मनमोहन सिंह सरकार – 2004‑2014 के प्रमुख कदम और उनका असर

जब मनमोहन सिंह सरकार, 2004 से 2014 तक भारतीय कांग्रेस‑उपक्रम (UPA) के तहत चलने वाली कार्यकारी शाखा थी, जिसने आर्थिक उदारीकरण, सामाजिक योजनाओं और विदेश नीति में कई बदलाव लाए की बात आती है, तो कई लोग याद करते हैं कि इस अवधि में भारत ने कई नए वित्तीय उपकरण अपनाए और वैश्विक बाजार में अपनी पकड़ मजबूत की। इस टैग पेज में आप उन नीतियों, कार्यक्रमों और परिणामों की झलक पाएँगे जो इस सरकार के प्रमुख पहलू थे।

एक प्रमुख उदारवादी आर्थिक नीति, जो फाइनेंस मंत्रालय और राजकोषीय सुधारों के माध्यम से बाजार‑उन्मुख ढाँचा तैयार करती थी ने निजी क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित किया। फ्रीफ्लोटिंग यूरोपीय मुद्रा, बेसिक डिविडेंड रिफंड और बॉन्ड मार्केट के विकास के साथ, कंपनियों को पूँजी तक आसान पहुँच मिली। इस नीति का सीधा असर वित्तीय बाजार की गहराई और विदेशी निवेशकों के भरोसे में दिखा।

मुख्य पहल और प्रभाव

दूसरी ओर, योजनाबद्ध सामाजिक कार्यक्रम, जैसे NREGA, MNREGA, और उज्ज्वला योजना, जो गरीबी उन्मूलन और बुनियादी सुविधाओं में सुधार के लक्ष्य से चलाए गये ने आम लोगों के जीवन में बदलाव लाया। इन योजनाओं ने ग्रामीण रोजगार, बिजली उज्ज्वला, और स्वच्छता के क्षेत्र में व्यापक कवरेज दिया, जिससे कई गांवों में गरीबी दर में गिरावट देखी गई।

विदेशी निवेश का आकर्षण भी इस सरकार की विदेशी निवेश नीतियां, जिन्होंने फिस्कल इन्सेंटिव, विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) और आसान लाइसेंसिंग के जरिए सीधे विदेशी पूँजी को बुलाया के कारण बढ़ा। भारत को 2010‑2013 के बीच FDI में निरंतर वृद्धि मिली, विशेषकर दूरसंचार, सॉफ़्टवेयर, और ऊर्जा क्षेत्रों में। इस वृद्धि ने नौकरियों के नए अवसर पैदा किए और तकनीकी कौशल की माँग को बढ़ावा दिया।

इन सभी पहलुओं को जोड़ने वाला एक छुपा कारक था राजनैतिक स्थिरता और गठबंधन का प्रबंधन। मनमोहन सिंह सरकार ने विभिन्नRegional पार्टियों के साथ गठबंधन बनाकर संसद में बहुमत कायम रखा, जिससे बड़े‑बड़े विधेयकों को पास करना संभव हुआ। इस प्रकार, नीति निर्माण में निरंतरता बनी रही और दीर्घकालिक योजनाओं को लागू करने की गुंजाइश मिली।

जब बात आर्थिक विकास की आती है, तो मुख्य संकेतक जैसे जीडीपी वृद्धि, मुद्रास्फीति नियंत्रण, और निर्यात‑आधारित उद्योगों का विस्तार भी इस सरकार की सफलताओं में गिने जाते हैं। 2010‑2011 में जीडीपी लगभग 8 % तक पहुंची, और मुद्रास्फीति को 4‑5 % की सीमा में बनाए रखने की कोशिश की गई, हालांकि कुछ वर्षों में मूल्य उछाल चुनौती बना रहा।

साथ ही, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई नीतियों ने दीर्घकालिक लाभ देने की कोशिश की। राष्ट्रीय शैक्षिक नीति 2009 और आयुष्मान भारत जैसी पहलें इस सरकार की सामाजिक विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। इन्हें आगे चलकर अधिक सुदृढ़ बनाने की दिशा में कई राज्यों ने भी योगदान दिया।

इन विविध प्रयासों को देख कर यह स्पष्ट है कि मनमोहन सिंह सरकार ने आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक बदलावों के संगम को स्थापित किया। आप नीचे सूचीबद्ध लेखों में प्रत्येक पहल के विस्तृत विश्लेषण, प्रमुख आंकड़े और वास्तविक प्रभाव पढ़ सकते हैं, जिससे इस अवधि के भारत का सम्पूर्ण चित्र सामने आएगा। अब देखते हैं कौन‑से लेख इस व्यापक बदलाव को सबसे बेहतर तरीके से प्रस्तुत करते हैं।

नीतीश मिश्रा ने किया कांग्रेस पर सवाल: मनमोहन सिंह सरकार में बिहार के कितने मंत्री और उनकी यात्राएँ?
  • Sharmila PK
  • दिनांक चढ़ा हुआ 27 सित॰ 2025

नीतीश मिश्रा ने किया कांग्रेस पर सवाल: मनमोहन सिंह सरकार में बिहार के कितने मंत्री और उनकी यात्राएँ?

नीतीश मिश्रा ने कांग्रेस से पूछी कि मनमोहन सिंह की दो सरकारों में बिहार से कितने मंत्री बने और उन्होंने राज्य की यात्रा कितनी बार की। इस सवाल में राज्य‑केन्द्र की भागीदारी, काउंसलिंग और विकासात्मक कार्यों की पारदर्शिता पर चर्चा छिड़ी। सवाल के जवाब में उपलब्ध आँकड़े, पृष्ठभूमि और संभावित राजनीतिक असर का विश्लेषण किया गया।