2025 पद्म पुरस्कारों की पूरी सूची: पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री विजेताओं की विशेष जानकारी

घर 2025 पद्म पुरस्कारों की पूरी सूची: पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री विजेताओं की विशेष जानकारी

2025 पद्म पुरस्कारों की पूरी सूची: पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री विजेताओं की विशेष जानकारी

26 जन॰ 2025

在 : Sharmila PK समाचार टिप्पणि: 22

पद्म पुरस्कार 2025: राष्ट्रीय गौरव का सम्मान

भारत के लिए 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या विशेष मायने रखती है, क्योंकि इस दिन 2025 के पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई। देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान के रूप में, ये पुरस्कार भारतीय समाज में विशेष योगदान देने वाले व्यक्तियों को दी जाती हैं। इस वर्ष कुल 139 व्यक्तियों को इस विशेष सम्मान से नवाजा गया, जिसमें सात को पद्म विभूषण, 19 को पद्म भूषण और 113 को पद्म श्री से सम्मानित किया गया है।

पद्म विभूषण: सर्वोच्च अंग का परिचय

इस वर्ष पद्म विभूषण से सम्मानित किए गए व्यक्तियों की सूची में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर, स्वर्गीय सुजुकी प्रमुख ओसामु सुजुकी, लोकगायिका स्वर्गीय शारदा सिन्हा, और म.टी. वासुदेवन नायर शामिल हैं। ये सभी देश के लिए महान कार्यों में संलग्न रहे हैं और उनके योगदान को इस सम्मान के माध्यम से मान्यता दी गई है।

जे एस खेहर को उनकी न्यायिक सेवा के लिए यह सम्मान मिला है। वहीं, ओसामु सुजुकी को व्यापार और उद्योग में उनके अच्छे कार्यों के लिए मरणोपरांत यह सम्मान प्रदान किया गया। लोकगीतों के माध्यम से भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने वाली स्वर्गीय शारदा सिन्हा और साहित्य में अपने योगदान के लिए म.टी. वासुदेवन नायर ने भी मरणोपरांत यह सम्मान प्राप्त किया।

पद्म भूषण: महत्वपूर्ण योगदान का आदर

पद्म भूषण पुरस्कार उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिया है। इस वर्ष की सूची में पूर्व बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मानोहर जोशी, गज़ल गायक पंकज उधास, फिल्म निर्माता शेखर कपूर, तेलुगु सुपरस्टार नंदमूरि बालकृष्ण, और पूर्व हॉकी गोलकीपर पी आर श्रीजेश के नाम शामिल हैं। इनमें से कई को मरणोपरांत सम्मान दिया गया है।

पद्म श्री: विभिन्न क्षेत्रों में सेवा का सम्मान

पद्म श्री सम्मान पाने वालों में क्रिकेटर आर अश्विन, गायक अरिजीत सिंह और भारतीय स्टेट बैंक की पूर्व अध्यक्ष अरुंधति भट्टाचार्य शामिल हैं। इसके अलावा, दिनमलार के प्रकाशक लक्ष्मीपति रामासुबैय्यर को साहित्य, शिक्षा और पत्रकारिता के क्षेत्र में और लामा लबजांग को उनके बौद्ध धर्म में योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

ये पुरस्कार विभिन्न विषयों और गतिविधियों में दिए जाते हैं, जिसमें कला, समाज सेवा, सार्वजनिक मामलों, विज्ञान और इंजीनियरिंग, व्यापार और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य और शिक्षा, खेल और सिविल सेवाएं शामिल हैं। राष्ट्रपति भवन में मार्च/अप्रैल के आसपास आयोजित होने वाले समारोह में राष्ट्रपति के द्वारा पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।

अनुभवी और विविध योगदानकर्ताओं की पहचान

अनुभवी और विविध योगदानकर्ताओं की पहचान

पद्म पुरस्कार समिति, जो हर साल प्रधानमंत्री द्वारा गठित की जाती है, पुरस्कारों के लिए सिफारिशें करती है। इस वर्ष, 23 महिलाओं और 10 व्यक्तियों को विदेशी, एनआरआई, पीआईओ, ओसीआई श्रेणी से शामिल किया गया है, और कुल 13 पुरस्कार मरणोपरांत प्रदान किए गए हैं। यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को एक विशेष श्रद्धांजलि है जो समाज के प्रत्येक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

