प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेताओं एल के आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से उनकी भाजपा सरकार की तीसरी पारी शुरू होने से पहले मुलाकात की। यह मुलाकात राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। मोदी ने दोनों पितामह नेताओं को गुलदस्ते भेंट कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस मुलाकात का आयोजन उस वक्त हुआ जब मोदी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और भाजपा के नेता के रूप में लोकसभा में अपनी नियुक्ति तय की। इसके तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति भवन में जाकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और नई सरकार के गठन के लिए दावा पेश किया।
इस मुलाकात के दौरान नरेंद्र मोदी ने आडवाणी और जोशी से मार्गदर्शन लिया और राजनीति के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। भाजपा में आडवाणी और जोशी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, और इन नेताओं का आशीर्वाद लेना मोदी के लिए नई सरकार की शुरूआत से पहले शुभ संकेत माना जा रहा है। ये भेंट ना सिर्फ एक राजनीतिक कदम बल्कि एक आचारगत रूप भी दर्शाती है जो प्रधानमंत्री मोदी की वरिष्ठ राजनेताओं के प्रति सम्मान को दिखाता है।
आडवाणी और जोशी से मुलाकात के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति भवन जाकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। उन्होंने राष्ट्रपति से अपनी सरकार के गठन का दावा प्रस्तुत किया और आगामी नीति और योजना के बारे में जानकारी दी। यह प्रक्रिया सरकार गठन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होता है, और राष्ट्रपति से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक होता है।
इस मुलाकात पर कांग्रेस के नेता पवन खेड़ा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। खेड़ा ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी आडवाणी और जोशी से माफ़ी मांगने गए थे। उनका कहना था कि मोदी ने एनडीए 3.0 से पहले इन वरिष्ठ नेताओं के साथ अपनी पुरानी गलतियों के लिए माफी मांगी। हालांकि, भाजपा ने इस आलोचना को खारिज करते हुए इसे राजनीति का हिस्सा बताया।
एनडीए संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष के इंडिया ब्लॉक पर कड़ी टिपण्णी की। मोदी ने ध्यान दिलाया कि पिछले तीन लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी 100 सीटों का आंकड़ा भी नहीं छू सकी है। उन्होंने विपक्ष के दावों को नकारते हुए एनडीए सरकार की उपलब्धियों का बखान किया। मोदी के इस भाषण ने एनडीए सांसदों में जोश भरा और आगामी योजनाओं के प्रति उनके समर्पण को मज़बूत किया।
2024 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने कुल 240 सीटें जीतीं, वहीं एनडीए गठबंधन ने कुल मिलाकर 293 सीटें प्राप्त कीं। इस परिणाम से स्पष्ट हो गया कि एनडीए को 543 सदस्यीय लोकसभा में पूर्ण बहुमत प्राप्त है। यह परिणाम भाजपा के समर्थकों के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है और आगामी सरकार के कार्यकाल के लिए एक मजबूत आधार तैयार कर रहा है।
नरेंद्र मोदी की इस बैठक के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि वह अपनी नई पारी को एक मजबूत नींव पर खड़ी करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। वरिष्ठ नेताओं से मार्गदर्शन और आशीर्वाद लेना एक सकारात्मक संकेत है। नए सरकार के गठन के बाद मोदी और उनकी टीम विभिन्न मुद्दों पर काम करने की योजना बना रही है, जिसमें आर्थिक सुधार, बुनियादी ढांचे का विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में ध्यान दिया जाएगा।
समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने वाली नीति पर जोर दिया जाएगा ताकि समग्र विकास सुनिश्चित हो सके। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थक इस नई सरकार से काफी उम्मीदें लगाए बैठे हैं और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर पूरा विश्वास जता रहे हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि नई चुनौतियों का सामना करते हुए एनडीए 3.0 किस तरह से देश के विकास और कल्याण के लिए काम करता है। प्रधानमंत्री मोदी की यह मजबूत शुरुआत दर्शाती है कि आगामी समय में वह और उनकी टीम देश की सेवा में पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
नरेंद्र मोदी ने आडवाणी और जोशी के साथ अपनी मुलाकात के माध्यम से यह संदेश दिया है कि भाजपा अपने वरिष्ठ नेताओं और उनके योगदान को हमेशा सम्मान देती है और उनकी विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर रहती है। आगामी सरकार की नीतियों से जनता को भी काफी आशाएं हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि एनडीए 3.0 किस तरह उन पर खरा उतरता है।
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