जब मिरिक के पास दुडिया आयरन ब्रिज का गिरना हुआ, तो पूरे पश्चिम बंगाल में धड़कन तेज हो गई – आधा दर्जन से नौ लोगों की जान गई, और दिन‑रात की आवाज़ में बाढ़ के साथ लहराते मलबे ने गाँव‑गाँव को अछूता नहीं छोड़ा।
यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना दरजीलींग जिले के एक छोटे से कस्बे सिलिगुड़ी‑कुर्सेओंग को जोड़ने वाले दुडिया आयरन ब्रिज के ध्वस्त होने से हुई। आधिकारिक तौर पर रविवार, 5 अक्टूबर 2025 को, लगातार तेज़ बारिश ने नदियों की धारा को उछाल दिया, जिससे पुल के नीचे के डैमेज़िंग स्टील बॉल्ट टूट गए और पुल पूरी तरह धँस गया। स्थानीय प्रशासन ने प्रारम्भिक आँकड़े 6 मृत घोषित किए—सौरानी (धारा) में 3, मिरिक बस्ती में 2, और विष्णु गाँव में 1—but अलग‑अलग स्रोतों ने मृत्यु संख्या 9 तक पहुँचाने की बात कही है।
पुल के ध्वस्त होने के साथ ही, नदी किनारे बने कई घरों का भी ढहना देखा गया। वीडियो फुटेज में दिखता है कि इंटीरियर वाले मकान कार्ड के ढेर की तरह गिरते हैं और नदी में मलबा बहता है। इस समय, पश्चिम बंगाल आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (WB‑DMA) ने 10‑से‑15 टीमों को तुरंत तैनात किया, परन्तु लगातार बारिश और नए‑नए भूस्खलन के ख़तरे ने बचाव कार्य को मुश्किल बना दिया।
दरजीलींग की पहाड़ी इलाकों में हर वर्ष जुलाई‑दिसंबर के बीच भारी बारिश रहती है, जिससे सतही जल संचयन और भू‑स्तर में अस्थिरता बनती है। पिछले साल ही, उसी जिले में 23 गुरुवार को एक बड़े भूस्खलन ने 9 लोगों की जान ले ली थी और 12 गांवों को सम्पूर्ण रूप से अलग‑थलग कर दिया था। इस साल के शनिवार को, दडरहिल के हुसेन खोला क्षेत्र में बड़े पेड़ गिरने की घटना भी रिपोर्ट हुई, जिससे स्थानीय प्रशासन को सतह‑स्तरीय चेतावनी जारी करनी पड़ी।
इतिहास कहता है कि 1999 में एक समान धातु पुल का पतन हुआ था, तब भी बारिश‑की वजह से 5 लोग चोटिल हुए थे। विशेषज्ञों का कहना है कि पुरानी धातु संरचनाएं, जो अक्सर बिना पर्याप्त रख‑रखाव के छोड़ दी जाती हैं, मौसम में अचानक बदलाव से आसानी से टूटती हैं। "पारंपरिक डिज़ाइन और अपर्याप्त देखभाल ने इस हादसे में बड़ा योगदान दिया," एंटोनी पांडेय, जो जलवायु विशेषज्ञ हैं, ने कहा।
आसपास के गांवों में संचार टूट जाने के कारण, बचाव दलों को हेलीकॉप्टर और छोटे‑छोटे बोट का उपयोग करना पड़ा। नरेंद्र मोदी, भारत के प्रधानमंत्री, ने राष्ट्रीय स्तर पर इस त्रासदी पर गहरा शोक जताया और तुरंत केंद्र के प्रमुख मंत्रियों को निर्देश दिया कि वे सहायता सामग्री और मेडिकल टीम जल्दी‑जल्दी भेजें।
पुल की गिरावट के बाद, नदी में उत्पन्न बाढ़ ने कई रोड को भी बहा दिया, जिससे पहाड़ी क्षेत्र तक पहुँच और कठिन हो गई। बचाव में भाग लेने वाले स्वयंसेवकों ने कहा कि "बारिश के साथ‑साथ बाढ़ का डर भी है, कोई भी टीम तब तक नहीं दाहड़ेगी जब तक सतह पर स्थिरता नहीं आ जाती।"
दुडिया आयरन ब्रिज मिरिक‑कुर्सेओंग‑सिलिगुड़ी मार्ग पर रोज़ाना लगभग 2,500 यात्रियों को जोड़ता था। इस पुल के बंद होने से न केवल स्थानीय व्यापारियों को नुकसान हुआ, बल्कि पर्यटक अवकाश स्थल मिरिक की सैर‑सपाटा भी प्रभावित हुई। होटल उद्योग ने अनुमान लगाया कि इस साल की पीक सीजन में राजस्व में 30‑40% गिरावट आएगी।