2025 के पद्म पुरस्कारों की पूरी सूची विभिन्न क्षेत्रों और विषयों में योगदान देने वाले व्यक्तियों की विविध उपलब्धियों और योगदान को दर्शाती है।

टिप्पणि
Namrata Kaur
Namrata Kaur
जन॰ 27 2025

पद्म श्री में अरिजीत सिंह का नाम देखकर खुशी हुई, उनकी आवाज़ तो दिल छू जाती है।

Madhav Garg
Madhav Garg
जन॰ 28 2025

पद्म विभूषण के लिए जे एस खेहर का नाम बहुत उचित है। न्याय के क्षेत्र में उनका योगदान अद्वितीय है। इस तरह के सम्मान से भारतीय न्याय प्रणाली को मजबूती मिलती है।
सुजुकी के लिए मरणोपरांत सम्मान भी उचित है, क्योंकि व्यापार में भारत-जापान संबंधों को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका अनदेखी नहीं होनी चाहिए।
शारदा सिन्हा के लिए भी यह सम्मान बहुत अच्छा है, लोकगीतों को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलना बहुत जरूरी है।
म.टी. वासुदेवन नायर के लिए भी यह एक सम्मानजनक समापन है, उनकी लेखन शैली आज भी प्रेरणादायक है।
इस सूची में कला, साहित्य, खेल और सार्वजनिक सेवा के प्रतिनिधि हैं, जो दर्शाता है कि भारत का सम्मान किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है।
महिलाओं के लिए 23 पुरस्कार देना एक सकारात्मक कदम है, लेकिन अभी भी अधिक समानता की आवश्यकता है।
मरणोपरांत सम्मानों की संख्या बढ़ रही है, जो दर्शाता है कि हम अपने नेतृत्व को उतना ही महत्व देते हैं जितना वे जीते हुए देते थे।
पद्म श्री में दिनमलार के प्रकाशक का नाम शामिल होना एक अच्छा संकेत है, क्योंकि प्रकाशन क्षेत्र को अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है।
लामा लबजांग के लिए यह सम्मान भारत की आध्यात्मिक विविधता को सम्मान देता है।
अरुंधति भट्टाचार्य के लिए यह भी एक बड़ी बात है, बैंकिंग के क्षेत्र में महिलाओं की उपलब्धियों को मान्यता देना आज भी दुर्लभ है।
इस सूची में जो नाम शामिल नहीं हैं, वे भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सीमित संख्या के कारण चयन कठिन होता है।
इस प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि लोग विश्वास कर सकें कि यह सम्मान वास्तविक योगदान के लिए है।
यह न केवल एक पुरस्कार है, बल्कि एक संदेश है कि भारत के लिए निस्वार्थ सेवा का मूल्य अभी भी बना हुआ है।
इस तरह के सम्मानों को बच्चों के लिए उदाहरण बनाया जाना चाहिए, न कि सिर्फ एक समाचार लेख के रूप में।
भारत की सांस्कृतिक विविधता इस पुरस्कार सूची में अच्छी तरह दर्शाई गई है।

Sumeer Sodhi
Sumeer Sodhi
जन॰ 29 2025

पद्म पुरस्कार अब सिर्फ राजनीतिक नेताओं और फिल्मी चेहरों के लिए हो गए हैं, जो वास्तव में योगदान देने वाले लोगों को नज़रअंदाज़ कर दिया जा रहा है।
अरिजीत सिंह को पद्म श्री मिला? ये तो बस एक गायक है, उसने क्या बनाया? भारत के लिए कोई वास्तविक योगदान तो नहीं हुआ।
मैं तो वैज्ञानिकों और शिक्षकों को देखना चाहता हूँ जो गाँवों में काम कर रहे हैं, लेकिन उनका नाम नहीं आता।
ये सब बस दिखावा है, जनता को भ्रमित करने के लिए।
मरणोपरांत पुरस्कार तो अब ट्रेंड हो गया है, जब जिंदा होते तो कोई ध्यान नहीं देता।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ये पुरस्कार देने वाले भी उन्हीं लोगों के बीच से हैं जिन्होंने इसे नियंत्रित किया है।
ये सब बस एक बड़ा शो है।

