मोदी सरकार 3.0: चिराग पासवान की कामयाबी की कहानी

घर मोदी सरकार 3.0: चिराग पासवान की कामयाबी की कहानी

मोदी सरकार 3.0: चिराग पासवान की कामयाबी की कहानी

10 जून 2024

在 : Sharmila PK राजनीति टिप्पणि: 14

चिराग पासवान: दलित नेता की विरासत

दिवंगत रामविलास पासवान के इकलौते पुत्र चिराग पासवान ने भारतीय राजनीतिक मानचित्र पर अपनी एक विशिष्ट छाप छोड़ी है। चिराग ने बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सभी पांच सीटों पर शानदार जीत हासिल की है, जिसे उनके पिता की अद्वितीय राजनीतिक विरासत का साक्षात प्रमाण माना जा सकता है। चिराग ने हाजीपुर सीट से जीतकर अपने पिता की उस सीट पर मजबूत पकड़ को दोहराया है, जो वर्षों से पासवान परिवार के नाम रही है।

राजनीति के चैंपियन चिराग

चिराग पासवान का राजनीति में प्रवेश उनके पिता रामविलास पासवान की प्रेरणा से हुआ था। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही है कि उन्होंने बिहार में बिना किसी गठजोड़ के स्वयं की पार्टी के तहत पांच सीटों पर जीत दर्ज की है। यह चुनावी प्रदर्शन न केवल उनके राजनीतिक कौशल को दर्शाता है, बल्कि उनके नेतृत्व की भी साक्षी है।

चिराग का संघर्ष और मांगें भी चर्चा का विषय रही हैं। कुछ समय पहले उन्होंने बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आलोचना करते हुए इसे 'Nitish-free Bihar' अभियान की शुरुआत की थी। उनकी इस प्रतिज्ञा और संघर्ष ने उन्हें जनता के बीच और भी लोकप्रिय बना दिया।

पारिवारिक विवाद और राजनीतिक चुनौतियां

पारिवारिक विवाद और राजनीतिक चुनौतियां

चिराग पासवान को व्यक्तिगत और राजनीतिक दोनों ही मोर्चों पर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 2021 में उनके चाचा पशुपति कुमार पारस ने LJP को दो हिस्सों में बांट दिया और अधिकांश सांसदों को अपने साथ ले गए। इस वाजिबी विभाजन के बाद भी चिराग ने हार नहीं मानी और अपनी राजनैतिक जद्दोजहद जारी रखी। उनकी इस जीत ने यह साबित कर दिया है कि उनके नेतृत्व में LJP (र) एक नई ताकत है।

केन्द्रीय मंत्री बनने की संभावना

चिराग पासवान के वर्तमान राजनीतिक प्रदर्शन और उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए, उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाए जाने की प्रबल संभावना जताई जा रही है। यह उनकी नेतृत्व क्षमता का सम्मान होगा और साथ ही उनके चाचा पक्ष से हुई प्रतिद्वंद्विता को भी शांत कर सकता है। इस निर्णय से न केवल चिराग को, बल्कि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को भी एक नई दिशा निकल सकती है।

चिराग पासवान का यह विजय अभियान और उनकी संभावना राष्ट्रीय राजनीति में भी व्यापक प्रभाव डालने की क्षमता रखते हैं। भाजपा के साथ उनके गठबंधन को भी यह एक नया मोड़ दे सकता है।

भविष्य की संभावनाएं

भविष्य की संभावनाएं

आगे चलकर चिराग पासवान का राजनीतिक सफर और भी चमक सकता है। उनकी पार्टी की ताकत और उनके स्वयं के नेतृत्व कौशल के चलते, वह बिहार के राजनीतिक पटल पर और भी मजबूत बन सकते हैं। चिराग की इस कामयाबी का असर ना केवल बिहार, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ेगा।

चिराग पासवान हर बार अपनी राजनीतिक सूझ-बूझ और मेहनत से अपने समर्थकों का भरोसा और भी मजबूत करते हैं। उनकी यह यात्रा अभी और भी दिलचस्प होने वाली है।

