कोलकाता के ईडन गार्डन्स में हुए पहले टेस्ट में भारत की 30 रनों से हार के बाद एक ऐसी आवाज़ उठी, जिसने देशभर में चर्चा का माहौल बना दिया। मनोज तिवारी, जो एक समय के भारतीय ओडीआई खिलाड़ी और अब पश्चिम बंगाल के उपमुख्यमंत्री हैं, ने गौतम गंभीर के टीम चयन के तरीके को सीधे तौर पर आलोचित किया। उन्होंने साई सुधर्शन को नंबर 3 पर बरकरार रखने की मांग की, कहते हुए: "साई सुधर्शन तो नंबर 3 पर अच्छी टच में था, आपको उस पर ज्यादा भरोसा करना चाहिए था। मुझे लगता है वह सफल हो जाता।" यह बयान 21 नवंबर, 2025 को भारत टुडे के साथ एक साक्षात्कार में दिया गया, जिसमें तिवारी ने गंभीर के नेतृत्व के तहत टीम के लगातार बदलते चयन को अस्थिर बताया।
क्यों नंबर 3 पर सुधर्शन की जगह सुंदर को बुलाया गया?
भारत ने पहले टेस्ट में 124 रनों का पीछा करते हुए सिर्फ 93 रन बनाए — एक ऐसी पिच जहां स्पिन बॉलर्स को बहुत फायदा हुआ। लेकिन जब सवाल आया कि नंबर 3 पर कौन बल्लेबाज़ होना चाहिए, तो गंभीर ने बल्लेबाज़ी के लिए अनुभवहीन वाशिंगटन सुंदर को बुलाया। तिवारी ने इस फैसले को अजीब बताया: "सुंदर दोनों पारियों में अच्छी शुरुआत कर गए, लेकिन ये शुरुआतें टीम के लिए कोई असर नहीं छोड़ पाईं।" उनका तर्क है कि सुधर्शन ने डोमेस्टिक क्रिकेट में लगातार रन बनाए हैं, और उन्हें एक बार चुनने के बाद तुरंत बाहर करना टीम के विश्वास को तोड़ रहा है।
गंभीर का चयन का नमूना: एक बार आया, फिर गायब
तिवारी ने गंभीर के चयन के तरीके को एक बार का अनुभव बताया। उन्होंने बताया कि सुधर्शन को पहले टेस्ट में चुना गया, लेकिन एक खेल के बाद ही उन्हें बाहर कर दिया गया, और उनकी जगह करुण नायर को नंबर 3 पर बुलाया गया। इसी तरह, हर्षित राणा को ऑस्ट्रेलिया में डेब्यू दिया गया, और फिर उन्हें तुरंत बाहर कर दिया गया। इसी सीरीज़ से पहले, अंशुल कम्बोज को मैनचेस्टर में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट में डेब्यू दिया गया। तिवारी कहते हैं, "गंभीर के आने के बाद से ये नमूना दोहराया जा रहा है — जो अच्छा नहीं खेलता, उसे बाहर कर दो, और नए आदमी को बुला लो।"
"कोच का काम गलतियाँ बताना नहीं, सिखाना है"
तिवारी ने गंभीर के खिलाफ एक और गंभीर आरोप लगाया: खिलाड़ियों की तकनीक को खेल के बाद दोष देना। उन्होंने कहा, "जब आप खेल खो जाते हैं, तो खिलाड़ियों की बल्लेबाज़ी की तकनीक को दोष नहीं देना चाहिए। आपका काम तो ये है कि उन्हें खेल से पहले ही सिखा दें।" उन्होंने याद दिलाया कि गंभीर खुद एक शानदार स्पिन बल्लेबाज़ थे, और उन्हें भारतीय पिचों पर स्पिन के खिलाफ खेलने का तरीका जानना चाहिए। उनका सवाल है: अगर बल्लेबाज़ों की डिफेंस कमजोर थी, तो उन्हें टेस्ट से पहले क्यों तैयार नहीं किया गया?"
कुलदीप यादव का अनुपस्थिति: एक रहस्य
तिवारी ने टीम में कुलदीप यादव के अनुपस्थित होने को "सबसे अजीब फैसला" बताया। उन्होंने याद दिलाया कि कुलदीप ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेंदबाज़ी के जरिए मैच जीते हैं। उनका कहना है कि एक ऐसी पिच जहां स्पिन ने खेल बदल दिया, वहां कुलदीप को न रखना असमझदारी है। उन्होंने कहा, "कुलदीप एक मैच-विनर है। उसे न रखने का कोई तर्क नहीं है।"
"ट्रांजिशन फेज" का बहाना: एक झूठ?
