अगस्त 2023 में, बिहार के पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा ने संसद के एक सत्र में कांग्रेस के प्रतिनिधियों को सीधे चुनौती दी। उनका सवाल था – "मनमोहन सिंह की सरकार (UPA I और UPA II) में बिहार से कुल कितने मंत्री बने और उन्होंने अपने कार्यकाल में बिहार की यात्रा कितनी बार की?" यह सवाल सिर्फ आँकड़े नहीं, बल्कि प्रदेश‑केन्द्र संबंधों में पारदर्शिता की माँग को दर्शाता है।
मनमोहन सिंह की दो सरकारें (2004‑2009, 2009‑2014) में कई बैंकरों, इंजीनियरों और अकादमिक्स को मंत्री पद मिला। जबकि कुछ राज्यों ने अधिक प्रतिनिधित्व हासिल किया, बिहार के मामले में आंकड़े हमेशा स्पष्ट नहीं रहे। नीतीश मिश्रा का तर्क था कि यदि मंत्रियों ने अपने गृह प्रदेश में पर्याप्त बार दौरा नहीं किया, तो विकास परियोजनाओं की निगरानी और स्थानीय समस्याओं का समाधान प्रभावित हो सकता है।
इन आँकड़ों की अस्पष्टता ने ही मिश्रा को मंच मिलाकर सवाल उठाने पर प्रेरित किया। उन्होंने यह भी इंगित किया कि विकास के दायरे में अक्सर राज्य‑केन्द्रीय सहयोग की जरूरत होती है, और इसका मापदंड यात्रा की बार‑बारिता से किया जा सकता है।
मिश्रा के सवाल का राजनीतिक दायरा विस्तृत था। कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता तुरंत जवाब देने में विफल रहे, जिससे विपक्ष के अंदर इस मुद्दे को उठाने का दबाव बढ़ा। कई मीडिया हाउस ने इस पर चर्चा कर, राज्य‑केन्द्र संबंधों में उत्तरदायित्व की कमी को उजागर किया।
शुरुआती प्रतिक्रिया के बाद, कुछ कांग्रेस नेता ने कहा कि "मंत्री की यात्रा का रिकॉर्ड संसद की कार्यवाही में दर्ज है, लेकिन सार्वजनिक रूप से यह जानकारी हमेशा उपलब्ध नहीं कराई जाती।" वहीं, बी जी फ़ॉरेन अफेयर्स के एक विश्लेषक ने टिप्पणी की कि "संसदीय पूछताछ के माध्यम से ऐसे आंकड़े सामने लाने से नीतियों में पारदर्शिता बढ़ती है और जनता को भरोसा मिलता है।"
नीतीश मिश्रा के इस कदम से यह स्पष्ट हो गया कि बिहार के राजनेता अब केन्द्र सरकार से अधिक जवाबदेहियों की अपेक्षा कर रहे हैं। भविष्य में ऐसी पूछताछ के लिए एक सिस्टेमेटिक रिकॉर्ड रखने की माँग उठेगी, जिससे हर मंत्री की यात्रा, परियोजना की प्रगति और बजट उपयोग का खुलासा हो सके।
इस मुद्दे ने यह भी दिखाया कि राजनैतिक सवाल केवल आँकड़े नहीं, बल्कि विकास के ठos मूलभूत तत्व हैं। जब तक राज्यों के साथ संचार और जांच के स्पष्ट प्रोटोकॉल नहीं बने, ऐसी पूछताछें जारी रहेंगी और जनता के भरोसे को बनाए रखना कठिन हो जाएगा।
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