अगर आपको कभी "एनडीए" शब्द सुनाई देता है तो सोचिए कि यह भारत की प्रमुख गठबंधन की शॉर्ट फ़ॉर्म है – यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन। इसमें कई राजनीतिक पार्टियां मिलकर एक ही मंच पर खड़ी होती हैं, ताकि एक साथ सरकार बन सके।
एनडीए की शुरुआत 1998 में हुई थी, जब अखिल भारतीय भाजपा (भाजपा) ने कुछ छोटे‑बड़े दलों को इकट्ठा करके एक गठबंधन बनाया। तब से इसे कई चुनावों में बड़ी जीत मिली है, खासकर 2014 और 2019 में जहाँ नरेंद्र मोदी ने दो बार पूरे देश की राजनैतिक धुरी को बदल दिया।
भाजपा हमेशा से एनडीए की मुख्य धुरी रही है, लेकिन इसके साथ कई राजनैतिक पार्टियां भी हैं। कुछ प्रमुख पार्टियों में शामिल हैं:
हर राज्य में गठबंधन की रचना थोड़ी अलग हो सकती है, इसलिए यह देखना जरूरी है कि आपका स्थानीय प्रतिनिधि किन पार्टियों से आया है।
वर्तमान में एनडीए को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। आर्थिक मंदी, बेरोज़गारी, और सामाजिक तनाव सभी प्रदेशों में दिख रहे हैं। साथ ही, विपक्षी पार्टियां मिलकर नई रणनीतियों से एनडीए को टक्कर देने की कोशिश कर रही हैं।
फिर भी, एनडीए के पास ताकत भी है – भाजपा का सशक्त संगठन, सामाजिक नेटवर्क, और कई राज्यों में मजबूत कारीगर आधार। अगर ये पार्टियां मिलकर अपने एजेंडा को सही ढंग से पेश करें, तो आगे भी वोटों का भरोसा बनाये रख सकते हैं।
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समझना मुश्किल नहीं है – बस कुछ समय निकालकर पढ़िए और देखिए कि आपका पसंदीदा नेता या पार्टी किस दिशा में जा रही है। राजनीति का खेल सच्ची जानकारी से ही जीतता है, तो भरोसेमंद स्रोतों से अपडेट रहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए 3.0 के गठन से पहले, बीजेपी के पितामह नेताओं एल के आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से उनके निवास पर मुलाकात की। उन्होंने दोनों नेताओं को गुलदस्ते भेंट किए। इस मुलाकात के बाद मोदी ने राष्ट्रपति भवन में जाकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से नई सरकार के गठन का दावा पेश किया। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इस मुलाकात की आलोचना की।