भारतीय क्रिकेट के लिए चल रहे "ट्रांजिशन फेज" के बहाने को तिवारी ने सीधे झूठ बताया। उन्होंने कहा, "हमें ट्रांजिशन की जरूरत नहीं है। न्यूजीलैंड या जिम्बाब्वे को शायद चाहिए, लेकिन हमें नहीं। हमारे डोमेस्टिक क्रिकेट में इतने तालमेल भरे खिलाड़ी हैं कि उन्हें बुलाने के लिए बस एक अवसर की जरूरत है।" उन्होंने यह भी कहा कि इस बहाने ने विराट कोहली और रोहित शर्मा को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के लिए दबाव डाला। दोनों खिलाड़ी खेलना चाहते थे, लेकिन इस "ट्रांजिशन" की बात सुनकर उन्हें लगा कि उनकी जगह बन चुकी है।
भारत के लिए अगला चरण: गुवाहाटी में रिवर्सल की उम्मीद
दूसरा टेस्ट 22 नवंबर, 2025 को गुवाहाटी के बरसपारा स्टेडियम में शुरू हो रहा है। भारत को यहां जीत की जरूरत है — नहीं तो श्रृंखला में नुकसान हो जाएगा। तिवारी का कहना है कि अगर गंभीर ने सुधर्शन को नंबर 3 पर रखा, कुलदीप को टीम में शामिल किया, और खिलाड़ियों को बार-बार बदलने की बजाय उन पर भरोसा किया, तो यह मैच बिल्कुल अलग तरह से खेला जा सकता था।
गौतम गंभीर: खिलाड़ी से कोच बनने का अनुभव
गंभीर ने 2021 से 2025 तक बीसीसीआई के पूर्व कोच राहुल द्रविड़ के बाद भारतीय टेस्ट टीम का कोच बना। लेकिन उनके पास कोचिंग का कोई प्रत्यक्ष अनुभव नहीं है। उन्होंने कलकत्ता किंग्स राइडर्स के मेंटर के रूप में आईपीएल 2024 का खिताब जीता, लेकिन टेस्ट क्रिकेट की गहराई और लंबी अवधि के लिए अलग दृष्टिकोण चाहिए। तिवारी का मानना है कि खिलाड़ी के रूप में सफलता कोच के रूप में सफलता का गारंटी नहीं है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्यों मनोज तिवारी ने साई सुधर्शन को बरकरार रखने की मांग की?
मनोज तिवारी का कहना है कि साई सुधर्शन ने डोमेस्टिक क्रिकेट में लगातार रन बनाए हैं और टेस्ट टीम के लिए नंबर 3 पर उपयुक्त विकल्प थे। उन्हें पहले टेस्ट में चुना गया था, लेकिन एक खेल के बाद ही बाहर कर दिया गया, जबकि वाशिंगटन सुंदर जैसे गेंदबाज़ को बल्लेबाज़ी के लिए बुलाया गया — जिसका असर नहीं पड़ा। तिवारी का मानना है कि निरंतरता और विश्वास बिना टीम नहीं बनती।
गौतम गंभीर के चयन तरीके में क्या समस्या है?
तिवारी के अनुसार, गंभीर लगातार अनुभवहीन खिलाड़ियों को डेब्यू दे रहे हैं और जिन्होंने एक बार खेला है, उन्हें तुरंत बाहर कर दे रहे हैं। यह नीति टीम की स्थिरता को नुकसान पहुंचा रही है। उदाहरण के लिए, सुधर्शन, हर्षित राणा और अंशुल कम्बोज को एक बार चुना गया, लेकिन उन्हें फिर से नहीं चुना गया। ऐसा करने से खिलाड़ियों का आत्मविश्वास टूट रहा है।
कुलदीप यादव को टीम में क्यों नहीं रखा गया?
कुलदीप यादव भारतीय टेस्ट टीम के लिए एक प्रमुख स्पिन बॉलर हैं, जिन्होंने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े मैच जीते हैं। ईडन गार्डन्स की पिच पर उनकी गेंदबाज़ी का बहुत फायदा हो सकता था। तिवारी का कहना है कि उन्हें न रखना एक बड़ी गलती है, क्योंकि टीम के लिए एक ऐसा गेंदबाज़ जिसे पिच के अनुसार बदला जा सके, बहुत जरूरी है।
"ट्रांजिशन फेज" का बहाना क्यों गलत है?
तिवारी का मानना है कि भारत के पास डोमेस्टिक क्रिकेट में इतने अच्छे खिलाड़ी हैं कि ट्रांजिशन की जरूरत नहीं है। इस बहाने का इस्तेमाल विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे अनुभवी खिलाड़ियों को टेस्ट से संन्यास लेने के लिए दबाव डालने के लिए किया गया। वास्तव में दोनों खिलाड़ी खेलना चाहते थे, लेकिन उन्हें लगा कि उनकी जगह बन चुकी है।
क्या गौतम गंभीर के पास कोचिंग का अनुभव है?
नहीं, गंभीर के पास कोचिंग का कोई प्रत्यक्ष अनुभव नहीं है। वे एक शानदार खिलाड़ी थे और कलकत्ता किंग्स राइडर्स के मेंटर के रूप में आईपीएल जीते, लेकिन टेस्ट क्रिकेट की लंबी अवधि, रणनीति और खिलाड़ियों के मानसिक दबाव को समझने के लिए अलग क्षमताएं चाहिए। तिवारी का कहना है कि खिलाड़ी के रूप में सफलता कोच के रूप में सफलता का गारंटी नहीं है।
भारत के लिए अगले टेस्ट का महत्व क्या है?
दूसरा टेस्ट गुवाहाटी में 22 नवंबर को शुरू हो रहा है। अगर भारत यहां हार जाता है, तो श्रृंखला में 0-2 से नुकसान हो जाएगा, जो बहुत बड़ी चुनौती होगी। अगर वे जीत जाते हैं, तो श्रृंखला बराबर हो जाएगी और मनोबल बना रहेगा। तिवारी का कहना है कि अगर गंभीर ने अपनी गलतियों को सुधारा, तो यह मैच जीतना संभव है।