सौरव गांगुली: भारतीय क्रिकेट के 'दादा' का 52वां जन्मदिन

घर सौरव गांगुली: भारतीय क्रिकेट के 'दादा' का 52वां जन्मदिन

सौरव गांगुली: भारतीय क्रिकेट के 'दादा' का 52वां जन्मदिन

8 जुल॰ 2024

在 : Sharmila PK खेल टिप्पणि: 13

सौरव गांगुली का क्रिकेट करियर: एक नजर

भारतीय क्रिकेट में सौरव गांगुली का नाम सुनते ही सबसे पहले उनके अद्वितीय कप्तानी के अंदाज और बेजोड़ खेल की यादें आती हैं। 'दादा' के नाम से मशहूर सौरव गांगुली ने भारतीय क्रिकेट को एक नया मोड़ दिया। उनके नेतृत्व में टीम ने न केवल जीत दर्ज की बल्कि भारतीय क्रिकेट को एक नई पहचान भी मिली।

टेस्ट डेब्यू से कप्तानी तक

1996 में लॉर्ड्स में अपने टेस्ट डेब्यू पर शतक जड़ने वाले गांगुली ने अपने खेल से सभी को हैरान कर दिया। उस समय भारतीय क्रिकेट में कई उतार-चढ़ाव चल रहे थे, और गांगुली का यह शतक टीम के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। चार साल बाद, वर्ष 2000 में जब भारतीय क्रिकेट मैच फिक्सिंग कांड से उबरने की कोशिश कर रहा था, तब गांगुली ने कप्तानी संभाली।

कप्तान के रूप में गांगुली ने टीम में नए और युवा खिलाड़ियों को मौका दिया। युवराज सिंह, हरभजन सिंह, जहीर खान और वीरेंद्र सहवाग जैसे युवा खिलाड़ी उनकी कप्तानी के दौरान उभरे और भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। यह उनका दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास ही था जिसने टीम को संकट के दौर से निकालकर सफलता की राह पर लाया।

मशहूर जीतें और ऐतिहासिक लम्हे

सौरव गांगुली की कप्तानी के दौरान भारतीय क्रिकेट को कई महान जीतें मिलीं। 2000 में आईसीसी नॉकआउट ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचना, 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2-1 से बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीतना, 2002 में नार्वेस्ट ट्रॉफी के फाइनल में इंग्लैंड को हराना, ये सभी उनके नेतृत्व की बेहतरीन मिसाल हैं। खासकर लॉर्ड्स के बालकनी पर शर्ट उतारकर जश्न मनाने का वो ऐतिहासिक लम्हा, जब भारत ने इंग्लैंड को हराकर वापसी की थी, आज भी क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में जिंदा है।

2003 वर्ल्ड कप और चुनौतियाँ

चुनौतियों के बीच भारतीय टीम को 2003 के विश्व कप के फाइनल में ले जाना गांगुली की बड़ी उपलब्धि थी। हालांकि, फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हारने के बावजूद, इस टूर्नामेंट ने भारतीय क्रिकेटरों के मनोबल को बढ़ाने का काम किया। गांगुली की कप्तानी में टीम ने जो संघर्ष और खेल की भावना दिखाई, वह वास्तव में काबिले तारीफ थी।

ग्रेग चैपल विवाद और वापसी

2005-06 के दौरान गांगुली को उनके करियर में एक बड़ा झटका लगा जब तत्कालीन कोच ग्रेग चैपल के साथ उनके संबंध खराब हो गए और उन्हें भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया। यह समय गांगुली के लिए काफी कठिन था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अपनी मेहनत और दृढ़ता से वे टीम में वापसी करने में सफल रहे और 2008 में अपने आखिरी टेस्ट तक भारतीय क्रिकेट का अहम् हिस्सा बने रहे।

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास और आईपीएल

2008 में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भी गांगुली का क्रिकेट से जुड़ाव खत्म नहीं हुआ। वे 2012 तक इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में खेलने का सिलसिला जारी रखे। अपने लंबे करियर में उन्होंने 113 टेस्ट और 311 एकदिवसीय मैच खेले, जिसमें उन्होंने कुल 18,575 रन बनाए।

प्रशासनिक भूमिका और बीसीसीआई अध्यक्ष पद

खेल के मैदान के बाद, गांगुली ने प्रशासनिक जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाया। पहले उन्होंने बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन (सीएबी) के अध्यक्ष का पद संभाला और फिर बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया (बीसीसीआई) के अध्यक्ष बने। उनकी प्रशासनिक क्षमता और नेतृत्व कौशल ने भारतीय क्रिकेट को न केवल खेल बल्कि प्रशासनिक स्तर पर भी मजबूत किया।

