भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने संदीप टंडन के स्वामित्व वाली क्वांट म्यूचुअल फंड पर फ्रंट-रनिंग के संदेह में तलाशी और ज़ब्ती की कार्रवाई की है। इस कार्रवाई का मकसद फ्रंट-रनिंग जैसी अनैतिक गतिविधियों पर अंकुश लगाना है, जो निवेशकों के हितों के खिलाफ जाती हैं। इस अभियान के तहत सेबी ने मुंबई स्थित क्वांट म्यूचुअल फंड के मुख्यालय और हैदराबाद में संबंधित एक संदेहात्मक पते पर तलाशी ली।
फ्रंट-रनिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें फंड मैनेजर, डीलर या ब्रोकर अपने निजी ऑर्डर पहले प्लेस करते हैं, जबकि बड़े ट्रेड्स को निष्पादित करने के बाद बाजार में आने वाले संभावित लाभ का फायदा उठाने की कोशिश होती है। यह गतिविधि निवेशकों के भरोसे को कमजोर करती है और पूरी बाजार प्रणाली की ईमानदारी पर सवाल खड़ा करती है। यही वजह है कि सेबी ऐसे मामलों में कठोर कदम उठाती है।
क्वांट म्यूचुअल फंड ने पिछले कुछ वर्षों में बेहद तेजी से वृद्धि की है। 2019 में कंपनी का एयूएम (एसेट अंडर मैनेजमेंट) जहाँ मात्र 100 करोड़ रुपये था, वहीं अभी यह राशि बढ़कर 90,000 करोड़ रुपये से अधिक हो चुकी है। इसके स्मॉल-कैप फंड ने भी बेहतरीन प्रदर्शन किया है, जिनका एयूएम 20,000 करोड़ रुपये से अधिक है और इसने पिछले पाँच और तीन साल के दौरान सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है।
यह पहली बार नहीं है जब सेबी ने इस तरह की सख्त कार्रवाई की है। इससे पहले, सेबी ने एक्सिस म्यूचुअल फंड के फंड मैनेजर विरष जोशी को भी फ्रंट-रनिंग के आरोप में बैन कर दिया था। सेबी ने उस मामले में 20 संबंधित इकाइयों को भी शामिल किया और कुल 30.55 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की पहचान की थी।
सेबी की टीम ने क्वांट म्यूचुअल फंड के डीलरों और उन व्यक्तियों से पूछताछ की, जो इस मामले से संबंधित हो सकते हैं। यह पूछताछ विशाल उन्मूलन की रणनीति का हिस्सा है, जिसमें किसी भी प्रकार की अनैतिक गतिविधियों पर रोक लगाने का प्रयास किया जाता है।
इस पूरे अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि म्यूचुअल फंड उद्योग का संचालन पारदर्शी और निवेशकों के हित में ही हो। यह देखने वाली बात होगी कि सेबी की इस कार्रवाई के बाद क्वांट म्यूचुअल फंड और अन्य संबंधित इकाइयों पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या निवेशकों का भरोसा एक बार फिर से बहाल हो पाता है।
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