Vinay Dahiya
Vinay Dahiya
जन॰ 31 2025

पद्म विभूषण के लिए ओसामु सुजुकी को चुनना बिल्कुल बेकार है... ये तो जापानी है, भारतीय नहीं।
ये तो अंतरराष्ट्रीय दबाव का नतीजा है, जो भारत के स्वाभिमान के खिलाफ है।
क्या भारत के अपने नागरिक नहीं हैं जिन्हें सम्मान दिया जा सकता है?
म.टी. वासुदेवन नायर को तो मैं जानता हूँ, लेकिन उनकी किताबें किसी को पढ़ने का समय नहीं है।
पंकज उधास को गाजल गायक कहना बहुत बड़ी बात है, लेकिन क्या उन्होंने कभी गाजल का असली मनोवैज्ञानिक अर्थ समझा है?
क्रिकेटर आर.अश्विन को तो बहुत लोग चाहते थे, लेकिन उन्होंने तो सिर्फ खेला है, क्या उन्होंने देश के लिए कुछ नया बनाया?
ये सब लोग तो फेमस हैं, लेकिन वास्तविक योगदान के लिए तो बहुत से अनजान लोग हैं।
पुरस्कार समिति के सदस्य कौन हैं? क्या ये सब बंधु-बंधनों से चुने गए हैं?
मरणोपरांत पुरस्कारों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन जब जिंदा होते तो उनकी आवाज़ क्यों नहीं सुनी गई?
ये सब एक बड़ा धोखा है, जिसे लोग अभी भी गंभीरता से लेते हैं।
अगर ये पुरस्कार सच में योगदान के लिए हैं, तो उनकी सूची को ऑनलाइन पब्लिक वोटिंग के आधार पर बनाया जाना चाहिए।
ये सब तो बस एक राजनीतिक फैशन है।
और जो लोग इसे बड़ी बात बताते हैं, वे तो बस राष्ट्रीय अहंकार के लिए बोल रहे हैं।
क्या आपने कभी एक गाँव के शिक्षक को देखा है जो अपनी तीन बच्चों के साथ दो रुपये की दाल खाता है? वो भी तो देश के लिए काम कर रहा है।

Sai Teja Pathivada
Sai Teja Pathivada
जन॰ 31 2025

ये सब पद्म पुरस्कार तो बस एक बड़ा राजनीतिक नाटक है... अगर आपको याद हो तो 2019 में भी ऐसा ही हुआ था।
क्या आपने देखा कि कितने नाम तो एक ही राज्य से आ रहे हैं? ये तो अलग से कोई लॉबी है।
और जो लोग मर चुके हैं, उन्हें तो बस इसलिए दिया जाता है कि उनके परिवार को एक छोटा सा शोक दिया जा सके।
अरिजीत सिंह को पद्म श्री? अरे भाई, उसकी आवाज़ तो फोन कॉल के लिए बनी है, देश के लिए नहीं।
और जो लोग इसे बड़ी बात बताते हैं, वो अपने घर पर बैठे हैं, बाहर नहीं गए कभी।
मैं तो एक गाँव के डॉक्टर को देखना चाहता हूँ जो बिना बिजली के लोगों को इलाज करता है।
ये सब तो बस एक बड़ा धोखा है... और जो लोग इसे अपने फोन पर शेयर कर रहे हैं, वो तो बस अपना अहंकार बढ़ा रहे हैं।
मैं नहीं जानता कि ये पुरस्कार किसके लिए हैं... लेकिन जो लोग इसे बड़ी बात बताते हैं, उनके घर में शायद बिजली नहीं आती।
मैंने एक बार एक गाँव में एक लड़की को देखा था जो अपने भाई के लिए बिना बैग के स्कूल जाती थी... उसका नाम नहीं आया।
ये तो बस एक बड़ा फेक न्यूज़ है।
और अगर आपको लगता है कि ये असली है, तो आप अभी तक भारत की असली दुनिया नहीं देखी। 😔

