जब हम धातु पुल, स्टील या एल्यूमीनियम जैसी धातु से बने पुल, जिन्हें लोड‑बेरिंग और दीर्घकालिक स्थिरता के लिए डिजाइन किया जाता है. इसे अक्सर स्टील ब्रिज कहा जाता है, क्योंकि यह परम्परागत कंक्रीट संरचनाओं से अलग हल्के और मजबूत प्रोफ़ाइल प्रदान करता है। भारत में आजकल अधिकांश हाईवे और रेलवे ओवरपास के लिए धातु पुल प्राथमिक विकल्प बन चुके हैं।
धातु पुल पुल निर्माण, एक व्यापक प्रक्रिया जिसमें सर्वे, डिजाइन, सामग्री चयन, फोर्जिंग और साइट असेंबली शामिल है से जुड़ा होता है। कार्यान्वयन के दौरान दो प्रमुख सिद्धांत चलाते हैं: सामग्री की शक्ति‑से‑वजन अनुपात और जॉइंट की स्थिरता। इस कारण अक्सर प्री‑फ़ैब्रिकेटेड घटकों को फैक्ट्री में तैयार कर साइट पर जोड़ते हैं, जिससे समय‑बचत और गुणवत्ता नियंत्रण दोनों बेहतर होते हैं।
धातु पुल की संरचना धातु संरचना, स्टील बीम, ट्रस, गैटर और कैबिल्स का सम्मिलित सिस्टम है जो विभिन्न लोड को सही ढंग से वितरित करता है पर निर्भर करती है। ट्रस डिजाइन में अक्सर ‘वैल्यू ट्रस’ और ‘इंटरनेट ट्रस’ की बातें सुनते हैं—ये शब्द लोड को त्रिकोणीय रूप में वितरित करके अधिकतम स्थिरता देते हैं। इसके अलावा, आधुनिक धातु पुल में एंटी‑कोरोशन कोटिंग, फोटोगैल्वेनिक प्रोसेस और रस्ट‑इन्हिबिटिंग प्री‑कोट्स का प्रयोग किया जाता है, जिससे सालों तक खुरती नहीं।
सुरक्षा मानक और कोड सुरक्षा मानक, भारतीय मानक ब्यूरो (IS) और अंतर्राष्ट्रीय लोड‑बेरिंग मानकों पर आधारित निर्देशावली है धातु पुल की जीवन‑चक्र को तय करती है। IS 800 (स्टील डिज़ाइन) और IS 456 (कंक्रीट बनाम) के साथ IS 1893 (भूकंप लोड) का अनुप्रयोग सुनिश्चित करता है कि पुल भूकंप, तेज़ हवा और भारी ट्रैफ़िक सहन कर सके। संरचनात्मक इंजीनियर अक्सर ‘फैक्टर ऑफ़ सेफ़्टी’ को 1.5 से 2.0 के बीच रखकर विश्लेषण करते हैं; यह त्रिकोणीय सुरक्षा को दोहराता है—एक साइड लोड, एक साइड मोमेंट, और सामग्री की अंतर्निहित शक्ति।
रखरखाव की बात करें तो धातु पुल के लिए नियमित निरीक्षण अनिवार्य है। हर दो साल में रिव्यू में जॉइंट घिसावट, पैनिकल कट, कोटिंग की परत घटाव और थकान दर की जाँच की जाती है। डिटेक्शन तकनीक में अल्ट्रासोनिक थिकनेस माप, मैग्नेटिक पार्टिकल परीक्षण और ड्रोन‑आधारित विज़ुअल सर्वे शामिल हैं। इन तरीकों से समय पर मरम्मत करने पर जीवन‑वृद्धि 30‑40% तक बढ़ाई जा सकती है।
इन सब बातों को देखते हुए आप समझेंगे कि धातु पुल सिर्फ एक ‘पुल’ नहीं, बल्कि एक बहु‑स्तरीय प्रणाली है जिसमें डिजाइन, सामग्री, नियम‑का पालन और निरंतर देख‑रेख एक साथ चलते हैं। अगले हिस्से में हम विभिन्न प्रकार के धातु पुल, उनके विशिष्ट उपयोग‑केस और भारत में हाल के प्रमुख प्रोजेक्ट्स की झलक देंगे। यदि आप इन तकनीकों को गहराई से जानना चाहते हैं तो नीचे दी गई सूची में मिलते हैं वह सब—उदाहरण, विश्लेषण और ताज़ा समाचार।
दरजीलींग के मिरिक में धातु पुल के गिरने से 6‑9 लोग मारे गये, भारी बारिश और भूस्खलन ने बचाव को कठिन बना दिया, प्रधानमंत्री मोदी ने शोक व्यक्त किया।