साथ ही, इस क्षेत्र की कृषि भी भारी पीड़ित है; बहुत सारे बाग़ों की जड़ें बरसात के पानी में धँस गईं और फसलों को निचोड़ लिया गया। स्थानीय महिला समूह ने बताया कि "हमें अब जल‑संकट के साथ-साथ संरचनात्मक अभाव भी झेलना पड़ रहा है।"
सरकार ने इस साल के अंत तक सभी हिल‑एरिया के पुराने पुलों का व्यापक निरीक्षण करने की घोषणा की है। पश्चिम बंगाल सार्वजनिक कार्य विभाग ने कहा कि नई तकनीक‑आधारित पुल निर्माण, जैसे प्री‑स्ट्रेस्ड कंक्रीट, को प्राथमिकता दी जाएगी।
कुर्सेओंग के मेयर ने स्थानीय लोगों को आग्रह किया कि वे अनियमित निर्माण कार्यों से बचें और जल निकासी के लिए सामुदायिक योजना बनाएं। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि स्थानीय जल‑प्रबंधन बोर्ड को सशक्त बनाया जाए, ताकि अगले साल की मौसमी बाढ़ से पहले ही एहतियात बरती जा सके।
लगातार भारी बारिश ने नदी की धारा को तेज़ किया, जिससे पुल के बेस में जंग और तनाव बढ़ गया। पुराने धातु बॉल्ट पर्याप्त मेंटेनेंस नहीं मिलने के कारण टूट गए, और पुल नीचे गिर गया।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 6 लोग मारें गये – सौरानी में 3, मिरिक बस्ती में 2 और विष्णु गाँव में 1। लेकिन कई स्थानीय रिपोर्टें कुल संख्या को 9 तक ले जाकर बताती हैं। इन गाँवों के अलावा, दुर्लभ रूप से दारिलाम और हुसेन खोला क्षेत्रों में भी बाढ़‑भूस्खलन हुए।
बाधित सड़कें, निरंतर बाढ़ और नई‑नई भूस्खलन की आशंका ने बचाव टीमों की पहुँच को सीमित कर दिया। संचार पटरी भी टूट गयी, इसलिए हेलिकॉप्टर और बोट का सहारा लेना पड़ा।
पश्चिम बंगाल सार्वजनिक कार्य विभाग ने सभी पुराने पुलों के तकनीकी निरीक्षण का आदेश दिया और नई कंक्रीट‑आधारित संरचनाओं को प्राथमिकता दी। साथ ही जल‑प्रबंधन बोर्ड को सशक्त करने की योजना भी तैयार है।
पुल बंद रहने से मिरिक‑कुर्सेओंग के बीच सड़कों पर यातायात बाधित हो गया, जिससे होटल और स्थानीय दुकानों की आय घटेगी। अनुमान है कि इस पीक सीजन में राजस्व 30‑40% तक घट सकता है।
Subi Sambi
पहले तो कहना पड़ेगा, इस तरह की बड़ी मोटी बुनियादी ढाँचा की बेफ़िक्री वाकई निराशाजनक है।
जब पुल जैसी ज़रूरी लाइफलाइन पर रखरखाव की लापरवाही दिखती है, तो लोगों की जान को खतरे में डालना कोई नयी बात नहीं।
दरजीलींग की सरकार को चाहिए कि ऐसे पुराने धातु पुलों का तुरंत ऑडिट कराए।
किसी भी मौसम में, विशेषकर भारी बारिश के समय, इनकी जाँच अनिवार्य होनी चाहिए।
हालाँकि, रिपोर्ट दिखाती है कि कई सालों से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
इस परिणामस्वरूप, बाढ़ का जल स्तर बढ़ते ही पुल का स्ट्रक्चर टूट गया।
यह केवल तकनीकी कमी नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का प्रमाण है।
आगे चलकर, ऐसी घटनाओं से बचने के लिए प्री‑स्ट्रेस्ड कंक्रीट जैसी नई तकनीकों को अपनाना ज़रूरी है।
स्थानीय लोग अब असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और उनका भरोसा टूट गया है।
सरकार को तुरंत राहत सामग्री और मेडिकल टीम भेजनी चाहिए।
समय के साथ, यदि पुनर्निर्माण नहीं हुआ तो आर्थिक नुकसान बढ़ेगा।
पर्यटकों और व्यापारियों का भरोसा वापस नहीं आएगा।
इसलिए, एक व्यापक योजना बनाकर पुराने पुलों को बदलना प्राथमिकता होनी चाहिए।
बचाव कार्यों में बेहतर समन्वय के लिए डिजिटल मैपिंग भी मददगार साबित हो सकती है।
संक्षेप में, यह त्रासदी शासन की असक्रियता का सीधा परिणाम है।
आशा है कि अगली रिपोर्ट में हम सुधार देखेंगे, न कि फिर से वही कहानी।