एक ही मैच में दो बार कंधा टकराया, 10% मैच फीस का जुर्माना लगा, एक डिमेरिट प्वाइंट भी मिला—और भारतीय ओपनर प्रतिका रावल ने साफ कहा, इरादा नहीं था। साउथैम्पटन में खेले गए पहले महिला ODI के बाद ICC ने रावल पर लेवल-1 उल्लंघन का दोष तय किया। आरोप था—खेल के दौरान टाला जा सकने वाला शारीरिक संपर्क। रावल ने सजा स्वीकार की, लेकिन यह भी दोहराया कि दोनों घटनाएं अनजाने में हुईं।
पहली घटना भारत की पारी के 18वें ओवर में हुई। भारत 259 रन का पीछा कर रहा था और एक रन पूरा करते वक्त रावल के रनिंग लाइन पर इंग्लैंड की तेज गेंदबाज लॉरेन फाइलर आ गईं। नॉन-स्ट्राइकर एंड की ओर भागते हुए रावल का कंधा फाइलर से छू गया। अगले ही ओवर में—जब सोफी एक्लेस्टोन ने रावल को आउट किया—पवेलियन लौटते वक्त रावल का कंधा एक्लेस्टोन से भी टकरा गया। दोनों मौके थोड़े-से स्पर्श जैसे लगे, पर नियम ‘avoidable physical contact’ को लेकर साफ हैं।
मीडिया से बात करते हुए रावल ने कहा कि दौड़ते हुए उनका ध्यान केवल रन पर था और कोई जानबूझकर धक्का नहीं था। उनके शब्दों में, विवाद बनाने जैसा कुछ नहीं हुआ। मैच रैफरी ने ICC कोड ऑफ कंडक्ट के तहत लेवल-1 उल्लंघन माना—और 10% मैच फीस के जुर्माने के साथ एक डिमेरिट प्वाइंट लगाया। रावल ने आरोप मान लिए, इसलिए मामला जल्द निपट गया और औपचारिक सुनवाई की जरूरत नहीं पड़ी।
उधर इंग्लैंड की कप्तान नैट सिवर-ब्रंट की टीम पर धीमी ओवर गति के कारण मैच फीस का 5% जुर्माना लगा। यह वही नियम है जिसमें टीम हर ओवर कम होने पर कुल मैच फीस का 5% तक दंड झेलती है। इंग्लैंड ने भी यह सजा स्वीकार कर ली।
मैच की बात करें तो रावल केवल विवाद की वजह से खबरों में नहीं थीं। उन्होंने 51 गेंद पर 36 रन बनाकर भारत को शुरुआती स्थिरता दी—स्मृति मंधाना के साथ 48 रन की ओपनिंग साझेदारी और फिर हरलीन देओल के साथ 46 रन जोड़कर लक्ष्य का आधार मजबूत किया। अंत में दीप्ति शर्मा 62* बनाकर डटी रहीं और भारत ने 49वें ओवर में चार विकेट शेष रहते 259 का पीछा पूरा किया। इससे भारत ने तीन मैचों की ODI सीरीज में 1-0 की बढ़त ली। इससे पहले पांच मैचों की T20I सीरीज भारत 3-2 से जीत चुका था।
दिलचस्प यह भी रहा कि इंग्लैंड की ओर से मैदान पर कोई तीखी आपत्ति दर्ज नहीं हुई। मैच के दौरान और बाद में भी दोनों टीमों ने पेशेवर तरीके से मामला संभाला। ICC की कार्रवाई आई, जुर्माने लगे, स्वीकार हुए और टीमें अगले मैच पर शिफ्ट हो गईं।
ICC कोड ऑफ कंडक्ट में लेवल-1 उल्लंघन सबसे निचले स्तर की सजा वाले मामले माने जाते हैं, पर ये ‘हल्के’ इसलिए हैं क्योंकि खिलाड़ी सीखकर आगे बढ़ सके। ‘Inappropriate and deliberate physical contact’ का दायरा उस स्पर्श को कवर करता है जो खेल के स्वाभाविक बहाव में नहीं था और जिसे खिलाड़ी थोड़ी सावधानी से टाल सकता था। रावल का पक्ष—इरादा नहीं था—मानवीय है, लेकिन नियम इरादे के साथ-साथ प्रभाव को भी देखते हैं। यानी आप टकराना नहीं चाहते थे, फिर भी अगर टकरा गए और वह avoidable था, तो दंड संभव है।
