आईपीओ की पूरी गाइड – शुरुआती से प्रो तक

अगर आप शेयर मार्केट में नई हों या पहले से थोड़ा-बहुत ट्रेड कर रहे हों, तो ‘आईपीओ’ शब्द अक्सर सुनते होंगे। लेकिन अक्सर लोग इसे समझे बिना ही ट्रेडिंग में कूद पड़ते हैं। तो चलिए, बिना जटिल तकिये के, सरल भाषा में बुझाते हैं कि आईपीओ क्या है, इसमें कैसे भाग लें और 2025 की कुछ हाई-प्रोफ़ाइल ऑफरिंग्स कौन सी हैं।

आईपीओ कैसे काम करता है?

आईपीओ का पूरा फॉर्म है Initial Public Offering, यानी कंपनी पहली बार अपने शेयर पब्लिक को बेच रही है। कंपनी को पूँजी चाहिए – नया प्रोडक्ट लॉन्च करना हो, फैक्ट्री बनानी हो या देनदारी घटानी हो। इसलिए वह शेयर मार्केट में अपना इक्विटी बेचकर फंड जुटाती है।

सबसें पहले कंपनी अपने आकार, प्रोफ़िट, फ्यूचर प्लान आदि की जानकारी डीटीएफ (डेटा फ़ॉर्म) में डालती है। फिर बैंकर (इंडियन डिमोक्रेट्स) इस दस्तावेज़ को SEBI (सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड) को जमा करता है। मंज़ूरी मिलते ही ‘ऑफ़रिंग डेट’ तय हो जाता है। इस दिन निवेशक ब्रोकर के माध्यम से शेयर बुक कर सकते हैं।

बॉन्डिंग के बाद शेयर ‘नीशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)’ या ‘बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE)’ में लिस्ट हो जाते हैं। लिस्टिंग के बाद आप किसी भी ट्रेडिंग दिन में इसे खरीद‑बेचा सकते हैं, ठीक एसी ही तरह जैसे आप अन्य लिस्टेड शेयर ट्रेड करते हैं।

2025 के टॉप आईपीओ और निवेश के टिप्स

2025 में कई बड़ी कंपनियों ने या करेंगे अपना आई.पी.ओ. कुछ सामने वाले बॉलकों में हैं:

  • डिजिटल हेल्थ टेक – टेली‑हेल्थ और AI‑बेस्ड डायग्नोस्टिक प्लेटफ़ॉर्म, जो कोविड‑पॉस्ट महामारी में बहुत धूम मचा रहा है।
  • ई‑कॉमर्स लॉजिस्टिक प्लेटफ़ॉर्म – भारत में डिलीवरी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर फोकस, 5‑जिला तक सेवा विस्तार का प्लान।
  • नवीनीकृत ऊर्जा (रीन्यूएबल एनर्जी) – सोलर पैनल मैन्युफैक्चरिंग और सस्टेनेबिलिटी सेवाओं में नया खिलाड़ी।
  • फ़िनटेक भुगतान ऐप – UPI‑पर‑बेस्ड पेमेंट गेटवे, बड़े निवेशकों का ध्यान खींचा।

इनकी एंट्री को देखते हुए, यहाँ कुछ प्रैक्टिकल टिप्स हैं:

  1. फायनेंशियल हेल्थ देखें: कंपनी के प्रॉफिट, डेब्ट‑टू‑इक्विटी, और कैश‑फ़्लो स्टेटमेंट को समझें। अगर प्रॉफिट लगातार बढ़ रहा है, तो जोखिम कम रहता है।
  2. मेंडेटरी डिस्क्लोजर पढ़ें: डीटीएफ में जोखिम फैक्टर्स, प्रतियोगी परिदृश्य और रेग्युलेटरी इश्यूज़ लिखा होता है। इसे स्किप मत करें – अक्सर यहाँ ही झूठे आशावाद का पर्दाफ़ाश होता है।
  3. बँडिंग प्राइस और ओवरसॉबस्क्राइब्ड एंटिटी (ओएसए) देखें: अगर IPO बहुत ज़्यादा ओवर‑सब्सक्राइब्ड है, तो प्राइसिंग अक्सर हाई हो सकता है। पहले थोड़ा कम बँडिंग करके देखें, फिर धीरे‑धीरे एंट्री रखें।
  4. लॉकर‑टाइम इनवेस्टमेंट: पहली दो‑तीन ट्रेडिंग दिवस में शेयर की वैल्यू अक्सर जंप करती है। अगर आप लाँग‑टर्म होल्डर बनना चाहते हैं, तो IPO के बाद 1‑2 हफ्ते तक रुक कर देखेँ कि स्टॉक कैसे स्टेबल हो रहा है।
  5. डाइवर्सिफ़ाइड पोर्टफ़ोलियो रखें: सिर्फ एक या दो IPO में नहीं, कई सेक्टर के IPO में छोटी‑छोटी रकम लगाएँ। इससे रिस्क कम होगा और अगर एक में नुकसान हुआ तो बाकी कवर कर पाएँगे।

एक और चीज़ याद रखें – शेयर मार्केट में कोई गारंटी नहीं है। अगर आपको लगता है कि कंपनी का बिज़नेस मॉडल टिकाऊ है, तो IPO एक अच्छा एंट्री पॉइंट हो सकता है। लेकिन अगर प्रॉस्पेक्टस में बहुत सारे अटकलें या अनसॉल्व्ड लीगल इश्यूज हैं, तो थोड़ा बैक ऑफ़ हो जाएँ।

अंत में, अपने ब्रोकर के साथ अच्छे रिलेशन की अहमियत न भूलें। कई बार ब्रोकर आपको प्री‑इनफ़ॉर्म्ड बुकिंग, टेलर‑मेडेड प्लान या इंटेलिजेंट रिस्क मैनेजमेंट की सलाह दे सकते हैं। उनकी मदद से आप न सिर्फ शेयर खरीदेंगे, बल्कि मार्केट की बू को भी समझेंगे।

तो, जब अगली बार कोई बड़ा IPO आए, तो इस गाइड को याद रखें, डिटेल पढ़ें, और अपने पोर्टफ़ोलियो को स्मार्ट तरीके से बढ़ाएँ। शुभ निवेश!

ओला इलेक्ट्रिक का आईपीओ: जानिए 10 महत्वपूर्ण बातें
  • Sharmila PK
  • दिनांक चढ़ा हुआ 30 जुल॰ 2024

ओला इलेक्ट्रिक का आईपीओ: जानिए 10 महत्वपूर्ण बातें

ओला इलेक्ट्रिक, ओला की इलेक्ट्रिक वाहन शाखा, जल्द ही अपने प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) की घोषणा करने वाली है। यहाँ आईपीओ के बारे में दस महत्वपूर्ण बातें दी गई हैं जिन्हें जानना आपके लिए आवश्यक है।