परीस पैरालिंपिक्स में सरिता कुमारी और शीतल देवी का निराशाजनक प्रदर्शन: भारत की उम्मीदों को बड़ा झटका

घर परीस पैरालिंपिक्स में सरिता कुमारी और शीतल देवी का निराशाजनक प्रदर्शन: भारत की उम्मीदों को बड़ा झटका

परीस पैरालिंपिक्स में सरिता कुमारी और शीतल देवी का निराशाजनक प्रदर्शन: भारत की उम्मीदों को बड़ा झटका

1 सित॰ 2024

在 : Sharmila PK खेल जगत टिप्पणि: 9

परीस पैरालिंपिक्स में भारतीय तीरंदाजी टीम की चुनौती

भारत के तीरंदाज सरिता कुमारी और शीतल देवी ने परीस पैरालिंपिक्स 2024 में प्रारंभिक दौर में जोरदार प्रयास दिखाया, परंतु दुर्भाग्यवश वे अपने मुकाबलों को जीत नहीं सकीं। जहां सरिता कुमारी फ़रीदाबाद से हैं और नौवें स्थान की सीडेड तीरंदाज थीं, उन्होंने शुरुआती दौर में अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन अंततः कोरिया की शीर्ष स्थान की खिलाड़ी ओज़नुर क्योर गिर्दी से क्वार्टरफाइनल में हार गईं। ओज़नुर ने क्वालिफाइंग राउंड में 720 में से 704 अंक बनाकर नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया और मैच में तीन परफेक्ट 10s मारते हुए पांच अंकों की बढ़त बना ली।

सरिता कुमारी ने इटली की एलीओनोरा सारती को प्री-क्वार्टर में 141-135 और मलेशिया की नूर जनातॉन अब्दुल जलील को पहले दौर में 138-124 से हराया था। लेकिन क्वार्टरफाइनल में उच्च स्कोर और निरंतर दबाव के बावजूद, वह ओज़नुर के सामने नहीं टिक पाईं। ओज़नुर की उत्कृष्ट तीरंदाजी ने उन्हें इस मुकाबले में विजयी बनाया।

शीतल देवी की चुनौतीपूर्ण यात्रा

दूसरी ओर, शीतल देवी, जो एक आर्मलेस तीरंदाज और एशियन पैरा गेम्स की डबल गोल्ड मेडलिस्ट हैं, को भी 16 वें चरण में निराशाजनक हार का सामना करना पड़ा। शीतल, जिन्होंने क्वालिफिकेशन राउंड में 703 अंक बनाए थे, को अंतिम-16 दौर में सीधे बाई मिली थी। हालांकि, मुकाबले के दूसरे दौर में चिली की मरीआना जूनीगा, जो टोक्यो पैरालिंपिक्स की सिल्वर मेडलिस्ट हैं, से सात अंकों के तीर के कारण शीतल का ग्राफ नीचे गिरा।

मुकाबला बेहद प्रतिस्पर्धात्मक था, लेकिन अंतिम तीर में मरीआना ने नौ अंक बनाए जबकि शीतल आठ अंक ही बना पाईं। यह छोटी सी चूक अंततः शीतल के हार का कारण बनी। पहले दौर में मजबूत शुरुआत करते हुए शीतल ने 29-28 से जीत दर्ज की थी, परंतु दूसरे दौर में सात अंकों के तीर ने मरीआना को बराबरी करने का मौका दे दिया।

भारतीय तीरंदाजी के लिए बड़ा झटका

सरिता और शीतल की हार ने भारतीय तीरंदाजी के लिए बड़ा झटका साबित किया है। प्रत्येक खिलाड़ी ने अपनी सर्वोत्तम क्षमता का प्रदर्शन किया, लेकिन किस्मत और प्रतिद्वंदियों की ताकत के सामने मजबूरी झेलनी पड़ी। अंततः दोनों खिलाड़ियों की कोशिशें सराहनीय रहीं, परंतु पदक के लिए उनका सफर समाप्त हो गया।

इस अनुभव से भारतीय तीरंदाजी की टीम को सीखने के महत्वपूर्ण अवसर मिले हैं। इन खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने उन्हें आगे और भी मजबूत बनाने का काम किया है। इन दोनों खिलाड़ियों की हार एक बेहतर भविष्य की नींव के पत्थर के रूप में काम करेगी, जिससे भारतीय खेल जगत एक नई दिशा में अग्रसर होगा।

