पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य का 8 अगस्त 2024 को कोलकाता के उनके आवास पर निधन हो गया। वह 80 वर्ष के थे और लंबे समय से उम्र से जुड़ी बीमारियों और पुराने अवरोधक फेफड़े के रोग (COPD) से जूझ रहे थे। उनकी मृत्यु की खबर से पश्चिम बंगाल और भारतीय राजनीति में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके परिवार में पत्नी मीरा और बेटी सुचेतना हैं।
भट्टाचार्य ने 2000 से 2011 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा की। इस अवधि में उन्होंने सीपीआई(एम)-नेतृत्व वाले लेफ्ट फ्रंट के साथ मिलकर राज्य को दो लगातार चुनावी जीत दिलाई - 2001 और 2006 में। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने पश्चिम बंगाल में औद्योगीकरण और बेरोजगारी के मुद्दों को सुलझाने के लिए कई कदम उठाए। इससे उन्हें व्यापक जनसमर्थन मिला।
हालांकि, भट्टाचार्य का कार्यकाल विवादों से रहित नहीं था। औद्योगिक परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर उन्होंने काफी आलोचना झेली, जिसके कारण लेफ्ट फ्रंट का 34 साल का शासन 2011 में समाप्त हो गया। बावजूद इसके, भट्टाचार्य ने चुनावी हार को गरिमा के साथ स्वीकार कर लिया और खराब सेहत के कारण सार्वजनिक जीवन से धीरे-धीरे संन्यास ले लिया।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भट्टाचार्य के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "मैं उनकी अचानक मृत्यु से स्तब्ध और दुखी हूं।" ममता बनर्जी ने भट्टाचार्य की ईमानदारी, शिष्टता और राज्य के विकास के लिए उनकी प्रतिबद्धता की सराहना की।
सीपीआई(एम) राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने भी उनके निधन की पुष्टि करते हुए कहा कि भट्टाचार्य का पार्टी और राज्य के प्रति योगदान अविस्मरणीय है। उनकी नेतृत्व क्षमता और निर्णय लेने की क्षमता ने उन्हें एक सम्मानित नेता बनाया।
बुद्धदेब भट्टाचार्य की राजनीतिक यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा राज्य के औद्योगिक विकास के प्रति उनका समर्पण था। उन्होंने कई बड़े औद्योगिक परियोजनाएं शुरू कीं, जो समय-समय पर विवादित भी रहीं। हालांकि उनका मुख्य उद्देश्य बेरोजगारी को कम करना और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना था।
उनकी आलोचना के बावजूद, भट्टाचार्य ने राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण सुधार किए। उनकी नीतियों ने विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार किया और गरीब छात्रों के लिए शिक्षा तक पहुँच बढ़ाई।
उनकी मृत्यु भारतीय राजनीति और पश्चिम बंगाल के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने अपने जीवनकाल में जो कुछ भी किया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा।
राजनीतिक जीवन के दौरान, भट्टाचार्य ने अपनी पार्टी सीपीआई(एम) को न केवल राज्यस्तरीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी मजबूती दी। उनकी दृष्टि और नेतृत्व ने पार्टी को कई कठिन दौर से निकालने में मदद की। इससे उनके समर्थकों में उनके प्रति गहरा आदर और सम्मान था।
आज, जब भट्टाचार्य हमारे बीच नहीं हैं, उनकी यादें और उनके द्वारा किए गए काम हमें हमेशा प्रेरित करेंगे। उनका राजनीतिक और सामाजिक योगदान कभी नहीं भुलाया जाएगा।
बुद्धदेब भट्टाचार्य के निधन के बाद, उनके अंतिम संस्कार के लिए बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। उनके समर्थक, पार्टी के सदस्य और आम नागरिक – सभी ने उनके प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
उनका निधन न केवल एक नेता की बल्कि एक समाज सेवक और एक विचारशील व्यक्तित्व की क्षति है। उनका जीवन और उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।
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