इन्फोसिस प्रमोटरों ने 18,000 करोड़ बायबैक से दूर रहने का फैसला

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इन्फोसिस प्रमोटरों ने 18,000 करोड़ बायबैक से दूर रहने का फैसला

24 अक्तू॰ 2025

在 : Sharmila PK व्यापार टिप्पणि: 11

जब इन्फोसिस लिमिटेड ने 22 अक्टूबर 2025 को आधिकारिक फाइलिंग के माध्यम से बताया कि उसके प्रमोटर और प्रमोटर समूह 18,000 करोड़ रुपये के शेयर बायबैक में भाग नहीं लेगा, तब बाजार की धड़कनें तेज़ हो गईं। इस फैसले में कंपनी के सहयोगी संस्थापक नरायण मूर्ति, नंदन निलेकनी और दानशूर सुधा मुर्ति शामिल हैं, साथ ही उनके परिवार के सदस्य भी। यह कदम, जो 13.05% मौजूदा प्रमोटर शेयरहोल्डिंग के बाद भी, निवेशकों को आश्चर्यचकित करता है, कई पहलुओं को उजागर करता है—टैक्स नीतियों से लेकर कंपनी के दीर्घकालिक विकास तक।

इतिहास और पृष्ठभूमि

इन्फोसिस की स्थापना 1981 में एक छोटे प्रोजेक्ट ऑफिस के रूप में हुई थी, लेकिन जल्द ही यह भारत के सबसे बड़े आईटी सेवाओं वाले दिग्गजों में बदल गया। बेंगलुरु, कर्नाटक (बेंगलुरु) में कंपनी का मुख्यालय है, जहाँ से उसने वैश्विक स्तर पर क्लाइंट्स को डिजिटल परिवर्तन की सेवाएँ प्रदान की हैं। 2023‑24 में कंपनी ने लगभग 5.6 लाख करोड़ रुपये का टर्नओवर दर्ज किया था, और तब से इसकी वार्षिक राजस्व वृद्धि 2‑3% के बीच रहती है।

बायबैक की बात रखें तो यह 11 सितंबर 2025 को बोर्ड ने मंज़ूर किया था—10 करोड़ पूरी तरह से भुगतान किए गए शेयरों को प्रति शेयर ₹1,800 पर वापस खरीदने की योजना। यह कीमत, उस दिन के बाजार मूल्य ₹1,543.90 के ऊपर 19‑22% प्रीमियम रखती थी।

बायबैक की विस्तृत जानकारी

बायबैक का उद्देश्य कंपनी के फ्री रिज़र्व्स से शेयरधारकों को अतिरिक्त रिटर्न देना था, साथ ही भविष्य की कैश जरूरतों को सुरक्षित रख कर पूंजी संरचना को सुदृढ़ करना। यदि बायबैक पूरी तरह से सब्सक्राइब हो जाता है, तो सार्वजनिक हाथ में शेयरों का हिस्सा 86.95% से घटकर 86.63% होगा, जबकि प्रमोटरों का हिस्सा 13.05% से बढ़कर 13.37% तक पहुँच सकता है।

बायबैक की घोषणा के बाद, 23 अक्टूबर को इन्फोसिस का चक्रवृद्धि शेयर मूल्य intraday में ₹1,546 तक पहुँच गया और क्लोजिंग पर ₹1,530.20 पर समाप्त हुआ, यानी +3.93% की बढ़ोतरी। ट्रेडिंग वॉल्यूम 20‑दिन औसत से तीन गुना अधिक हो गया।

प्रमो्टरों का ‘नॉट भाग लेने’ का निर्णय

प्रमोटर समूह ने 14‑19 सितंबर 2025 के बीच कई पत्रों में स्पष्ट किया कि वे बायबैक में शेयर नहीं बेचेंगे। उनके पत्रों में मुख्य बात यह थी—‘प्रमोटर और प्रमोटर समूह की बायबैक में भाग न लेने की इच्छा व्यक्त की गई है।’ ऐसा क्यों? कई विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम टैक्स इंपीकेशन्स से बचने का एक रणनीतिक फैसला है। हाल ही में आयकर अधिनियम में हुए बदलाव ने बायबैक के प्रीमियम पर टैक्स बोझ बढ़ा दिया है, जिससे प्रमोटरों को वैकल्पिक फंड रूटिनिंग पर विचार करना पड़ा।

