अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर डल झील में योग साधकों को प्रधानमंत्री का संबोधन

घर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर डल झील में योग साधकों को प्रधानमंत्री का संबोधन

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर डल झील में योग साधकों को प्रधानमंत्री का संबोधन

21 जून 2024

डल झील पर हुए ऐतिहासिक योग सत्र का प्रधानमंत्री ने किया नेतृत्व

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2024 के अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीनगर की डल झील पर एक ऐतिहासिक योग सत्र का नेतृत्व किया। इस अवसर पर अपार योग साधक और स्थानीय निवासियों की उपस्थिति में उन्होंने जीवन में योग के महत्व पर विचार साझा किए। प्रधानमंत्री ने कहा कि योग केवल एक शारीरिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह मानसिक और आत्मीय शांति का स्रोत भी है, जो हमें एक सुंदर और स्वस्थ जीवन जीने की प्रेरणा देता है।

योग जीवन का हिस्सा बने: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में इस बात पर विशेष जोर दिया कि योग को जीवन का अभिन्न अंग बनाना चाहिए। उन्होंने बताया कि योग एक ऐसा अभ्यास है जिसे नियमित रूप से करने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य सुधरता है, बल्कि मानसिक संतुलन भी बनाए रखा जा सकता है। योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से हम तनाव और अवसाद से छुटकारा पा सकते हैं और अपने जीवन में खुशहाली और सकारात्मकता ला सकते हैं।

जम्मू-कश्मीर के लोगों की प्रतिबद्धता की सराहना

जम्मू-कश्मीर के लोगों की प्रतिबद्धता की सराहना

इस कार्यक्रम के दौरान बारिश होने के बावजूद जम्मू-कश्मीर के लोगों ने जिस तरह की उत्साह और प्रतिबद्धता दिखाई, उसकी प्रधानमंत्री ने सराहना की। उन्होंने कहा कि यह योग के प्रति उनकी दृढ़ निष्ठा और समर्पण का प्रतीक है, जिसे देखकर वे अति प्रभावित हैं। भले ही मौसम अनुकूल न हो, लेकिन योग साधकों की उपस्थिति और उनका उत्साह उदाहरणीय है।

ध्यान और एकाग्रता के लाभ

प्रधानमंत्री ने योग के ध्यान और एकाग्रता के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि ध्यान एक ऐसा प्रकरण है जिससे हम अपने भीतर की आवाज सुन सकते हैं और आत्मज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। ध्यान करने से हमारी एकाग्रता शक्ति बढ़ती है और हम अपने कार्यों में और भी अधिक सफल हो सकते हैं। यह हमारे दिमाग को शांत रखता है और हमें बेहतर निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।

योग से जुड़े पर्यटन की संभावनाएँ

योग से जुड़े पर्यटन की संभावनाएँ

प्रधानमंत्री ने योग और पर्यटन के संगम पर भी विचार किया। उन्होंने कहा कि योग और पर्यटन को मिलाकर जम्मू-कश्मीर में रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकते हैं। दुनियाभर से लोग योग सिखने और इसके लाभ प्राप्त करने के लिए भारत आते हैं, विशेषकर जम्मू-कश्मीर जैसे अद्वितीय और सुंदर स्थान पर। इस प्रकार, योग के साथ पर्यटन को जोड़कर युवा पीढ़ी को स्वावलंबी बनाया जा सकता है और रोजगार के नए अवसर उपलब्ध किए जा सकते हैं।

योग के विश्वव्यापी प्रसार की सराहना

प्रधानमंत्री मोदी ने योग के वैश्विक प्रसार और इसके प्रचार-प्रसार के लिए किए गए प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने मिस्र का उदाहरण दिया जहां पर योग के विभिन्न आसनों को ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों पर प्रदर्शन करने की प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। यह दर्शाता है कि योग ने अपनी जड़ों से निकलकर पूरे विश्व में एक विशेष पहचान बनाई है।

समापन में जम्मू-कश्मीर के लोगों का आभार

समापन में जम्मू-कश्मीर के लोगों का आभार

अपने संबोधन के अंत में, प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के लोगों का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि योग दिवस के सफल आयोजन के पीछे यहां के लोगों का प्रयास और उनकी भागीदारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वे अपने समर्पण और अनुशासन से एक मिसाल पेश कर रहे हैं, जो पूरे देश के लिए प्रेरणादायक है।

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