महिला मुख्य सचिव – क्या है उनका काम और क्यों हैं खास?

भारत में प्रत्येक राज्य और केंद्र सरकार के विभागों में मुख्य सचिव का एक प्रमुख रोल होता है। जब यह पद महिला को मिलता है तो कुछ अलग नज़रिए से काम चलना शुरू हो जाता है। महिला मुख्य सचिव न सिर्फ प्रशासनिक कार्यों को सुचारु बनाती है, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी संवेदनशीलता लाती है। इससे नीति निर्माण में विविधता आती है और आम नागरिकों की आवाज़ तक पहुँच आसान हो जाती है।

मुख्य सचिव क्या करती हैं?

मुख्य सचिव विभाग की रणनीति बनाती, लागू करती और उसकी निगरानी करती हैं। वे बजट तैयार करने, योजनाओं को फॉलो‑अप करने और विभागीय कर्मचारियों के प्रबंधन में मुख्य भूमिका निभाती हैं। महिला मुख्य सचिव अक्सर महिलाओं के सशक्तिकरण, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे क्षेत्रों में विशेष फोकस रखती हैं, क्योंकि इनके बारे में उनका व्यक्तिगत अनुभव भी काम में मदद करता है। उनका काम तब और महत्वपूर्ण हो जाता है जब कोई संकट आता है, जैसे कि प्राकृतिक आपदा या स्वास्थ्य आपातकाल, जहाँ तेज़ निर्णय लेने की ज़रूरत होती है।

हाल की प्रमुख महिला मुख्य सचिव

पिछले दो साल में कई महत्वपूर्ण नियुक्तियाँ हुई हैं। दिल्ली के वित्त विभाग में सुष्मिता बदन ने मुख्य सचिव का पद संभाला, जिससे बजट में महिलाओं के लिए विशेष योजनाओं को तेज़ी मिली। महाराष्ट्र में सामाजिक न्याय विभाग की मुख्य सचिव के रूप में अनीता सिंगह ने दलित और महिला अधिकारों के लिए कई नई नीतियाँ लागू कीं। इसी तरह, उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग की महिला मुख्य सचिव ने छात्राओं की ड्रॉप‑आउट दर को घटाने के लिए कई कदम उठाए। इन सभी उदाहरणों से साफ़ दिखता है कि महिला मुख्य सचिवों का प्रभाव सीधे जनता के जीवन स्तर में परिलक्षित होता है।

अगर आप सरकारी नौकरी में हैं या प्रशासनिक क्षेत्र में काम कर रहे हैं, तो महिला मुख्य सचिवों की कहानी से सीख मिलती है। उन्होंने दिखाया है कि प्रमोशन सिर्फ शीर्षक नहीं, बल्कि बदलाव लाने की क्षमता है। उनके काम को देखते हुए बहुत से युवा महिलाएँ सरकारी सेवा में करियर बनाने के लिए प्रेरित हो रही हैं।

भविष्य में हम और भी अधिक महिलाओं को इस अहम पद पर देखते रहेंगे, क्योंकि सरकार ने समान अवसर देने की नीति को और सुदृढ़ किया है। यदि आपका मन है इस क्षेत्र में कदम रखने का, तो अभी से प्रतिबद्धता, मेहनत और निरंतर सीखना जरूरी है। याद रखिए, मुख्य सचिव बनने के लिए सिर्फ योग्यता नहीं, बल्कि दृढ़ निश्चय और जनता की भलाई की भावना भी जरूरी है।

संक्षेप में, महिला मुख्य सचिव न केवल प्रशासनिक कार्य में माहिर हैं, बल्कि सामाजिक बदलाव की दिशा में भी अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। उनका योगदान भारत के विकास में एक महत्वपूर्ण कड़ी बन चुका है और आने वाले सालों में यह प्रवृत्ति और तेज़ होगी।

महाराष्ट्र को मिली पहली महिला मुख्य सचिव: सुजाता सौनिक ने संभाला पदभार
  • Sharmila PK
  • दिनांक चढ़ा हुआ 1 जुल॰ 2024

महाराष्ट्र को मिली पहली महिला मुख्य सचिव: सुजाता सौनिक ने संभाला पदभार

सुजाता सौनिक, 1987 बैच की IAS अधिकारी, महाराष्ट्र की पहली महिला मुख्य सचिव बनी हैं। उन्होंने निवर्तमान मुख्य सचिव नितिन करीर की जगह ली है, जो रविवार को सेवानिवृत्त हुए। अगले साल 30 जून को वे खुद सेवानिवृत्त होंगी।