राजस्थान की राजनीति में एक बड़ा upheaval उत्पन्न हुआ है। राजस्थान भाजपा के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मीणा ने कृषि, ग्रामीण विकास, आपदा प्रबंधन और राहत विभागों का कार्यभार संभाला था। उनका इस्तीफा विशेष तौर पर हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा की हार पर आधारित है, खासकर दौसा सीट पर, जो कि मीणा के प्रभाव क्षेत्र में आती है।
मीणा ने इस्तीफा देने के पीछे नैतिक और राजनीतिक प्रतिबद्धता का हवाला दिया। उन्होंने पहले ही ऐलान कर दिया था कि अगर उनकी पार्टी दौसा सीट हारती है तो वे अपने मंत्री पद से इस्तीफा देंगे। दौसा सीट पर भाजपा की हार के बाद, मीणा ने अपनी घोषणा के मुताबिक अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को सौंप दिया।
मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने मीणा का इस्तीफा अभी तक मंजूर नहीं किया है। उन्होंने मीणा के सम्मानपूर्ण इस्तीफे को अस्वीकार कर दिया और मीणा से अपने पद पर बने रहने का अनुरोध किया। लेकिन मीणा ने अपने संकल्प पर अड़े रहने की बात कही और अपने इस्तीफे को अंतिम रूप देने की मांग की। इससे साफ हो गया कि मीणा जनता और अपने वादे को कितना महत्व देते हैं।
मीणा ने भी यह स्पष्ट किया कि वे अपने इस्तीफे की अनिवार्यता और इसके पीछे के कारणों को समझाने के लिए दिल्ली जाएंगे और पार्टी के हाई कमान से मुलाकात करेंगे। उनका कहना था कि वे किसी भी तरह की असंतोष या नाराजगी के चलते इस्तीफा नहीं दे रहे हैं, बल्कि यह उनका नैतिक कर्तव्य है।
मीणा ने अपने इस्तीफा देने के समय रामचरितमानस का उद्धरण भी दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि वे अपने वादे से पीछे नहीं हटेंगे। यह उदाहरण उन्होंने इस सिद्धांत को दर्शाने के लिए दिया कि उन्होंने जो जनता से वादा किया है, उसे वे हर हाल में पूरा करेंगे।
मीणा का इस्तीफा भाजपा के भीतर उत्साहजनक चर्चाओं का विषय बन गया है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच इस पर मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली है। कुछ इसे पार्टी के प्रति लॉयल्टी के तौर पर देख रहे हैं, जबकि कुछ इसे राजनीतिक दबाव मान रहे हैं।
इस पूरे घटनाक्रम ने राजस्थान की राजनीति में हलचल मचा दी है और यह देखना रोचक होगा कि आगामी दिनों में भाजपा इस स्थिति को कैसे संभालती है।
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