तीरंदाजी सिर्फ एक खेल नहीं, यह हाथ‑और‑मन की एक जुगलबंदी है। भारत में तीरंदाजी की जड़ें बहुत पुरानी हैं, लेकिन आज इसका चेहरा पूरी तरह बदल गया है। अगर आप नई जानकारी चाहते हैं या सिर्फ़ तीरंदाजी के बारे में जिज्ञासु हैं, तो यह लेख आपके लिए है। चलिए, सीधे बात करते हैं कि भारत में तीरंदाजी कैसे बढ़ी, कौन‑कौन से खिलाड़ी ने देश को गर्व दिलाया और आगे क्या संभावनाएँ हैं।
भारत में तीरंदाजी का इतिहास प्राचीन महाकाव्य ‘महाभारत’ तक जाता है, जहाँ भीरु और अर्जुन जैसे धुरे तीरंदाज़ों का ज़िक्र है। आधुनिक प्रतिस्पर्धी तीरंदाजी का परिचय 1970 के दशक में हुआ, जब भारत ने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू किया। 1984 में एशियन गेम्स में बॉक्सिंग‑पेंसिल तीरंदाजी में पहला पदक जीत कर भारत ने अपनी क्षमता दिखा दी। इसके बाद 2004 में टोक्यो ऑलिम्पिक में सुनील कुमार ने सिल्वर मेडल जीता, जिसने तीरंदाज़ों को नया उत्साह दिया।
वर्तमान में भारत के पास कई नामी तीरंदाज़ हैं। प्रीति शंकर ने 2021 में टोक्यो में महिला व्यक्तिगत रिवर्स रॉ 70 kg में स्वर्ण पदक जीता, जो भारत के लिए पहला ऑलिम्पिक स्वर्ण था। बिविक चक्रवर्ती ने 2022 में विश्व चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदक जेतें, जिससे भारतीय तीरंदाजी की ताकत और बढ़ गई। सनी बकल ने पेरू में आयोजित विश्व कप में ऐतिहासिक जीत कर देश को नया मानक दिखाया। ये खिलाड़ी सिर्फ़ मेडल नहीं जिता रहे, बल्कि युवा जेनरेशन को प्रेरित कर रहे हैं।
अगर आप तीरंदाजी सीखना चाहते हैं, तो भारत में कई सरकारी और निजी प्रशिक्षण केंद्र हैं। दिल्ली‑ऑल इंडिया एस्ट्रॉ स्पोर्ट्स अकादमी, हरियाणा का राष्ट्रीय तीरंदाजी केंद्र, और राजस्थान का जयपुर एरोस्पेस क्लिनिक एन्हांस्ड ट्रेनिंग हब—ये सब जगहें आधुनिक उपकरण, प्रोफेशनल कोच और नियमित प्रतियोगिताओं का माहौल देती हैं। शुरुआती स्तर के लिए 70 kg रिवर्स बाउंड और 60 kg रिवर्स बाउंड दोनों विकल्प उपलब्ध हैं, जिससे आप अपनी क्षमता अनुसार चयन कर सकते हैं।
आगामी घटनाओं की बात करें तो 2025 में एशियन गेम्स में तीरंदाजी का बड़ा सिलसा है। भारत ने पहले से ही टीम चयन कर ली है और कई युवा उभरते सितारे तैयार हो रहे हैं। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय तीरंदाजी फ़ेडरेशन (World Archery) द्वारा आयोजित ग्रैंड प्री में भारत को एक होस्ट फेज़ मिल रहा है, जिससे स्थानीय खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का अनुभव मिलेगा।
ताकि आप तीरंदाजी में बेहतर बन सकें, कुछ आसान टिप्स फॉलो करें—पहले सही ग्रिप और पॉज़िशन को समझें, फिर शॉट की सटीकता पर फोकस करें। नियमित व्यायाम, विशेषकर कंधे और कोर स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, मददगार रहती है। हर प्रैक्टिस सेफ़्टी गियर पहनना न भूलें, क्योंकि चोट से बचाव हमेशा प्राथमिकता रहेगी। इस रूटीन को अपनाकर आप धीरे‑धीरे अपने स्कोर में सुधार देखेंगे।
भारत की तीरंदाजी अब सिर्फ़ एक खेल नहीं, बल्कि एक संकल्प बन चुकी है। चाहे आप एक शुरुआती हों, प्रशिक्षक या फैंस, इस क्षेत्र में कई अवसर हैं। तो तैयार हो जाइए, बाण उठाइए और अपने लक्ष्य को साधिए—क्योंकि अगला स्वर्ण पदक आपका भी हो सकता है।
परीस पैरालिंपिक्स 2024 में भारतीय तीरंदाज सरिता कुमारी और शीतल देवी को शुरुआती दौर में निराशाजनक हार का सामना करना पड़ा। सरिता कुमारी क्वार्टरफ़ाइनल में कोरिया की शीर्ष स्थान की खिलाड़ी ओज़नुर से हार गईं, जबकि शीतल देवी अंतिम-16 चरण में चिली की मरीआना ज़ुनीगा के हाथों हार गईं। उनकी हार से भारतीय तीरंदाजी के प्रदर्शन को बड़ा झटका लगा है।