बच्चों की मौत का दुख हर परिवार में गहरा असर डालता है। अक्सर हम सोचते हैं कि यह सिर्फ ‘भग्य’ है, पर असल में कई बार बचाव योग्य कारण होते हैं। अगर आप जानेंगे कि किन चीज़ों से जोखिम बढ़ता है, तो आप अपने बच्चे को सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं। नीचे हम मुख्य कारण और सरल रोकथाम के कदमों पर बात करेंगे।
1. संक्रमण और बुखार – बहुत छोटे बच्चों में बुखार कुछ घंटों में गंभीर हो सकता है। टाइफाइड, निमोनिया, दस्त आदि संक्रमण अक्सर इलाज में देर होने से मौत का कारण बनते हैं।
2. पोषण की कमी – सही समय पर सही पोषक तत्व न मिलने से बच्चा कमजोर हो जाता है। कुपोषण का असर प्रतिरक्षा पर पड़ता है और रोग लड़ने की ताकत कम हो जाती है।
3. जन्मजात दोष – कुछ बच्चे जन्म से ही दिल, फेफड़े या अन्य अंगों में समस्या लेकर आते हैं। इन मामलों में शुरुआती जांच और उपचार बहुत महत्वपूर्ण है।
4. दुर्घटनाएँ – घर में गिरना, जलना, तेज़ी से चलती गाड़ी से टकराना आदि से छोटे बच्चे गंभीर चोटें ले सकते हैं। सतर्कता न रखने से छोटी‑सी लापरवाही बड़ी सजा बन सकती है।
5. जलजन्य रोग – साफ पानी न मिलने या गंदे बोतलों से पीने पर डायरिया, कोलेरा जैसी बीमारियाँ तेज़ी से बच्चा मार देती हैं।
पहला कदम है नियमित जांच। बच्चों को जन्म के बाद हर 2‑3 महीने में डॉक्टर के पास ले जाएँ, खासकर उनका वजन, लम्बाई और विकास जांचें। यह छोटी‑छोटी समस्याओं को जल्दी पकड़ने में मदद करता है।
दूसरा, सही पोषण पर ध्यान दें। दुध, अंडे, दालें, सब्जियों और फलों को अपने बच्चे के आहार में शामिल करें। यदि आर्थिक समस्या है, तो सरकारी पोषण योजना जैसे अंगीकार करके मदद ले सकते हैं।
तीसरा, सफाई का नियम बनाएँ। हाथ‑धोना, भोजन को गर्म करके परोसना, पानी को उबाल कर देना या फ़िल्टर करना बहुत असरदार है। बाथरूम और टॉयलेट को साफ रखें, ताकि बैक्टीरिया न फैले।
चौथा, सुरक्षा उपाय अपनाएँ। घर में तेज़ मोड़ों पर गद्दे रखें, इलेक्ट्रिक आउटलेट को कवर करें, नल के पास पानी का तापमान जांचें। बच्चों को पानी के किनारे अकेले न छोड़ें।
पाँचवां, आपातकालीन ज्ञान रखें। जब बच्चा बुखार या दस्त से पीड़ित हो, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ। गरम पानी में शरीर को रगड़ना या वैडर पाइप से ठंडा पानी देना कभी न करें, इससे स्थिति बिगड़ सकती है।
आख़िर में, अपने आस‑पास के लोगों के साथ जानकारी शेयर करें। अगर किसी को बच्चों की मौत के कारणों का पता नहीं है, तो आप सरल शब्दों में समझा सकते हैं। समुदाय में जागरूकता बढ़ेगी और कई बचाव योग्य स्थितियों से बचा जा सकेगा।
बच्चों की मौत को रोकना सिर्फ डॉक्टर या सरकार का काम नहीं है, हर माता‑पिता, दादी‑दादा, दादा‑दादी और स्कूल का हिस्सा है। छोटे‑छोटे कदमों से हम एक बड़ा फर्क ला सकते हैं। याद रखें, समय पर सही कार्रवाई करने से अधिकांश मौतें रोकी जा सकती हैं।
गुजरात के साबरकांठा जिले में चार बच्चों की संदिग्ध चांदीपुरा वायरस संक्रमण से मौत हो गई है। यह मौतें 27 जून से 10 जुलाई 2024 के बीच हुईं। प्रभावित बच्चों के रक्त के नमूने पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजे गए हैं। जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।