भारत का बजट हर साल चर्चा का कारण बनता है, और 2024 का बजट भी कोई अलग नहीं है। अगर आप अभी भी सोच रहे हैं कि इस बजट में क्या नए फैसले आए हैं, तो चलिए सरल भाषा में समझते हैं। इस लेख में हम बजट के प्रमुख आंकड़े, कर‑सुधार, सामाजिक योजनाएं और निवेशकों के लिए अवसरों पर बात करेंगे।
2024 के बजट में कुल खर्च लगभग 30 लाख करोड़ रुपये रखा गया है। इस में से लगभग 15% को स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचा में लगाया जाएगा। राजस्व हिस्से में टैक्स संग्रह को पिछले साल की तुलना में 7% बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार ने कस्टम ड्यूटी में 5% कटौती का ऐलान किया है, जिससे निर्यात‑आधारित कंपनियां फायदा उठा सकेंगी। साथ ही, विमा और कृषि क्षेत्र के लिए विशेष फंड भी अलग से तैयार किया गया है।
अगर आप शेयर मार्केट या म्यूचुअल फंड में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो बजट की कुछ घोषणाएँ मददगार होंगी। सबसे पहले, स्टार्ट‑अप्स के लिए टैक्स छूट 5 साल तक बढ़ा दी गई है। इससे नई कंपनियों को पूँजी जुटाने में आसानी होगी।
दूसरी बात, इन्फ्रास्ट्रक्चर बोण्ड्स की हिस्सेदारी बढ़ेगी, जिससे बैंकों और फाइनैंशियल संस्थानों के लिए लोन पोर्टफोलियो में नई आय का स्रोत खुलेगा। आप इन बॉण्ड्स को सीधे या फंड्स के जरिए खरीद सकते हैं।
तीसरा, रियल एस्टेट सेक्टर को भी धक्का मिलने वाला है। सरकार ने आवासीय योजनाओं के लिए किराए पर 40% सब्सिडी की घोषणा की है, जिससे रेंट‑टू‑ऑन‑ट्रांसफर मॉडल में निवेशकों को बेहतर रिटर्न मिल सकता है।
साथ ही, ऊर्जा क्षेत्र में सोलर और विंड प्रोजेक्ट्स को विशेष टैक्स प्रावधानों से समर्थन मिलेगा। अगर आप हरित ऊर्जा में निवेश चाहते हैं, तो बजट की ये बातें आपके लिए फायदेमंद हैं।
अंत में, व्यक्तिगत टैक्सदाताओं के लिए भी कुछ राहतें दी गई हैं। घर-खरीद पर ऋण पर 2% टैक्स डिडक्शन बढ़ा दिया गया है, और वरिष्ठ नागरिकों के लिए आय टैक्स स्लैब को थोड़ा सख्त करने की बजाय रेग्यूलेशन डिस्क्रिप्शन में स्पष्टता लाई गई है।
सारांश में, बजट 2024 आर्थिक विकास को तेज करने के लिए कई दिशा‑निर्देश देता है। चाहे आप छोटे निवेशक हों या बड़े व्यापारिक संस्थान, इस बजट में आपके लिए कुछ न कुछ नया है। अब समय है इन बदलावों को समझकर अपने वित्तीय प्लान को अपडेट करने का।
बजट 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था की चार बैलेंस शीट चुनौती को सुलझाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह चुनौती सरकार, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, बैंकों और कॉर्पोरेट क्षेत्र की तनावग्रस्त बैलेंस शीट से जुड़ी है। इन सभी क्षेत्रों की बैलेंस शीटों को ठीक किए बिना भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता और विकास संभव नहीं है।