ऐसा समय होता है जब लोग अपनी साझी धरोहर, परंपरा, और संस्कृति को फिर से जीवंत करते हैं। ओणम के माध्यम से यह संदेश प्रसारित किया जाता है कि कोई भी व्यक्ति छोटा या महत्वहीन नहीं होता और यह संपूर्ण समुदाय की एकता और समृद्धि का प्रतीक है।

चुनौतियाँ और उत्सव की निरंतरता

समाज में विभिन्न चुनौतियों के बावजूद, ओणम का उत्सव हर साल उसी जोश और उमंग के साथ मनाया जाता है। मलयाली समाज द्वारा की गई यह पहल दर्शाती है कि चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों, सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण होता है।

ओणम 2024 के उत्सव में पूरे केरल में भव्य आयोजन किए गए। चाहे यह पारंपरिक खेलों का आयोजन हो या फिर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूमधाम, हर जगह एक खास ऊर्जा और उल्लास का अनुभव किया जा सकता है। यह त्योहार केरल की समृद्ध संस्कृति और विरासत को एक बार फिर से मनाने का अवसर होता है।

समाप्ति पर विशेष जोर: थिरुवोणम का महत्व

समाप्ति पर विशेष जोर: थिरुवोणम का महत्व

थिरुवोणम ओणम के 10 दिवसीय उत्सव का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन को विशेष महत्व दिया जाता है क्योंकि इसे राजा महाबली की वापसी के रूप में मनाया जाता है। लोग नए कपड़े पहनते हैं, घरों की साफ-सफाई और सजावट की जाती है, और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन की समाप्ति ओनासद्या के साथ होती है, जोकि सांस्कृतिक और सामूहिकता के भावना को उजागर करता है।

ओणम का यह उत्सव केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक पर्व नहीं है, बल्कि यह समाज की एकता, प्रेम और सद्भावना का प्रतीक है। ओणम 2024 के शुभ अवसर पर सभी मलयाली बंधुओं और बहनों को हार्दिक शुभकामनाएँ!

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