एपीजे अब्दुल कलाम की 9वीं पुण्यतिथि: भारत के 'मिसाइल मैन' को समर्पित

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एपीजे अब्दुल कलाम की 9वीं पुण्यतिथि: भारत के 'मिसाइल मैन' को समर्पित

27 जुल॰ 2024

भारत के 'मिसाइल मैन' को समर्पित: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की नौवीं पुण्यतिथि

आज का दिन हमारे देश के महानतम वैज्ञानिकों में से एक, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जा रहा है। डॉ. कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। अपने सरल व्यक्तित्व और महान सिद्धांतों के लिए जाने-जाने वाले, डॉ. कलाम ने भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एक ऐसी विरासत स्थापित की जो आने वाले पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक साबित होगी।

शैक्षणिक यात्रा और प्रेरणादायक सफर

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन उनके शिक्षा के प्रति समर्पण के साथ शुरू हुआ। उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अपनी पढ़ाई पूरी की और फिर भारतीय स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) और डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) में काम किया। इन संस्थानों में उनका योगदान अभूतपूर्व रहा। उनका कार्यकाल मौसम उपग्रहों से लेकर उन्नत मिसाइल प्रणालियों तक के विकास में मील का पत्थर साबित हुआ।

मिसाइल मैन का सफर

डॉ. कलाम को 'मिसाइल मैन' के नाम से जाना जाता है क्योंकि उन्होंने भारत के मिसाइल विकास कार्यक्रम में कई प्रमुख योगदान दिए। उन्होंने प्रथ्वी, अग्नि और त्रिशूल मिसाइलों का विकास किया, जो आज भी भारत की सैन्य ताकत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनकी अग्रणी भूमिका ने भारत को एक प्रमुख सामरिक शक्ति के रूप में स्थापित करने में मदद की। Pokhran-II परमाणु परीक्षणों के दौरान उनकी भूमिका ने उन्हें एक राष्ट्रीय हीरो बना दिया था।

राष्ट्रपति पद पर आसीन

राष्ट्रपति पद पर आसीन

डॉ. कलाम ने 2002 से 2007 तक भारत के 11वाँ राष्ट्रपति का पद संभाला। उन्होंने इस पद पर रहते हुए देश की सेवा की और 'पीपुल्स प्रेसिडेंट' के रूप में जाने गए। उनके सादगी और गरीबी प्रेम ने उन्हें जनता के करीब बना दिया। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने हमेशा शिक्षा और नवाचार पर बल दिया और बच्चों के बीच वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित करने का काम किया।

सम्मान और पुरस्कार

डॉ. कलाम को 1997 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्होंने अपने जीवनकाल में कई अन्य महत्वपूर्ण पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए। उनकी प्रेरक कहानियाँ और उद्धरण आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं। उनकी प्रसिद्ध उद्धृतियों में 'आपका पहला विजय के बाद आराम मत करो क्योंकि अगर आप दूसरी बार असफल होते हैं, तो और अधिक लोग आपके असफलता के बारे में जानेंगें' और 'आपको अपने सपनों को सच होने से पहले सपने देखना होगा' शामिल हैं।

डॉ. कलाम की विरासत

डॉ. कलाम की विरासत

डॉ. कलाम का निधन 27 जुलाई 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिलॉन्ग में एक व्याख्यान के दौरान हुआ। उनका जाना पूरे राष्ट्र के लिए एक बड़ा धक्का था, लेकिन उनके सिद्धांत, शिक्षाएँ और प्रेरणा आज भी जीवित हैं। रामेश्वरम में स्थित कलाम मेमोरियल उनके जीवन और उपलब्धियों को दर्शाता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है।

डॉ. कलाम की विरासत हमें यह सिखाती है कि कड़ी मेहनत, समर्पण और उच्च सिद्धांतों के साथ कोई भी बड़ी ऊँचाइयों को छू सकता है। उनकी याद में हर साल उनके जीवन और कार्यों को याद किया जाता है, और यह दिन सभी भारतीयों के लिए गर्व और सम्मान का प्रतीक है। उन्हें उनके सरलता, विनम्रता और बच्चों के प्रति उनके प्यार के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

आज उनकी 9वीं पुण्यतिथि पर, हम उनके महान कार्यों को और समर्पण को सलाम करते हैं, और उनको श्रृद्धांजलि अर्पित करते हैं।

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