भारतीय अर्थव्यवस्था की चार बैलेंस शीट चुनौती में बजट 2024 में समाधान की आवश्यकता है। यह चुनौती केवल एक आर्थिक समस्या नहीं है, बल्कि एक जटिल संरचनात्मक समस्या का रूप ले चुकी है। इसकी चर्चा सबसे पहले पूर्व रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने 2018 में की थी। उन्होंने बताया था कि सरकार, रिजर्व बैंक, बैंक और कॉर्पोरेट क्षेत्र की तनावग्रस्त बैलेंस शीट्स पर ध्यान देना आवश्यक है।
सरकार की वित्तीय स्थिति का सबसे बड़ा सवाल वित्तीय घाटा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए यह लक्ष्य GDP का 5.9% रखा गया है। हाल के वर्षों में वित्तीय घाटा बढ़ा है और इसका सीधा प्रभाव देश की आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि निवेश और खर्च के बीच संतुलन बना रहे, ताकि अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी रहे।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की विदेशी मुद्रा भंडार में कमी एक गंभीर चिंता का विषय है। विदेशी मुद्रा भंडार की कमी से भारत की विदेशी भुगतान संभावनाएं कमजोर होती हैं और इसकी वजह से देश की क्रेडिट रेटिंग पर भी असर पड़ सकता है। जब विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों में अपने निवेश को लेकर चिंतित होते हैं, तब यह अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है कि रिजर्व बैंक के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार हो।
भारतीय बैंकिंग क्षेत्र अभी भी नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPAs) की समस्या से जूझ रहा है। बैंकों की ऐसी संपत्तियाँ जिनसे उन्हें कोई लाभ नहीं मिलता, उनकी वित्तीय स्थिरता को सीधा प्रभावित करती हैं। जब बैंक ऋण देने में सक्षम नहीं होते तो इसका असर कुल आर्थिक गतिविधियों पर पड़ता है। NPA का समाधान निकालना इसलिए जरूरी है ताकि बैंकिंग क्षेत्र अपने प्राथमिक कार्यों को सफलतापूर्वक अंजाम दे सके।
कॉर्पोरेट सेक्टर का ऋण संकट भी एक मुख्य चुनौती है। कई कंपनियाँ वर्तमान में अपने ऋणों को चुकाने में असमर्थ हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्थिरता प्रभावित होती है। यह संकट बड़े पैमाने पर उद्योगों और व्यवसायों की क्रेडिटवर्थीनेस को भी प्रभावित करता है।
बजट 2024 में इन चार बैलेंस शीट चुनौतियों का समाधान ढूँढना भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता और विकास के लिए आवश्यक है। सरकार को राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने, रिजर्व बैंक को विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने, बैंकों को NPAs घटाने और कॉर्पोरेट क्षेत्र को ऋण संकट से उबारने के उपाय करने होंगे। यह समय है कि नीति निर्माता एक ठोस और व्यापक योजना तैयार करें, जिससे अर्थव्यवस्था के सभी प्रमुख क्षेत्रों को लाभ हो सके।
चारों बैलेंस शीट की समस्याएं परस्पर जुड़ी हुई हैं। इसलिए इन्हें एक समग्र दृष्टिकोण से देखना और समाधान निकालना जरूरी है। छोटे कदम भी बड़ी समस्याओं को हल करने में सक्षम होते हैं यदि वे सही दिशा में उठाए जाएंगे। नीति निर्माताओं को न केवल मौजूदा समस्याओं पर ध्यान देना होगा, बल्कि भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लिए भी तैयार रहना होगा।
बजट 2024 भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है यदि यह स्मार्ट और स्थायी समाधानों पर ध्यान केंद्रित करता है।
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