टिप्पणि
Vinay Dahiya
Vinay Dahiya
जून 11 2024

अरे भाई, ये सब तो बस एक नाम का झूठा बाज़ार है! पासवान नाम लेकर चलो, तो सब कुछ चल जाता है... असली नेता कौन है, ये तो समय ही बताएगा।

Sai Teja Pathivada
Sai Teja Pathivada
जून 12 2024

ये सब बातें तो बस फेक न्यूज़ हैं भाई... पासवान का बेटा? अरे ये तो राजनीति का एक बड़ा धोखा है! असल में ये सब बैंकों और बड़े लोगों के पैसे से चल रहा है... तुम लोग अभी तक नहीं समझे? 😒

Antara Anandita
Antara Anandita
जून 13 2024

चिराग पासवान की जीत सिर्फ विरासत नहीं, बल्कि उनके लगन और जनता के साथ जुड़े रहने का नतीजा है। बिहार में दलित नेतृत्व का ये एक अहम मोड़ है।

Gaurav Singh
Gaurav Singh
जून 15 2024

तो ये विरासत का नाम लेकर लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा है ना? एक बेटे की जीत को नेतृत्व का प्रमाण बना देना... अच्छा लगता है जब लोग अपनी भावनाओं को तर्क से ऊपर उठा लेते हैं

Priyanshu Patel
Priyanshu Patel
जून 16 2024

ये तो बहुत अच्छी बात है! एक नया नेता आया और अपनी पार्टी के साथ अकेले जीत गया... बिहार के लिए ये नई उम्मीद है 💪🔥

ashish bhilawekar
ashish bhilawekar
जून 18 2024

अरे भाई ये चिराग तो एक असली लड़ाकू है! बिना गठबंधन के पांच सीटें जीतना? ये तो जानवर की तरह लड़ा है! ये लोग जिंदा हैं और ये नेता हैं ना बस फोटो वाले चित्र!

Vishnu Nair
Vishnu Nair
जून 19 2024

यहाँ एक गहरा राजनीतिक अनुक्रम छिपा हुआ है, जिसमें विरासत के बारे में जनसामान्य के मन में निर्मित न्यायवादी रूपांतरण का एक संरचनात्मक विश्लेषण आवश्यक है, जिसके अनुसार वंशानुक्रमिक शक्ति संचयन के अधीन राजनीतिक लोकतंत्र के आधारभूत सिद्धांतों की अवधारणा भी प्रभावित होती है, जिससे अलग-अलग वर्गों के बीच सामाजिक समानता के निर्माण में अवरोध पैदा होता है।

Jasmeet Johal
Jasmeet Johal
जून 19 2024

जीत गया तो क्या हुआ

Abdul Kareem
Abdul Kareem
जून 20 2024

चिराग के बारे में बात करने से पहले ये जानना जरूरी है कि उनकी पार्टी के अंदर कितने लोग वास्तव में उनके साथ हैं? ये विभाजन के बाद का विश्वास कैसे बना?

Namrata Kaur
Namrata Kaur
जून 22 2024

अच्छी बात है, अगर वो जनता के लिए काम करें तो बहुत अच्छा होगा।

indra maley
indra maley
जून 24 2024

क्या विरासत वास्तव में नेतृत्व की कुंजी है? या हम बस एक नाम के पीछे छिपी असमानता को देख रहे हैं?

Kiran M S
Kiran M S
जून 24 2024

इतनी बड़ी उपलब्धि और फिर भी लोग इसे विरासत के नाम पर नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं? ये तो एक असली विद्वान की बात है - जिसने अपने पिता के नाम का इस्तेमाल नहीं किया, बल्कि अपनी बुद्धि से इतना बड़ा काम किया।

Paresh Patel
Paresh Patel
जून 25 2024

ये जीत तो बहुत बड़ी है भाई... अगर चिराग असली नेता है तो भारत को बहुत अच्छा मिलेगा। आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ हैं

anushka kathuria
anushka kathuria
जून 26 2024

चिराग पासवान के राजनीतिक प्रदर्शन को व्यक्तिगत विरासत के बजाय राष्ट्रीय राजनीति के संदर्भ में विश्लेषित किया जाना चाहिए। यह एक ऐतिहासिक घटना है।

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