स्टार्टअप्स और निवेशकों के लिए स्वर्गीय टैक्स की समाप्ति: एक बहुप्रतीक्षित राहत

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स्टार्टअप्स और निवेशकों के लिए स्वर्गीय टैक्स की समाप्ति: एक बहुप्रतीक्षित राहत

23 जुल॰ 2024

स्टार्टअप्स के लिए एंजल टैक्स की समाप्ति

भारत सरकार ने आखिरकार उन स्टार्टअप्स और निवेशकों के लिए एक बड़ी राहत की घोषणा की है जो 'एंजल टैक्स' के कारण लंबे समय से संकट में थे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024 के केंद्रीय बजट में इस टैक्स को समाप्त करने की घोषणा की है। यह कदम स्टार्टअप्स के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे उनके लिए पूंजी जुटाना आसान हो जाएगा और निवेशकों के लिए भी एक सकारात्मक संकेत मिलेगा।

एंजल टैक्स का इतिहास

एंजल टैक्स की शुरुआत 2012 के केंद्रीय बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा की गई थी। इसका औपचारिक नाम धारा 56(2)(vii b) था और इसका उद्देश्य स्टार्टअप्स में निवेश के माध्यम से धनशोधन को रोकना था। इस टैक्स के तहत, जब स्टार्टअप्स के मूल्यांकन से अधिक निवेश प्राप्त होता था, तो उस पर टैक्स लगाया जाता था।

यद्यपि इसका उद्देश्य नेक था, लेकिन इसका कार्यान्वयन स्टार्टअप्स के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया था। एक स्टार्टअप के उचित बाजार मूल्य का निर्धारण करना कठिन होता है और टैक्स अधिकारी अक्सर ऐसे तरीके अपनाते थे जो उनके पक्ष में होते थे। इससे स्टार्टअप्स को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।

स्टार्टअप्स पर इसका प्रभाव

कई स्टार्टअप्स ने इस टैक्स को अन्यायपूर्ण बताया। विशेष रूप से, छोटे और मध्यम स्टार्टअप्स को इस टैक्स के कारण पूंजी जुटाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 73 प्रतिशत से अधिक स्टार्टअप्स, जिन्होंने 50 लाख रुपये से 2 करोड़ रुपये तक की पूंजी जुटाई थी, को आयकर विभाग से नोटिस मिला था।

यह टैक्स पहले केवल निवासियों द्वारा किए जाने वाले निवेश पर लागू होता था, लेकिन बाद में इसे विदेशी निवेशकों पर भी लागू कर दिया गया। हालांकि, DPIIT-पंजीकृत स्टार्टअप्स को इंटर-मिनिस्टेरियल बोर्ड (IMB) द्वारा प्रमाणित किया गया था, उन्हें इस टैक्स से छूट मिली, लेकिन इसके बावजूद स्टार्टअप्स को समस्याओं का सामना करना पड़ा।

आगे की राह

यह घोषणा स्टार्टअप्स के लिए एक नई राह खोलती है। निवेशकों के लिए भी यह एक सकारात्मक संदेश है, क्योंकि वे अब बिना किसी अतिरिक्त टैक्स बोझ के स्टार्टअप्स में निवेश कर सकेंगे। इससे स्टार्टअप इकोसिस्टम में निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और भारतीय स्टार्टअप्स को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी। अब स्टार्टअप्स का ध्यान अपने उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता और नवाचार पर केंद्रित होगा, बिना इस बात की चिंता किए कि उन्हें एंजल टैक्स का सामना करना पड़ेगा।

निष्कर्ष

एंजल टैक्स की समाप्ति भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए बहुत बड़ा कदम है। इससे न केवल स्टार्टअप्स को राहत मिलेगी, बल्कि निवेशकों के विश्वास में भी वृद्धि होगी। इससे भारतीय स्टार्टअप्स को अपनी संभावनाओं को पूरी तरह से साकार करने का मौका मिलेगा और भी मजबूत और स्थिर भविष्य की ओर अग्रसर होने का मार्ग प्रशस्त होगा।

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