इन्फोसिस: कंपनी, नवाचार और भारतीय टेक इकोसिस्टम की कहानी

जब बात आती है इन्फोसिस, भारत की एक प्रमुख आईटी सेवा कंपनी जो वैश्विक स्तर पर डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के लिए जानी जाती है. इसे Infosys के नाम से भी जाना जाता है, और यह केवल एक कंपनी नहीं, बल्कि भारत के टेक इंडस्ट्री के उदय का प्रतीक है। इन्फोसिस ने अपनी शुरुआत 1981 में एक छोटे से ऑफिस से की थी, लेकिन आज यह दुनिया के सबसे बड़े टेक गाइड्स में से एक है। यह न केवल सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट करती है, बल्कि क्लाउड, एआई, और ऑटोमेशन के जरिए बड़ी कंपनियों को उनके बिज़नेस को बदलने में मदद करती है।

इन्फोसिस के साथ जुड़े कई अन्य बड़े नाम भी हैं। भारतीय टेक, भारत की आईटी और सॉफ्टवेयर सेवा क्षेत्र की संपूर्ण इकोसिस्टम, जिसमें टाटा कंसल्टेंसी, विप्रो, और हुर्ल्स जैसी कंपनियाँ शामिल हैं की नींव इन्फोसिस ने ही रखी। इसके अलावा, नवाचार, एक ऐसी प्रक्रिया जो नए तरीकों से समस्याओं का समाधान करती है, खासकर टेक्नोलॉजी के जरिए के लिए इन्फोसिस ने अपने रिसर्च सेंटर्स और डिजिटल लैब्स के जरिए नए मानक तय किए। इसकी नीतियाँ अक्सर अन्य कंपनियों के लिए मॉडल बन जाती हैं। यही कारण है कि इन्फोसिस को अक्सर भारत की टेक नीतियों के निर्माण में भी शामिल किया जाता है।

इस टैग के तहत आपको ऐसी खबरें मिलेंगी जो इन्फोसिस के बारे में नहीं, बल्कि उसके आसपास की दुनिया के बारे में हैं। जैसे कि जब LG इलेक्ट्रॉनिक्स ने भारत में IPO लॉन्च किया, तो इन्फोसिस के जैसी कंपनियों ने उसके लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया। या जब Jaguar Land Rover पर साइबर हमला हुआ, तो इन्फोसिस जैसी कंपनियों को उसकी रक्षा के लिए बुलाया गया। यहाँ आपको वो खबरें मिलेंगी जहाँ इन्फोसिस या उसके समान टेक नेता बड़े बदलाव का हिस्सा बन रहे हैं।

ये सभी खबरें एक ही बात को साबित करती हैं — आज की दुनिया में टेक्नोलॉजी सिर्फ एक टूल नहीं, बल्कि राष्ट्रीय और वैश्विक इकोनॉमी की रीढ़ है। और इन्फोसिस इस रीढ़ का एक बड़ा हिस्सा है।

इन्फोसिस प्रमोटरों ने 18,000 करोड़ बायबैक से दूर रहने का फैसला
  • Sharmila PK
  • दिनांक चढ़ा हुआ 24 अक्तू॰ 2025

इन्फोसिस प्रमोटरों ने 18,000 करोड़ बायबैक से दूर रहने का फैसला

इन्फोसिस के प्रमोटरों ने 22 अक्टूबर को 18,000 करोड़ बायबैक से बाहर रहने का फैसला किया, जिससे शेयर कीमतें उछली और टैक्स‑संबंधी कारण उभरे।