आज, सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट के एक महानायक के रूप में माने जाते हैं। उनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने न केवल जीत दर्ज की बल्कि संघर्ष और आत्मविश्वास का नया अध्याय लिखा। उनके जन्मदिन पर उन्हें याद करना और उनके योगदान को सम्मान देना हमारे लिए गर्व की बात है।

टिप्पणि
Aniket Jadhav
Aniket Jadhav
जुल॰ 9 2024

दादा के शतक ने तो मेरे दादाजी को भी रो दिया था लॉर्ड्स में। अब तक याद आता है उनका वो अंदाज।

Renu Madasseri
Renu Madasseri
जुल॰ 10 2024

गांगुली ने बस खेल नहीं बदला, भारतीय क्रिकेट की पहचान बदल दी। युवराज, हरभजन, वीरू सब उनके बिना अधूरे थे। उनकी नेतृत्व शैली आज भी मॉडल है।

Sahaj Meet
Sahaj Meet
जुल॰ 10 2024

मैंने तो लॉर्ड्स के बालकनी पर शर्ट उतारने का वीडियो अभी तक रखा है। उस दिन मैंने सोचा था, अब हम दुनिया के सामने खड़े हैं। दादा के बिना ये लम्हा अधूरा रहता।

Kajal Mathur
Kajal Mathur
जुल॰ 10 2024

मैं तो इस लेख के शैली और भाषा को बहुत अच्छा पाती हूँ। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गांगुली के बाद भारतीय क्रिकेट ने वास्तविक नेतृत्व की कमी महसूस की? उनका अनुकरण अभी तक किसी ने नहीं किया।

rudraksh vashist
rudraksh vashist
जुल॰ 11 2024

चैपल के साथ वो झगड़ा तो दिल तोड़ देने वाला था। पर दादा ने बस अपना काम किया। वापसी का वो मैच, जब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दो शतक लगाए, वो तो फिल्मी सीन लग रहा था।

Antara Anandita
Antara Anandita
जुल॰ 13 2024

आईपीएल में उनका नेतृत्व भी अद्भुत था। बंगाल के लिए जो टीम बनाई, वो एक आदर्श थी। उन्होंने बस खिलाड़ियों को नहीं, उनकी आत्मा को भी खेलने दिया।

Guru Singh
Guru Singh
जुल॰ 14 2024

2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत के बाद जब उन्होंने बल्ले को उठाकर नमन किया, तो मैंने समझ लिया कि ये आदमी क्रिकेट को धर्म की तरह मानता है।

Madhav Garg
Madhav Garg
जुल॰ 16 2024

दादा के बाद कोई भी कप्तान उनकी तरह नहीं बन सकता। उनकी आत्मविश्वास की बात तो बहुत सुनी है, लेकिन उनकी शांति और धैर्य का जादू किसी ने नहीं देखा।

Sumeer Sodhi
Sumeer Sodhi
जुल॰ 16 2024

अब तो बीसीसीआई में भी वही चल रहा है जो उनके कप्तानी के दौर में था-भागीदारी की जगह राजनीति। दादा ने जो बनाया, वो बर्बाद हो रहा है।

Archana Dhyani
Archana Dhyani
जुल॰ 18 2024

मुझे तो लगता है कि गांगुली के बाद कोई भी कप्तान असली नहीं है। जब तक आप लॉर्ड्स के बालकनी पर शर्ट उतारकर जश्न मनाने की हिम्मत नहीं रखते, तब तक आप कप्तान नहीं हो सकते। ये सिर्फ रन नहीं, ये एक भावना है। आज के खिलाड़ी तो टीम से डरते हैं, दादा तो दुनिया को डराते थे।

Sai Teja Pathivada
Sai Teja Pathivada
जुल॰ 19 2024

ये सब तो ठीक है, पर क्या आपने कभी सोचा कि गांगुली के खिलाफ जो साजिश हुई, वो बीसीसीआई के अंदर के लोगों की थी? ग्रेग चैपल तो बस एक बेकार का बैग था। उनके खिलाफ आरोप झूठे थे, बस इतना ही।

Vinay Dahiya
Vinay Dahiya
जुल॰ 20 2024

क्या आप जानते हैं, गांगुली ने जो शतक लॉर्ड्स में लगाया, वो असल में उनके पिता के लिए था? उनके पिता ने उन्हें वहां ले जाने के लिए अपनी बेटी की शादी का पैसा बेच दिया था। ये सब तो बस बाहरी बातें हैं।

Anoop Joseph
Anoop Joseph
जुल॰ 22 2024

दादा के लिए एक शब्द: अद्वितीय।

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