जब हम बुद्ध पूर्णिमा, बुद्ध जयंती के रूप में मनाई जाने वाली पवित्र पूर्णिमाहीन तिथि. इसे वेसाक भी कहा जाता है, तो इस अवसर की महत्ता स्पष्ट हो जाती है। इस टैग में आप गौतम बुद्ध, छाया सिद्धार्थ के रूप में जन्मे, चार आर्य सत्य के प्रवर्तक के जीवन की झलक, धर्म, बुद्ध के उपदेशों का संग्रह, चार आर्य सत्यों और अष्टांग मार्ग को समाहित करता है और ध्यान, मन को एकाग्र करने की प्रक्रिया, जिससे मोक्ष की ओर बढ़ा जा सके से जुड़े तथ्य पाएंगे। यही तीन घटक मिलकर बुद्ध पूर्णिमा को आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक स्तर पर परिभाषित करते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा का मूल संबंध शाक्य राजवंश से है, जहाँ सिद्धार्थ ने अपना पहला उपदेश दिया था। इस घटना को याद करने के लिए पूरे भारत‑बावेर तक कई मठ और मंदिर विशेष कार्यक्रम आयोजित करते हैं। बुद्ध पूर्णिमा के दौरान अक्सर उपवास, पवित्र जल स्नान और मोतीबिंदु पर धूप जलाना देखा जाता है। ये रीति‑रिवाज़ शाक्य की परम्पराओं से उधार ली गई हैं और आज भी स्थानीय जनसंख्या में गहरी श्रद्धा बनाये रखते हैं। कई लोग इस दिन मंदिरों में दान‑पात्र रखकर, गरीबों को भोजन करवाते हैं, जिससे धम्म के ‘परहित’ सिद्धांत को व्यावहारिक रूप से लागू किया जाता है।
आधुनिक समय में, बुद्ध पूर्णिमा ने सिर्फ धार्मिक समारोह नहीं, बल्कि जागरूकता अभियान भी बन गया है। स्कूलों में ध्यान कक्षा, कार्यशालाएँ और ऑनलाइन वेबिनार आयोजित होते हैं, जहाँ विशेषज्ञ ध्यान के वैज्ञानिक पहलुओं पर चर्चा करते हैं। इस तरह के कार्यक्रम धम्म के शिक्षण को वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य से जोड़ते हैं और युवा वर्ग को आकर्षित करते हैं। साथ ही, विभिन्न शहरों में आयोजित ‘लोटस स्ट्रीट फेयर’ में शाक्य‑शैली के सजावट, शाक्य‑भोजन और संगीत की झलक मिलती है, जो परम्परा को नवपरिचय देता है।
धर्मगुरु और लामा भी इस अवसर पर उपदेश देते हैं कि कैसे ध्यान द्वारा मन को शुद्ध करके दैनिक जीवन में शांति प्राप्त की जा सकती है। इन उपदेशों का मुख्य बिंदु यह है कि पूर्णिमा की चांदनी में बंधे मन को मुक्त किया जा सके, क्योंकि चंद्रमा का प्रकाश आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ाता है। इस प्रकार, बुद्ध पूर्णिमा केवल एक तिथि नहीं, बल्कि एक समग्र जीवन‑शैली का संकेत है—जिसमें आध्यात्मिक अभ्यास, सामाजिक सेवा और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति आपस में जुड़े होते हैं।
आगे इस पृष्ठ पर आपको विभिन्न लेख मिलेंगे जो बुद्ध पूर्णिमा के विभिन्न पहलुओं—इतिहास, वर्तमान उत्सव, धर्मिक शिक्षाएँ और व्यावहारिक टिप्स—को विस्तार से बताते हैं। चाहे आप पहली बार इस त्यौहार के बारे में जानना चाहते हों या गहराई में उतरना चाहते हों, हमारे संग्रह में हर रुचि के लिए कुछ न कुछ है। अब नीचे स्क्रॉल करके देखें और अपने मन को शांति व प्रेरणा से भरें।
12 मई 2025 को बुद्ध पूर्णिमा पर भारतीय शेयर बाजार खुला रहेगा या बंद? BSE, NSE और RBI की आधिकारिक जानकारी से पता चलता है कि अधिकांश सेगमेंट्स खुलेंगे, सिर्फ कुछ डेरिवेटिव बंद रहेंगे.