एक और कारण—स्ट्रेटेजिक भरोसा। जब कंपनी ने नवीनतम त्रैमासिक रिपोर्ट में 2.2% सीक्वेंशियल राजस्व वृध्दि और वार्षिक गाइडेंस 2‑3% के बीच बढ़ाया, तो यह स्पष्ट हो गया कि मौजूदा प्रबंधन को भविष्य के प्रोजेक्ट पाइपलाइन में भरोसा है। उनके लिए बायबैक में शेयर बेचना “खुद पर असंतोष” जैसा लग सकता है।

मुंबई स्थित नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया (NSE) को फाइलिंग प्रतिबद्धता के साथ यह जानकारी पहुँची, जिससे बाजार को तुरंत पता चल गया।

बाजार की प्रतिक्रिया और विशेषज्ञ विचार

मार्केट एनालिस्टों ने कहा कि प्रमोटरों का बायबैक से दूर हटना स्वयं में ‘भरोसे’ का संकेत है, जिससे खुदरा निवेशकों के लिये भागीदारी की संभावना बढ़ती है। अगर प्रमोटर शेयर नहीं बेचते, तो सार्वजनिक शेयरों की उपलब्धता बढ़ेगी, जिससे इन्वेस्टर एंटाइटेलमेंट रेशियो बेहतर होगा।

मुंबई‑आधारित ब्रोकरेज फर्मों ने कहा कि यह कदम ‘रिटेल निवेशकों को राहत’ देगा, खासकर उन लोगों को जो बायबैक के प्रीमियम से आकर्षित होते हैं। उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि टैक्स इंडेन्सिटी को देखते हुए प्रमोटरों का यह निर्णय “वित्तीय विवेक” से भरा हुआ है।

एक कर विशेषज्ञ, डॉ. अनुराग सिंह, ने बताया कि आयकर अधिनियम के अनुच्छेद 115AD के तहत बायबैक पर 10% वैट (वित्तीय लेन‑देन कर) लागू हो सकता है, जिससे शेयर बेचना आर्थिक रूप से कम आकर्षक बन जाता है।

व्यापक प्रभाव और भविष्य की दिशा

व्यापक प्रभाव और भविष्य की दिशा

इन्फोसिस का बायबैक, यदि पूरी तरह से सब्सक्राइब हो, तो कंपनी के फ्री कैश फ्लो को लगभग ₹18,000 करोड़ तक कम कर देगा। लेकिन यह फ्री रिज़र्व्स में से लेंगे, इसलिए ऑपरेटिंग कैश पर असर न्यूनतम रहेगा। इस कदम से संकेत मिलता है कि कंपनी ने अपने पूंजी संरचना को ‘ऑप्टिमल’ बनाए रखने की योजना बनाई है—इतना अधिक बकाया नहीं, ना ही बहुत कम।

इसके अतिरिक्त, इन्फोसिस ने यूएस‑इंडिया ट्रेड एग्रीमेंट की संभावित पुष्टि को लेकर भी सकारात्मक नजर रखी है। यदि टैरिफ़ 50% से घटकर 15‑16% हो जाता है, तो कंपनी के यूएस क्लाइंट पोर्टफ़ोलियो को बड़ा फायदा मिल सकता है, जिससे राजस्व में अतिरिक्त बूस्ट की उम्मीद है।

भविष्य में, यदि बायबैक प्रक्रिया सफल रहती है, तो कंपनी अगले वित्तीय वर्ष में अपनी शेयरधारक रिटर्न को 2‑3% की रेंज में रखेगी, जबकि नई डिजिटल सेवाओं और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस जारी रखेगी।

अगले कदम और टाइमलाइन

प्रॉपर बायबैक प्रक्रिया के लिए नियामक अनुमोदन आवश्यक है, और इसे निर्यात नियामक अवधि के भीतर शुरू किया जाना उम्मीद है। इस समय‑सीमा के भीतर, शेयरधारकों को बायबैक ऑफ़र की आधिकारिक नोटिस मिलेगी, और फिर बिड‑इंटेंट फ़ॉर्म जमा करने की प्रक्रिया शुरू होगी।

यदि सब्सक्राइबर्स की संख्या अपेक्षित से कम रही, तो इन्फोसिस को वैकल्पिक पूँजी पुनः वितरण योजना—जैसे डिविडेंड या विशेष डिविडेंड—पर विचार करना पड़ सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रमोटरों का बायबैक से बाहर रहने का मूल कारण क्या है?