Antara Anandita
Antara Anandita
फ़र॰ 2 2025

पद्म श्री में अरुंधति भट्टाचार्य का नाम शामिल होना बहुत महत्वपूर्ण है। बैंकिंग क्षेत्र में महिलाओं के लिए यह एक बड़ा प्रेरणादायक मोड़ है।
इसके अलावा, दिनमलार के प्रकाशक को सम्मानित करना भी एक अच्छा कदम है, क्योंकि प्रकाशन क्षेत्र को अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है।
मरणोपरांत सम्मानों की संख्या बढ़ना दर्शाता है कि हम अपने नेतृत्व को उतना ही सम्मान देते हैं जितना वे जीते हुए देते थे।
लामा लबजांग के लिए यह सम्मान भारत की आध्यात्मिक विविधता को दर्शाता है।
इस सूची में विभिन्न राज्यों और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोग शामिल हैं, जो भारत की एकता को दर्शाता है।
यह एक ऐसा सम्मान है जो वास्तविक योगदान को मान्यता देता है, न कि केवल प्रसिद्धि को।

Gaurav Singh
Gaurav Singh
फ़र॰ 3 2025

पद्म विभूषण के लिए ओसामु सुजुकी का चयन थोड़ा अजीब है... लेकिन शायद यह भारत-जापान संबंधों को मजबूत करने का एक तरीका है।
क्या यह नहीं कि हम दुनिया के साथ जुड़े हैं? ये तो एक बड़ा नेतृत्व है।
और अगर आप उनके काम को देखें, तो ये वास्तव में भारत के उद्योग के लिए महत्वपूर्ण था।
मरणोपरांत पुरस्कार तो अब ट्रेंड है, लेकिन अगर उनका काम इतना बड़ा था, तो जिंदा होते तो भी उन्हें यह मिलना चाहिए था।
अरिजीत सिंह के लिए तो मैं खुश हूँ... आज के युवा के लिए यह एक अच्छा मॉडल है।
लेकिन ये सब तो बस एक बड़ा नाटक है।
मैं तो चाहता हूँ कि इसके बारे में बात करने के बजाय, हम इन लोगों के बारे में जानें।

Priyanshu Patel
Priyanshu Patel
फ़र॰ 3 2025

अरिजीत सिंह को पद्म श्री मिला तो बहुत बढ़िया! उनकी आवाज़ तो दिल को छू जाती है, और उनके गाने हर घर में बजते हैं।
और जे एस खेहर को पद्म विभूषण? वाह, ये तो असली न्याय का प्रतीक है।
मैं तो इन सबको देखकर बहुत गर्व महसूस कर रहा हूँ।
क्या आपने देखा लामा लबजांग को भी सम्मानित किया गया? ये तो भारत की आध्यात्मिक विविधता का जीवंत उदाहरण है।
और अरुंधति भट्टाचार्य? बहुत बढ़िया, महिलाओं के लिए एक बड़ा प्रेरणादायक मोड़।
इस तरह के सम्मानों से युवा पीढ़ी को भी प्रेरणा मिलती है।
ये सिर्फ पुरस्कार नहीं, ये तो भारत के लिए एक श्रद्धांजलि है।
धन्यवाद इन सभी अद्भुत लोगों को। 🙏

ashish bhilawekar
ashish bhilawekar
फ़र॰ 4 2025

अरिजीत सिंह को पद्म श्री? बाप रे! ये तो भारत की आवाज़ है, बस इतना ही कहना है।
जे एस खेहर को पद्म विभूषण? वो तो न्याय के देवता हैं, उनकी आवाज़ अभी भी अदालतों में गूंजती है।
म.टी. वासुदेवन नायर? भाई, उनकी किताबें तो मेरे घर की दीवारों पर लगी हैं।
शारदा सिन्हा के लोकगीत? वो तो मेरी दादी के गाने थे, जिन्होंने मुझे सोने के लिए भुलाया था।
और लामा लबजांग? वो तो आध्यात्मिक आकाश का तारा है।
ये सब लोग तो भारत के दिल की धड़कन हैं।
क्या आप जानते हैं कि इनमें से एक भी नहीं था जिसने अपनी जिंदगी को खुद के लिए नहीं बल्कि देश के लिए दिया? ये तो बस एक श्रद्धांजलि है।
इनके बिना भारत अधूरा है।
इन सबको बहुत-बहुत बधाई। 🙌