लेवल-1 में आमतौर पर चेतावनी, मैच फीस का 50% तक जुर्माना और 1-2 डिमेरिट प्वाइंट जुड़ सकते हैं। डिमेरिट प्वाइंट 24 महीने तक रिकॉर्ड में रहते हैं। चार डिमेरिट प्वाइंट होने पर वे सस्पेंशन प्वाइंट में बदल जाते हैं—और फिर प्रतिबंध लगता है (सामान्य तौर पर 2 सस्पेंशन प्वाइंट का मतलब 1 टेस्ट या 2 सीमित ओवर मैचों का बैन)। इसलिए एक प्वाइंट खुद में बड़ा खतरा नहीं, पर बार-बार चूकें जुड़ें तो असर पड़ता है।
यह प्रक्रिया कैसे चलती है? ऑन-फील्ड या थर्ड-एम्पायर घटना नोट करते हैं, मैच रैफरी के पास रिपोर्ट जाती है, खिलाड़ी को चार्ज किया जाता है। खिलाड़ी आरोप मान ले तो दंड तय होकर मामला खत्म। नहीं माने तो औपचारिक सुनवाई होती है। इस मैच में दोनों पक्ष—रावल और इंग्लैंड—ने अपने-अपने दंड स्वीकार कर लिए, इसलिए विवाद लंबा नहीं खिंचा।
धीमी ओवर गति पर भी एक नजर जरूरी है। ICC के नियम कहते हैं, निर्धारित समय में ओवर पूरे न होने पर टीम पर मैच फीस का जुर्माना लगता है—हर ओवर कम होने पर 5%। कुछ टूर्नामेंट में मैदान पर एक अतिरिक्त फिल्डर सर्कल के अंदर रखने जैसी ऑन-फील्ड पेनल्टी भी लागू होती है, ताकि ओवर रेट सुधारने का तात्कालिक दबाव बने। इंग्लैंड के लिए यह चेतावनी है कि लार्ड्स में क्लॉक से लड़ाई नहीं, क्रिकेट पर फोकस रहे।
तकनीकी नजरिए से देखें तो दौड़ते समय टकराव अक्सर ‘रनिंग लाइन’ के गलत चुनाव से आते हैं—विशेषकर तब, जब गेंदबाज फॉलो-थ्रू में पिच के बीच में रह जाए और नॉन-स्ट्राइकर एंड की ओर रास्ता संकरा हो जाए। टीमों के ट्रेनिंग ड्रिल्स में रनिंग एंगल, कॉलिंग (Yes-No-Wait) और खिलाड़ी की ‘shoulder awareness’ पर जोर दिया जाता है। बड़े मैदानों पर जहां गैप रनिंग ज्यादा होती है, ये छोटे-छोटे माइक्रो-स्किल्स ही दुर्घटनाएं रोकते हैं।
अब नजर अगले मुकाबले पर है—लॉर्ड्स। यह मैदान दबाव भी देता है और प्रेरणा भी। यहां अक्सर नई गेंद थोड़ी देर तक हिलती-डुलती है और आउटफील्ड तेज होने से शॉट्स का पुरस्कृत होना तय है। भारत के लिए शुरुआती ओवरों में विकेट बचाए रखना और मिडिल ओवर्स में स्ट्राइक रोटेट करना फिर अहम होगा। रावल के लिए भी यह अवसर है—पहले मैच की ठोस शुरुआत को बड़ी पारी में बदलने का।
इंग्लैंड की सोच साफ होगी: ओवर रेट संभालो, पावरप्ले में प्रहार करो और मध्य ओवरों में स्पिन के साथ पकड़ बनाओ। भारत की तरफ से दीप्ति शर्मा की फॉर्म बड़ा संकेत है—वे अंत तक खेलकर मैच बंद कर रही हैं। अगर टॉप ऑर्डर एक ठोस मंच दे देता है, तो भारत सीरीज जल्द सील कर सकता है। इंग्लैंड का हथियार एक्लेस्टोन की नियंत्रित स्पिन और मध्यम ओवरों में दबाव बनाना रहेगा।
फिलहाल ड्रेसिंग रूम का मूड शांत है। रावल ने साफ कर दिया कि टीम का फोकस केवल अगले मैच पर है। दोनों टीमों ने जिस तरह त्वरित रूप से अनुशासनात्मक मुद्दों को सुलझाया, उससे सीरीज का नैरेटिव क्रिकेट पर टिका है—ना कि साइड-शोज पर। यह किसी भी उच्च-स्तरीय बाइलेट्रल सीरीज के लिए अच्छा संकेत है।
सीरीज के आगे देखने लायक तीन बातें:
अंत में, नियमों का संदेश सरल है—इरादा भले साफ हो, मैदान पर स्पेस-शेयरिंग की जिम्मेदारी साझा होती है। एक-एक कदम की जागरूकता मैच का रंग बदल देती है। रावल का मामला याद दिलाता है कि प्रोफेशनल खेल में ‘avoidable’ और ‘deliberate’ के बीच बारीक रेखा होती है—और उसी पर संतुलन खेलना पड़ता है।
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