बशर अल‑असद – सीरिया के राष्ट्रपति की पूरी कहानी

बशर अल‑असद का नाम कई बार समाचार में आता है, लेकिन वास्तव में वह कौन हैं? थोड़ा सा इतिहास देखें तो पता चलता है कि वह 2000 में अपने पिता हाफेज़ अल‑असद की मौत के बाद राष्ट्रपति बने। तब से अब तक वह सत्ता में रहे हैं, चाहे वह दंगा हो, आर्थिक समस्या हो या अंतरराष्ट्रीय दबाव।

उसकी शुरुआती ज़िंदग़ी काफी साधारण नहीं थी – वे एक सैन्य परिवार में जन्मे थे, लंदन में पढ़े, फिर सीरियाई सेना में शामिल हुए। अपनी फ़ाइल में कई बार वह सशस्त्र बलों का हिस्सा रहे, इसलिए जब राष्ट्रपति पद पर पहुँचा, तो उनकी सेना से गहरी कनेक्शन थी। यही कारण है कि वह अक्सर ‘सैनिक राष्ट्रपति’ की टैग से जुड़े रहते हैं।

बशर अल‑असद का जीवन और करियर

असद की राजनीति में झाँकते हुए हम देखते हैं कि उन्होंने कई बार विदेशियों से मुलाक़ात की, फिर भी घरेलू स्तर पर लोकतांत्रिक सुधारों की प्रतीत नहीं हुई। उनकी सबसे बड़ी कमजोरी, जैसा कि कई विशेषज्ञ कहते हैं, वह है विरोधियों को दबाने की कठोर नीति। 2011 में शुरू हुए दंगों को वह अक्सर ‘आतंकवाद’ कह कर दमन करते रहे।

इसी दमन की वजह से सीरिया में तबाही और मानवीय संकट बढ़ा। कई देशों ने उन पर प्रतिबंध लगाए, लेकिन बशर अल‑असद अपने समर्थकों में क़ीमती मानते रहे। ऐसे में कहा जाता है कि अगर आप उनके आसपास नहीं रहना चाहते तो उनके फैसलों को समझना जरूरी है।

अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बशर अल‑असद की भूमिका

असद की विदेश नीति हमेशा रूसी और ईरान के सहयोग पर टिकी रही। जब अमेरिका ने क़दम उठाया, तो असद ने रूसी सैन्य सहायता को ‘जीवनरेखा’ कहा। इस साझेदारी ने सीरिया को कई साल तक संघर्ष में टिकाए रखा।

हाल ही में, असद ने कुछ वार्ताओं में भाग लिया, जिससे मध्य‑पूर्व में हल्का‑फुलका खुलासा हुआ, पर मुख्य मुद्दे—जमीनी जनता की सुरक्षा और शरणार्थियों की वापसी—अभी भी अनसुलझे हैं। अगर आप अंतरराष्ट्रीय राजनीति को समझना चाहते हैं, तो असद की हर एक नीति को दृष्टि में रखना चाहिए, चाहे वह आर्थिक प्रतिबंध हो या सैन्य सहयोग।

सार में, बशर अल‑असद एक जटिल शख़्सियत हैं—सैन्य पृष्ठभूमि, निरपराध मानना‑परंतु कई बार मानवाधिकार उल्लंघन का दायित्व। उनका राजनीतिक सफ़र हमें यह सिखाता है कि शक्ति कैसे टिकती है और क़ीमत क्या होती है। अगर आप मध्य‑पूर्व के मामलों में रुचि रखते हैं, तो असद के कदमों को नज़रअंदाज़ न करें।

देराआ में अल-असद की हार: हम्स की ओर बढ़ रहे विद्रोही, सीरियाई संघर्ष में बड़ा मोड़
  • Sharmila PK
  • दिनांक चढ़ा हुआ 7 दिस॰ 2024

देराआ में अल-असद की हार: हम्स की ओर बढ़ रहे विद्रोही, सीरियाई संघर्ष में बड़ा मोड़

सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद की सेना ने दक्षिण सीरिया के प्रमुख शहर दारा पर नियंत्रण खो दिया है, जो विद्रोही समूहों के कब्जे में आ गया है। यह हाल में हुआ चौथा शहर है जिसे असद की सेना खो चुकी है। विद्रोही अब हम्स के करीब पहुंच चुके हैं। हम्स पर कब्जा सीरिया के संघर्ष में निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।