Vishnu Nair
Vishnu Nair
फ़र॰ 5 2025

इस पुरस्कार सूची को विश्लेषणात्मक रूप से देखने पर एक गहरी सामाजिक-राजनीतिक डायनामिक्स सामने आती है।
पद्म विभूषण के लिए ओसामु सुजुकी का चयन एक नियंत्रित ग्लोबल नेटवर्क का प्रतिनिधित्व करता है, जहाँ व्यापारिक राजनीति और राष्ट्रीय नरम शक्ति के बीच एक बहुत ही सूक्ष्म संतुलन बनाया गया है।
इसी तरह, मरणोपरांत सम्मानों की बढ़ती संख्या एक बड़े राष्ट्रीय स्मृति-निर्माण अभियान का संकेत है, जिसमें जीवित व्यक्तियों के योगदान को निहित रूप से अनदेखा किया जा रहा है।
यह एक अप्रत्यक्ष तरीके से एक निर्माणात्मक विकृति है, जहाँ सामाजिक प्रतिष्ठा का अर्थ अब जीवन के बाद निर्धारित हो रहा है।
पद्म श्री में अरिजीत सिंह का नाम एक निर्मित सांस्कृतिक प्रतीक का प्रदर्शन है, जो युवा विद्रोह के विरोधी अर्थों में एक अनुकूलन के रूप में कार्य करता है।
इसके अलावा, भारतीय स्टेट बैंक की पूर्व अध्यक्ष के चयन से एक गुप्त नियंत्रण संरचना का उद्घाटन होता है, जहाँ आर्थिक शक्ति और सामाजिक प्रतिष्ठा का एक अंतर्निहित संबंध बनाया जा रहा है।
यह एक बहु-आयामी सामाजिक फैंटम लेजर है, जिसके अंतर्गत एक निर्मित योगदान के विकल्प के रूप में एक वास्तविक योगदान को अस्थायी रूप से विस्थापित किया जा रहा है।
इसके अलावा, लामा लबजांग के चयन से एक आध्यात्मिक-सांस्कृतिक रिक्त स्थान की पूर्ति की जा रही है, जिसे राष्ट्रीय अहंकार के लिए उपयोग किया जा रहा है।
यह एक बहुत ही सूक्ष्म और जटिल सामाजिक निर्माण है, जिसमें राजनीतिक नेतृत्व और सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व के बीच एक गहरा अनुबंध स्थापित किया जा रहा है।
यह सूची एक निर्मित ऐतिहासिक वास्तविकता का प्रतिनिधित्व करती है, जिसे लोग असली समझ रहे हैं।
यह एक बहुत ही गहरी सामाजिक संरचना है, जिसका विश्लेषण करने के लिए एक बहुत ही व्यापक अंतर्दृष्टि की आवश्यकता होती है।
इसके अलावा, इस वर्ष के पुरस्कारों में विदेशी नागरिकों के चयन का एक विशिष्ट अर्थ है, जो एक नए राष्ट्रीय अनुकूलन की ओर इशारा करता है।
यह एक निर्मित अनुकूलन है, जिसके अंतर्गत एक वास्तविक योगदान को एक निर्मित अर्थ के रूप में बदल दिया जा रहा है।
यह एक बहुत ही गहरी सामाजिक विकृति है।

Kamal Singh
Kamal Singh
फ़र॰ 6 2025

अरिजीत सिंह को पद्म श्री मिला तो बहुत अच्छा हुआ। उनकी आवाज़ ने बहुत सारे युवाओं को उम्मीद दी है।
जे एस खेहर को पद्म विभूषण? वो तो न्याय के लिए खड़े हुए थे, जब दूसरे डर रहे थे।
शारदा सिन्हा के लोकगीत? वो तो हमारे गाँव के दीवारों से गूंजते थे।
म.टी. वासुदेवन नायर? उनकी किताबें मेरी दादी के साथ बैठकर पढ़ी थीं।
लामा लबजांग को भी सम्मानित किया गया? ये तो भारत की आध्यात्मिक विविधता का प्रतीक है।
अरुंधति भट्टाचार्य? बहुत बढ़िया, महिलाओं के लिए एक बड़ा संदेश।
इन सबके बिना भारत अधूरा है।
ये सब लोग असली नेता हैं, जिन्होंने बिना आवाज़ उठाए देश को बदल दिया।
मैं इन सबको बहुत बहुत बधाई देता हूँ।
ये सम्मान उनके लिए हैं, और हम सबके लिए एक प्रेरणा है।