मुख्य कारण टैक्स प्रभाव हैं—नवीन आयकर नियमों के तहत बायबैक प्रीमियम पर अतिरिक्त कर लगता है, जिससे प्रमोटरों को शेयर बेचने में आर्थिक दुविधा होती है। साथ ही यह कंपनी के भविष्य में भरोसे का प्रतिबिंब भी माना जा रहा है।

यदि बायबैक पूरी तरह से सब्सक्राइब हो जाए तो शेयरधारकों की हिस्सेदारी कैसे बदलती है?

बायबैक से सार्वजनिक शेयरधारकों का हिस्सा 86.95% से घटकर लगभग 86.63% हो जाएगा, जबकि प्रमोटरों का हिस्सेदारी 13.05% से बढ़कर 13.37% हो सकता है। यह हल्का प्रतिशत बदलाव है, पर संख्यात्मक असर बड़ा हो सकता है।

बायबैक पर शेयरों की कीमत कितनी प्रीमियम पर निर्धारित की गई थी?

प्रति शेयर ₹1,800 की कीमत तय की गई थी, जो उस समय के बाजार मूल्य ₹1,543.90 के ऊपर 19‑22% प्रीमियम था। यह प्रीमियम निवेशकों को आकर्षित करने के लिये रखा गया।

बायबैक से इन्फोसिस के वित्तीय स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ेगा?

बायबैक लगभग ₹18,000 करोड़ की राशि को फ्री रिज़र्व्स से निकालेगा, इसलिए ऑपरेटिंग कैश फ्लो पर बहुत कम असर पड़ेगा। यह कंपनी की पूँजी संरचना को संतुलित रखने की रणनीति का हिस्सा है।

क्या इस बायबैक से पुनः निवेशकों को कोई अतिरिक्त लाभ मिलेगा?

यदि सार्वजनिक भागीदारी बढ़ती है, तो रिटेल निवेशकों को अधिक शेयर allotment मिलने की संभावना है, जिससे उनके एंटाइटेलमेंट रेशियो में सुधार होगा और संभावित रूप से अधिक रिटर्न मिल सकता है।

टिप्पणि
ankur Singh
ankur Singh
अक्तू॰ 24 2025

अरे भैया, प्रमोटरों ने 18,000 करोड़ बायबैक को टालना कोई मामूली बात नहीं!!! टैक्स की बोझ से बचने की यही असली चाल है??? बाजार में अब असहार (! !!) लगा है, लेकिन यह फैसला कंपनी की दीर्घकालिक रणनीति को भी दिखाता है!!!

Aditya Kulshrestha
Aditya Kulshrestha
अक्तू॰ 26 2025

इन्फोसिस का प्रोमोशन समूह वास्तव में आयकर कानून के अनुच्छेद 115AD को ध्यान में रख कर बायबैक से बाहर रहने का निर्णय लिया है :) यह परिवर्तन केवल टैक्स बचाव ही नहीं, बल्कि शेयरधारक संरचना को स्थिर रखने की रणनीतिक दिशा भी दर्शाता है।

Sumit Raj Patni
Sumit Raj Patni
अक्तू॰ 28 2025

भाइयों, देखो न, प्रमोटरों ने बायबैक को मान से दूर रख दिया, इसका मतलब है कि वे कंपनी के भविष्य में भरोसा रखते हैं। इस कदम से रिटेल इन्वेस्टरों को अधिक शेयर का अवसर मिलेगा, जो थोड़ा जूस जैसा है-कीमत में मिठास लाएगा।

Shalini Bharwaj
Shalini Bharwaj
अक्तू॰ 30 2025

ये प्रमोटर लोग बस अपना फायदा देख रहे हैं, बायबैक से बाहर निकल कर टैक्स बचा रहे हैं, जबकि छोटे निवेशकों को मौका मिला है।

