ओणम 2024 – केरल की जीवंत फसल उत्सव

क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में किस त्योहार में फसल की ख़ुशी और कला का मेल होता है? ओणम वही है – केरल का रंगीन फसल उत्सव, जो इस साल 5 से 15 सितंबर तक दस दिन चलेगा. इस लेख में हम आपको ओणम की मुख्य बातें, उसके सांस्कृतिक पहलू और इस दौरान देखे जाने वाले आकर्षणों से रू‑बार कराएंगे.

ओणम का इतिहास और महत्व

ओणम मूल रूप से थिरुवोणम नामक नक्षत्र के समय मनाया जाता है. इसे किसान अपने फ़सल के अंत को नयी आशा के साथ मनाते हैं. कई साल पहले से यह उत्सव केरल की धरती पर चल रहा है, और अब इसे दुनिया भर की मलयाली समुदायें भी बड़े जोश से मनाती हैं. इस दौरान लोग अपने घरों और सार्वजनिक जगहों पर पैटर्न वाले फूलों की बनावट – पुक्कलम बनाते हैं, जो प्रकृति की सुंदरता को दिखाता है.

ओणम सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक है. गाँव‑गाँव के लोग मिलकर पुक्कलम बनाते हैं, सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं और हर शाम ओनासद्या के साथ एक साथ भोजन साझा करते हैं. इससे सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं और नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ा जाता है.

उत्सव में प्रमुख आकर्षण

अगर आप ओणम के दौरान केरल में हैं तो ये पाँच बातें बिलकुल मिस नहीं करनी चाहिए:

  • पुक्कलम (फूलों की बनावट): सुबह‑शाम गांव के चौक में बड़े‑बड़े पुक्कलम बनते हैं, जिनमें स्थानीय फूल, पत्ते और रंगीन पाउडर इस्तेमाल होते हैं. हर पुक्कलम में परंपरा, नैतिकता या भगवान की कहानियां दर्शाई जाती हैं.
  • थिरुवोणम (नृत्य): पारंपरिक मलयाली नृत्य, जैसे कलारी और मोहिनी अत्थम्, इस दौरान मंच पर जीवंत दिखते हैं. नृत्य के साथ स्थानीय संगीत बजता है, जिससे माहौल में ऊर्जा भर जाती है.
  • ओनासद्या (विशेष दावत): पूरे उत्सव में कई बार बड़े सामुदायिक भोजन का आयोजन होता है. इसमें केरल की पसंदीदा व्यंजनों – इडली, डोसा, समुद्री भोजन और मीठा पायसम शामिल होते हैं.
  • सांस्कृतिक मेले: स्थानीय कारीगरों की शिल्पकला, हाथ से बनी बुनाई और पत्तों की वस्तुएं भी प्रदर्शित की जाती हैं. यह मेले आपको केरल की रोजमर्रा की जीवन शैली दिखाते हैं.
  • धार्मिक अनुष्ठान: कई मंदिरों में विशेष पूजा और परेड आयोजित होती हैं. यह धार्मिक पहलू उत्सव को आध्यात्मिक गहराई देता है.

इन सब चीज़ों में सबसे बड़ी बात यह है कि ओणम समाज और संस्कृति को एक साथ जोड़ता है. हर गतिविधि में लोग सहयोग करना, एक दूसरे की मदद करना और अपनी पहचान को गर्व से दिखाना सीखते हैं.

ओणम की तैयारी भी काफी दिलचस्प होती है. गाँव में युवा वर्ग पुक्कलम बनाने के लिए फूल इकट्ठा करने, रंग मिलाने और डिजाइन बनाने में भाग लेता है. यह प्रक्रिया सामूहिक रचनात्मकता को बढ़ावा देती है और टीम वर्क के मूल्य सिखाती है.

यदि आप केरल नहीं जा पा रहे हैं, तो भी आप ऑनलाइन लाइव स्ट्रीम के माध्यम से ओणम देख सकते हैं. कई स्थानीय चैनल और सोशल मीडिया पेज इस उत्सव को पूरे दुनिया में प्रसारित कर रहे हैं. इस तरह आप घर बैठकर भी इस सांस्कृतिक धरोहर का आनंद ले सकते हैं.

समाज और संस्कृति के शौकीनों के लिए ओणम सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक सीख है – कैसे परम्पराएँ, प्रकृति और लोगों की एकता को मिलाकर एक जीवंत कहानी बनाई जा सकती है. अगली बार जब आप केरल के बारे में बात करें, तो ओणम के पुक्कलम की रंगीन तस्वीरें और थिरुवोणम की ताल को याद रखिएगा.

तो, क्या आप ओणम की धूम में शामिल होने के लिए तैयार हैं? फिर देर न करें, अपने कैलेंडर में 5–15 सितंबर अंकित करिए और इस फसल उत्सव की झलक पाने के लिए तैयार हो जाइए.

ओणम 2024: मलयाली समुदाय की पारंपरिक और सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव
  • Sharmila PK
  • दिनांक चढ़ा हुआ 16 सित॰ 2024

ओणम 2024: मलयाली समुदाय की पारंपरिक और सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव

ओणम 2024 केरल का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे मलयाली समुदाय द्वारा पूरे विश्व में मनाया जा रहा है। यह 10 दिवसीय उत्सव सितंबर 5 से 15 तक चलता है और इसे फसल का त्योहार माना जाता है। ओणम के मुख्य आकर्षणों में पुक्कलम, पारंपरिक नृत्य, और ओनासद्या शामिल हैं। यह त्योहार एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।