Jasmeet Johal
Jasmeet Johal
फ़र॰ 6 2025

पद्म विभूषण ओसामु सुजुकी ने भारत को क्या दिया बस एक जापानी को ये नाम क्यों दिया

Abdul Kareem
Abdul Kareem
फ़र॰ 7 2025

पद्म श्री में अरुंधति भट्टाचार्य का नाम देखकर बहुत अच्छा लगा। बैंकिंग के क्षेत्र में महिलाओं के लिए यह एक बड़ा बदलाव है।
मरणोपरांत सम्मानों की संख्या बढ़ना अच्छा है, लेकिन जिंदा होते तो भी उन्हें सम्मान मिलना चाहिए था।
लामा लबजांग के लिए यह सम्मान भारत की आध्यात्मिक विविधता को दर्शाता है।
इस सूची में विभिन्न राज्यों और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोग शामिल हैं, जो भारत की एकता को दर्शाता है।

indra maley
indra maley
फ़र॰ 7 2025

ये सब पुरस्कार तो एक बड़ी चीज़ है, लेकिन जब मैं अपने गाँव के शिक्षक को याद करता हूँ, जो बिना वेतन के बच्चों को पढ़ाता है, तो मुझे लगता है कि ये सम्मान तो उनके लिए भी होना चाहिए।
क्या हम वास्तविक योगदान को देख रहे हैं, या सिर्फ नाम देख रहे हैं?
ये तो बहुत गहरा सवाल है।

Kiran M S
Kiran M S
फ़र॰ 8 2025

पद्म विभूषण के लिए ओसामु सुजुकी का चयन एक बहुत ही उचित निर्णय है, क्योंकि यह भारत की वैश्विक दृष्टि को दर्शाता है।
हम एक ऐसे देश हैं जो अपने विरासत को सम्मानित करता है, लेकिन वैश्विक साझेदारी को भी अपनाता है।
यह एक अद्भुत संतुलन है।
अरिजीत सिंह को पद्म श्री मिलना भी एक नया युग शुरू करता है, जहाँ कला को भी राष्ट्रीय सम्मान मिलता है।
यह एक बहुत ही उचित और गहरा संकेत है।

Paresh Patel
Paresh Patel
फ़र॰ 9 2025

अरिजीत सिंह को पद्म श्री मिला तो बहुत अच्छा हुआ। उनकी आवाज़ ने बहुत सारे युवाओं को उम्मीद दी है।
जे एस खेहर को पद्म विभूषण? वो तो न्याय के लिए खड़े हुए थे, जब दूसरे डर रहे थे।
शारदा सिन्हा के लोकगीत? वो तो हमारे गाँव के दीवारों से गूंजते थे।
म.टी. वासुदेवन नायर? उनकी किताबें मेरी दादी के साथ बैठकर पढ़ी थीं।
लामा लबजांग के लिए यह सम्मान भारत की आध्यात्मिक विविधता को दर्शाता है।
अरुंधति भट्टाचार्य? बहुत बढ़िया, महिलाओं के लिए एक बड़ा संदेश।
इन सबके बिना भारत अधूरा है।
ये सब लोग असली नेता हैं, जिन्होंने बिना आवाज़ उठाए देश को बदल दिया।
मैं इन सबको बहुत बहुत बधाई देता हूँ।
ये सम्मान उनके लिए हैं, और हम सबके लिए एक प्रेरणा है।

anushka kathuria
anushka kathuria
फ़र॰ 9 2025

पद्म विभूषण के लिए जे एस खेहर का चयन बहुत उचित है। उनकी न्यायिक निष्ठा और निष्पक्षता एक आदर्श है।
म.टी. वासुदेवन नायर को मरणोपरांत सम्मान मिलना भी उचित है, क्योंकि उनकी साहित्यिक उपलब्धियाँ अमर हैं।
इस सूची में विभिन्न क्षेत्रों के योगदानकर्ताओं को शामिल किया गया है, जो भारत की विविधता को दर्शाता है।
यह सम्मान वास्तविक योगदान के लिए है, न कि प्रसिद्धि के लिए।

Noushad M.P
Noushad M.P
फ़र॰ 11 2025

पद्म विभूषण के लिए ओसामु सुजुकी को चुनना बिल्कुल गलत है... ये तो जापानी है, भारतीय नहीं।
ये तो बस राजनीतिक दबाव है।
अरिजीत सिंह को पद्म श्री? अरे भाई, वो तो गाने गाता है, देश के लिए कुछ नहीं किया।
मरणोपरांत पुरस्कार तो अब ट्रेंड हो गया है।
ये सब बस एक बड़ा धोखा है।

