स्वास्थ्य संकट: क्या है, क्यों चिंता है और आप क्या कर सकते हैं?

अभी कई बार समाचार में 'स्वास्थ्य संकट' का जिक्र सुनते हैं। यह सिर्फ बड़ी बीमारी नहीं, बल्कि कई छोटे‑छोटे समस्याओं का संगम है—जैसे एरिथेमा, डाइबिटीज, धूम्रपान युक्त जीवन शैली, और हाल ही में आई महामारी। जब ये सभी मिलकर बढ़ते हैं, तो पूरी जनता की सेहत पर असर पड़ता है। तो चलिए, समझते हैं कि इस संकट को कैसे पहचानें और इससे बचाव के आसान कदम क्या हैं।

स्वास्थ्य संकट के मुख्य कारण

पहले तो कारण देखिए। दिन‑प्रतिदिन की आदतें अक्सर बड़े खतरे बन जाती हैं। देहाती इलाकों में साफ‑सफ़ाई की कमी, शहरी क्षेत्रों में एयर पॉल्यूशन, ज्यादातर लोग बैठा‑बैठा काम करते हैं और शारीरिक व्यायाम नहीं करते। साथ ही, गलत खान‑पान—जंक फूड, ज्यादा नमक, कम फल‑सब्जी—रक्त में ग्लूकोस और कोलेस्ट्रॉल को बिगाड़ देती है। इन सभी कारणों से बीमारियों की लहर चल पड़ी है।

रोकथाम के आसान कदम

अब बात आती है बचाव की। सबसे पहले, रोज़ाना 30 मिनट चलना या तेज़ चलना बहुत फायदेमंद है। अगर समय नहीं मिल रहा तो लिफ़्ट की बजाय सीढ़ी इस्तेमाल करें। दूसरा, पानी अधिक पीएँ—कम से कम 8 गिलास। तीसरा, ब्रेकफ़ास्ट में दाल‑आरहर या ओट्स रखें, जिससे ऊर्जा धीरे‑धीरे रिलीज़ होती है और पेट भरता रहता है। चौथा, स्क्रीन टाइम घटाइए; हर दो घंटे में 5‑10 मिनट का ब्रेक लें ताकि आँखों और मस्तिष्क को आराम मिल सके।

सरकार भी इस दिशा में कई योजनाएँ चलाती है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत पोषण शिविर, मुफ्त मल्टीविटामिन सप्लाई, और ग्रामीण इलाकों में कैंसर स्क्रीनिंग की सुविधा उपलब्ध है। इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिये नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाना सबसे आसान तरीका है।

अगर आप में से कोई पहले से ही डायबिटीज या हायपरटेंशन जैसी बीमारियों से जूझ रहा है, तो नियमित चेक‑अप ज़रूरी है। दवाओं को डॉक्टर की लिखी डोज़ पर ही लें, अपने आप नहीं बदलें। छोटे‑छोटे लक्षणों को नजरअंदाज न करें—जैसे सिर की धुंध या लगातार थकावट—इनसे बड़ी बीमारी का संकेत हो सकता है।

परिवार में बुजुर्गों को विशेष देखभाल चाहिए। उन्हें रोज़ाना हल्का व्यायाम, संतुलित आहार और दवाओं का सही समय पर उपयोग करवाएँ। साथ ही, उनका मन भी स्वस्थ रखें—उनके साथ बातें करें, पुरानी यादें ताज़ा करें, क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य भी शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी रहती है।

आखिर में, सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों से बचें। सरकारी स्वास्थ्य पोर्टल या भरोसेमंद समाचार साइट से जानकारी लें। कभी‑कभी गलत सूचना पैनिक बना देती है, जो स्वास्थ्य संकट को और बिगाड़ती है।

तो, स्वास्थ्य संकट को मात देने के लिये छोटे‑छोटे कदम बड़े असर डालते हैं। अपने आप को, अपने परिवार को, और अपने आस‑पास के लोगों को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी हम सभी पर है। अब समय है एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का, ताकि आने वाले कल में स्वास्थ्य की चिंता न रहे।

गुजरात में चार बच्चों की संदिग्ध चांदीपुरा वायरस संक्रमण से मौत
  • Sharmila PK
  • दिनांक चढ़ा हुआ 16 जुल॰ 2024

गुजरात में चार बच्चों की संदिग्ध चांदीपुरा वायरस संक्रमण से मौत

गुजरात के साबरकांठा जिले में चार बच्चों की संदिग्ध चांदीपुरा वायरस संक्रमण से मौत हो गई है। यह मौतें 27 जून से 10 जुलाई 2024 के बीच हुईं। प्रभावित बच्चों के रक्त के नमूने पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजे गए हैं। जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।