जून 2024 में आने वाली एकादशी व्रत: तिथियाँ, शुभ मुहूर्त और महत्व

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जून 2024 में आने वाली एकादशी व्रत: तिथियाँ, शुभ मुहूर्त और महत्व

2 जून 2024

जून 2024 में एकादशी व्रतों का महत्व

भारतीय धार्मिक परंपराओं में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं और सालभर में कई बार आते हैं। जून 2024 में दो महत्वपूर्ण एकादशियाँ मनाई जाएँगी जिनमें अपरा एकादशी और निर्जला एकादशी शामिल हैं। इन दोनों एकादशियों का धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से गहरा संबंध है।

अपरा एकादशी का महत्व और तिथि

अपरा एकादशी का महत्व और तिथि

अपरा एकादशी, जिसे अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, 2 जून 2024, रविवार को मनाई जाएगी। यह तिथि ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में आती है। 'अपर' शब्द का अर्थ होता है 'अनंत', और इस व्रत को रखने से अनंत सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु के त्रिविक्रम स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन व्रत रखने से पापों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

इस व्रत का शुभ मुहूर्त 2 जून को सुबह 5:04 बजे से शुरू होकर 3 जून के सुबह 2:41 बजे तक है। व्रत का पारण समय 3 जून को सुबह 8:06 से 8:24 तक है। इस दिन व्रत नियम अनुसार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, जिसमें तुलसी के पत्ते, चन्दन और फल अर्पित किए जाते हैं।

निर्जला एकादशी का महत्व और तिथि

निर्जला एकादशी का महत्व और तिथि

निर्जला एकादशी, 17 जून 2024 को मनाई जाएगी, जो ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में आती है। इस व्रत का विशेष महत्व यह है कि इसे बिना पानी और भोजन के रखा जाता है। निर्जला एकादशी का पालन करने से समस्त पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने वाले को समस्त एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है।

निर्जला एकादशी का आरंभ 17 जून को सुबह 4:43 बजे से लेकर 18 जून की सुबह 6:24 बजे तक रहेगा। पारण का समय 19 जून को 8:00 बजे तक है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा बिना जल और अन्न के की जाती है।

व्रत और पूजा विधि

व्रत और पूजा विधि

एकादशी व्रत रखने के लिए भक्तजनों को प्रातःकाल उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। भगवान विष्णु की पूजा करते समय तुलसी के पत्ते, चन्दन, फल और धूप-दीप का प्रयोग किया जाता है। अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के त्रिविक्रम स्वरूप का ध्यान विशेष फलदायी माना गया है। वहीं, निर्जला एकादशी के दिन व्रतधारी को पूर्णतया अन्न और जल का त्याग करना होता है और पूरे दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करनी होती है।

सच्चे मन और श्रद्धा से किए गए इन व्रतों का फल निश्चित रूप से मिलता है और इनके द्वारा पापों से मुक्ति और जीवन में समृद्धि का वास होता है।

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