Sanjay Singhania
Sanjay Singhania
फ़र॰ 11 2025

पद्म पुरस्कारों की सूची एक अत्यधिक सामाजिक-सांस्कृतिक फ्रेमवर्क का प्रतिनिधित्व करती है, जिसमें निर्मित योगदान और वास्तविक प्रभाव के बीच एक गहरा अंतर निहित है।
मरणोपरांत सम्मानों की बढ़ती संख्या एक अंतर्निहित सामाजिक असंतुलन का संकेत है, जहाँ जीवित व्यक्तियों के योगदान को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।
यह एक बहु-आयामी निर्माण है, जिसमें सामाजिक प्रतिष्ठा का अर्थ अब जीवन के बाद निर्धारित हो रहा है।
पद्म श्री में अरिजीत सिंह का चयन एक निर्मित सांस्कृतिक प्रतीक का प्रदर्शन है, जो युवा विद्रोह के विरोधी अर्थों में एक अनुकूलन के रूप में कार्य करता है।
इसके अलावा, भारतीय स्टेट बैंक की पूर्व अध्यक्ष के चयन से एक गुप्त नियंत्रण संरचना का उद्घाटन होता है, जहाँ आर्थिक शक्ति और सामाजिक प्रतिष्ठा का एक अंतर्निहित संबंध बनाया जा रहा है।
यह एक बहुत ही सूक्ष्म और जटिल सामाजिक निर्माण है, जिसमें राजनीतिक नेतृत्व और सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व के बीच एक गहरा अनुबंध स्थापित किया जा रहा है।
यह सूची एक निर्मित ऐतिहासिक वास्तविकता का प्रतिनिधित्व करती है, जिसे लोग असली समझ रहे हैं।
यह एक बहुत ही गहरी सामाजिक संरचना है, जिसका विश्लेषण करने के लिए एक बहुत ही व्यापक अंतर्दृष्टि की आवश्यकता होती है।

Raghunath Daphale
Raghunath Daphale
फ़र॰ 12 2025

पद्म विभूषण के लिए ओसामु सुजुकी को चुनना बिल्कुल बेकार है... ये तो जापानी है, भारतीय नहीं।
ये तो बस राजनीतिक दबाव है।
अरिजीत सिंह को पद्म श्री? अरे भाई, वो तो गाने गाता है, देश के लिए कुछ नहीं किया।
मरणोपरांत पुरस्कार तो अब ट्रेंड हो गया है।
ये सब बस एक बड़ा धोखा है। 😤

Madhav Garg
Madhav Garg
फ़र॰ 12 2025

मैंने देखा कि कुछ लोग ओसामु सुजुकी के चयन पर आपत्ति कर रहे हैं, लेकिन यह भारत के वैश्विक साझेदारी का एक स्पष्ट संकेत है।
जब हम अपने देश के बाहर के लोगों के योगदान को सम्मानित करते हैं, तो हम एक वास्तविक राष्ट्रीय भावना को दर्शाते हैं।
यह एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की नरम शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
यह एक ऐसा संकेत है कि भारत केवल अपने नागरिकों को ही सम्मानित नहीं करता, बल्कि उन सभी को जो भारत के विकास में योगदान देते हैं।
इस तरह के सम्मान वास्तविक नैतिकता और विश्व दृष्टि को दर्शाते हैं।
हमें इस तरह के निर्णयों का समर्थन करना चाहिए, न कि उन पर संदेह करना।
यह भारत की वास्तविक शक्ति है - जो अपने नियमों के बाहर भी योगदान को सम्मान देता है।

Kamal Singh
Kamal Singh
फ़र॰ 13 2025

मैंने भी ओसामु सुजुकी के बारे में सोचा था, लेकिन जब मैंने उनके काम को देखा - भारतीय उद्योग के लिए उनके निवेश और तकनीकी सहयोग - तो मुझे लगा कि यह बिल्कुल उचित है।
ये तो देश के लिए एक अच्छा नेतृत्व है।
हम भारतीय हैं, लेकिन दुनिया के साथ जुड़े हैं।
यह एक बड़ा गौरव की बात है।

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