टिप्पणि
Raghunath Daphale
Raghunath Daphale
सित॰ 3 2024

बस यही हो रहा है भाई... हमारे खिलाड़ी तो हमेशा अच्छा खेलते हैं, पर जब बड़े मुकाबले आते हैं तो फिर ढेर हो जाते हैं। 😒 जब तक हमारी सरकार खेल को असली तरह से नहीं समझेगी, तब तक पदक तो बस सपने रहेंगे।

Renu Madasseri
Renu Madasseri
सित॰ 3 2024

सरिता और शीतल दोनों ने जो किया, वो बस शानदार था। ये लड़कियां अपने शरीर की सीमाओं को तोड़कर दुनिया के सामने अपनी ताकत दिखा रही हैं। जीत या हार, उनकी हिम्मत ही सबसे बड़ी जीत है। 🙌 भारत को इन्हें गर्व से देखना चाहिए।

Aniket Jadhav
Aniket Jadhav
सित॰ 3 2024

ये लड़कियां तो बस अच्छे से खेल रही थीं। कोई बड़ा गलती नहीं की। बस दूसरे खिलाड़ी बहुत ज्यादा अच्छे थे। हमें इनका साथ देना चाहिए, ना कि उन पर बोझ डालना। 🤝

Anoop Joseph
Anoop Joseph
सित॰ 4 2024

हार भी एक तरह की जीत होती है, अगर आपने पूरी कोशिश की हो।

Kajal Mathur
Kajal Mathur
सित॰ 6 2024

इस प्रदर्शन को आसानी से 'उम्मीदें टूटीं' कहकर नहीं बर्बाद किया जा सकता। यह एक व्यवस्थित असफलता है, जिसके पीछे अनुशासन की कमी, प्रशिक्षण की अपर्याप्तता और राष्ट्रीय स्तर पर खेल विकास के लिए निवेश की अनुपलब्धता है। इस तरह के निष्कर्ष बनाने से बेहतर है कि हम वास्तविक समस्याओं को समझें।

rudraksh vashist
rudraksh vashist
सित॰ 7 2024

मैंने देखा था शीतल का आखिरी तीर... उसकी आंखों में बहुत कुछ था। नहीं जीता, पर दिल से जीता। इन लड़कियों के लिए हमें गर्व होना चाहिए। बस थोड़ा सा समर्थन और बेहतर तैयारी, अगली बार पदक जरूर मिलेगा। ❤️

Archana Dhyani
Archana Dhyani
सित॰ 9 2024

अरे भाई, ये सब तो बस एक झूठी उम्मीद की कहानी है। जब तक हमारे खिलाड़ी विदेशी प्रशिक्षकों के साथ रहेंगे, जब तक हमारे स्पोर्ट्स अथॉरिटी अपने आप को आधुनिक तकनीकों से अपडेट नहीं करेंगे, तब तक हम बस इन निराशाजनक प्रदर्शनों को देखते रहेंगे। ये दोनों लड़कियां बहुत अच्छी हैं, लेकिन उनके लिए जो वातावरण है, वो बस बहुत अपर्याप्त है। इसे 'किस्मत' कहना बस एक बहाना है।

Guru Singh
Guru Singh
सित॰ 9 2024

शीतल देवी के आखिरी तीर का स्कोर 8 था, लेकिन उसकी टेक्निक और फोकस की बात देखो। उसने अपने शरीर की सीमा को पार कर दिया। ये बातें आंकड़ों में नहीं दिखतीं। अगर ये खिलाड़ी अच्छे तरीके से सपोर्ट किए जाएं, तो अगली बार हमें गोल्ड मिलेगा।

Madhav Garg
Madhav Garg
सित॰ 10 2024

भारतीय तीरंदाजी का इतिहास इन दोनों खिलाड़ियों के साथ नया अध्याय लिख रहा है। उनकी संघर्ष और लगन को देखकर लगता है कि भारत के खेलों का भविष्य उज्ज्वल है। उनकी हार ने नहीं, उनकी लड़ाई ने भारत को दुनिया के सामने एक नई पहचान दी है।

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