Chhaya Pal
Chhaya Pal
नव॰ 2 2025

इन्फोसिस की बायबैक रणनीति को समझने के लिए हमें कई पहलुओं को देखना जरूरी है। पहला, प्रमोटरों द्वारा बायबैक से बाहर रहना एक स्पष्ट संकेत है कि वे कंपनी की दीर्घकालिक वृद्धि में विश्वास रखते हैं। दूसरा, यह कदम टैक्स नीति में हुए बदलावों के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है, जहाँ प्रीमियम पर अतिरिक्त कर की बोझ बढ़ गई है। तीसरा, सार्वजनिक शेयरधारकों की एंटाइटेलमेंट रेशियो में सुधार की संभावना बनाए रखी गई है, जिससे रिटेल इन्वेस्टरों को बेहतर रिटर्न मिल सकेगा। चौथा, बायबैक के कारण फ्री रिज़र्व्स से लगभग 18,000 करोड़ रुपये निकाले जाएंगे, लेकिन इसका ऑपरेटिंग कैश फ्लो पर न्यूनतम प्रभाव पड़ेगा। पाँचवा, कंपनी का फ्री कैश फ्लो अभी भी मजबूत है, इसलिए इस बड़े बायबैक से वित्तीय स्थिरता नहीं डगमगा रही है। छठा, इस प्रक्रिया से शून्य नहीं, बल्कि कुछ हिस्से में शेयरों की उपलब्धता बढ़ेगी, जिससे बाजार में तरलता बढ़ेगी। सातवां, यह कदम इन्फोसिस को अपनी पूँजी संरचना को ‘ऑप्टिमल’ बनाए रखने में मदद करेगा, जिससे भविष्य में अतिरिक्त फंडिंग आसान हो सकेगी। आठवां, यूएस-इंडिया ट्रेड एग्रीमेंट के संभावित लाभों को देखते हुए, ये शेयरधारक संरचना का सुधार कंपनी को विदेशी ग्राहकों के लिए और आकर्षक बना सकता है। नौवां, इस बायबैक से इन्फोसिस को वैकल्पिक डिविडेंड या विशेष डिविडेंड की योजना बनाने की भी जरूरत पड़ सकती है, यदि सब्सक्राइबर्स की संख्या अपेक्षाकृत कम रही। दसवां, बाजार ने इस कदम को सकारात्मक रूप में लिया है, जैसा कि शेयरों के प्री‑मार्केट में तेज़ी और ट्रेडिंग वॉल्यूम में वृद्धि से स्पष्ट होता है। ग्यारहवां, कई एनालिस्ट इसको एक ‘वित्तीय विवेक’ के रूप में देख रहे हैं, जो प्रमोटरों की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। बारहवां, टैक्स इम्पैक्ट को देखते हुए, इस निर्णय ने छोटे निवेशकों को भी नई संभावनाएं दी हैं, क्योंकि अब वे प्रीमियम के बिना शेयर खरीद सकते हैं। तेरहवां, कंपनी की सालाना राजस्व वृद्धि 2‑3% के बीच है, और इस बायबैक से उसका विकास गति नहीं रुकेगा। चौदहवां, इस रणनीति से इन्फोसिस को भविष्य में किसी भी अप्रत्याशित वित्तीय संकट से बचने में मदद मिल सकती है। पंद्रहवां, अंत में, यह दर्शाता है कि प्रमोटरों का भरोसा केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कार्यों में भी है, जो बाकी शेयरधारकों के लिए सकारात्मक संकेत है।

Naveen Joshi
Naveen Joshi
नव॰ 4 2025

समझता हूँ तुम क्या कहना चाह रहे हो, पर थोडा धैर्य रखो हम सबके लिये मौका है

Gaurav Bhujade
Gaurav Bhujade
नव॰ 6 2025

प्रोमोशन समूह का यह कदम वास्तव में टैक्स बोझ को कम करने के साथ-साथ शेयरधारकों के हित में भी कार्य करता है, इसलिए इसे सकारात्मक रूप में देखना चाहिए।

Chandrajyoti Singh
Chandrajyoti Singh
नव॰ 9 2025

आदित्य जी, आपने जो तथ्याँ बताया है वह अत्यंत उपयोगी है; इस प्रकार के स्पष्ट विश्लेषण से निवेशकों का विश्वास बढ़ता है।

Riya Patil
Riya Patil
नव॰ 11 2025

वो दिन याद है जब बाजार में हर कोई बायबैक को लेकर उत्साहित था, लेकिन अब प्रमोटरों का इस तरह का मौन हम सबको नई आशा और डर दोनों देता है-एक ही पल में दोहरी भावनाओं का संगम।

Sam Sandeep
Sam Sandeep
नव॰ 13 2025

बायबैक एन्कम्प्लिश्मेंट फ्री रिज़र्व्स डीप डिप्लॉयमेंट को एंगेज करता है और टैक्स इफेक्टिवनेस को इम्प्रूव करता है

Ajinkya Chavan
Ajinkya Chavan
नव॰ 16 2025

सही कहे रे सैम, इश बात नू समझना साडे लई आसान नहॆ, पर एह विच अगे बान्हंदे रहिणा चहिए

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