एकादशी व्रत: शुरुआत से अंत तक आसान गाइड

हर महीने की अन्धेरी रात में जब चंद्रमा पूरी तरह नहीं दिखता, तब एकादशी आती है। कई लोग इसे सिर्फ उपवास समझते हैं, पर असल में यह शारीरिक और मन की सफ़ाई का खास मौका है। इस लेख में हम बताएंगे कि एकादशी व्रत को सही ढंग से कैसे रखें और इससे कौन‑कौन से फ़ायदे मिलते हैं।

एकादशी व्रत कैसे रखें?

सबसे पहले, व्रत शुरू करने का समय पता करें। यह चंद्रमा की अर्धिमा के बाद की रात होती है, इसलिए स्थानीय पंचांग या मोबाइल एप से सही तारीख देख लें। व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर हल्का नाश्ता न करें, सिर्फ पानी या नारियल पानी पिएँ। दोपहर के खाने में हल्का फल या सब्ज़ी वाला हलवा ले सकते हैं, पर ज्यादा तैलीय या मीठा नहीं।

व्रत का मुख्य हिस्सा दो भाग में बाँटा जाता है – सूर्योदय से सूर्यास्त तक और फिर रात भर। पहले हिस्से में आपको स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनने चाहिए, फिर मंदिर या घर में भगवान् की पूजा‑अर्चना करें। अगर आपके पास समय कम है, तो घर की छोटी पूजा भी चलती है – बस एक दीपक, पान और थोड़ा सा फल रखें।

रात का समय सबसे महत्वपूर्ण है। रात के 9 बजे के बाद पानी ही नहीं, बल्कि फलों का रस या नारियल पानी भी पीना बंद कर दें। इससे शरीर को पूरी तरह से डिटॉक्स करने का मौका मिलता है। सोने से पहले हल्का ध्यान या प्राणायाम करें, यह मन को शांत रखता है और ताजगी देता है।

एकादशी के प्रमुख लाभ

एकादशी व्रत का सबसे बड़ा फ़ायदा है शरीर की सफ़ाई। जब हम अन्न से दूर रहते हैं, तो पाचन तंत्र आराम पाता है और जठर‑आंत में जमा ज़हरीले पदार्थ बाहर निकलते हैं। कई लोग इस व्रत के बाद पेट की दिक्कत, गैस या कब्ज़ से राहत महसूस करते हैं।

मन को भी इस दिन शांति मिलती है। बिना भारी भोजन के दिमाग हल्का रहता है, इसलिए ध्यान‑धारणा आसान होती है। कुछ लोग कहते हैं कि एकादशी के बाद उनका तनाव घट जाता है और नींद में सुधार होता है।

धार्मिक दृष्टिकोण से, एकादशी व्रत भगवान् गणेश या विष्णु के प्रति भक्ति बढ़ाता है। नियमित रूप से व्रत रखने से अध्यात्मिक उन्नति होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

एकादशी व्रत में कुछ चीज़ों से बचना चाहिए। राशन, शराब, तला हुआ, बहुत मसालेदार या मीठा खाना नहीं चाहिए। साथ ही, गर्भवती महिलाएँ, बीमारी वाले और बुजुर्ग लोग बिना डॉक्टर की सलाह के व्रत न रखें।

यदि आप पहली बार एकादशी रख रहे हैं, तो हल्का फल या सब्ज़ी वाला उपवास शुरू करें। धीरे‑धीरे आप समय के साथ पूरी रात का उपवास कर सकते हैं। याद रखें, व्रत का मकसद शरीर और मन को शुद्ध करना है, इसलिए इसे ज़रूरत से ज्यादा कड़ा न बनाएं।

तो अगली एकादशी के दिन इन आसान टिप्स को अपनाएँ और देखें कैसे आपका शरीर, मन और आत्मा सब बेहतर महसूस करता है।祝您健康和平安।

जून 2024 में आने वाली एकादशी व्रत: तिथियाँ, शुभ मुहूर्त और महत्व
  • Sharmila PK
  • दिनांक चढ़ा हुआ 2 जून 2024

जून 2024 में आने वाली एकादशी व्रत: तिथियाँ, शुभ मुहूर्त और महत्व

जून 2024 में दो महत्वपूर्ण एकादशी व्रत आयेंगे: अपरा एकादशी और निर्जला एकादशी। अपरा एकादशी 2 जून को और निर्जला एकादशी 17 जून को मनाई जाएगी। इन दोनों व्रतों का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है, जिसमें ये व्रत पापों से मुक्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाले माने जाते हैं। पूजा विधि के अनुसार भगवान विष्णु की आराधना की जाती है।