जब बात रक्षा तकनीक की आती है, तो भारत ने कई ऐसे प्रोजेक्ट शुरू किए हैं जो दुनियाभर में सराहे जाते हैं। ‘मिसाइल मैन’ शब्द में उन वैज्ञानिकों, अभियंताओं और पायलटों को कहा जाता है जिन्होंने भारत को मिसाइल शक्ति के रूप में स्थापित किया। इस लेख में हम ब्रह्मोस जैसी प्रमुख मिसाइल, उनके विकास की झलक और इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की मेहनत को समझेंगे।
ब्रह्मोस एक हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है, जो भारत‑रूस के मिलेजुले प्रोजेक्ट से तैयार हुई है। यह हवा, जमीन और समुद्र से लॉन्च हो सकती है, जिससे यह बैटरी‑लिंक में एक बहुमुखी हथियार बन जाता है। इसकी अधिकतम रेंज 700 किमी तक है और यह 300 किमी/घंटा से अधिक गति से उड़ सकती है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय वायु सेना और नौसेना ने इस मिसाइल को बड़े पैमाने पर अपनाने की घोषणा की, जिससे हमारी रक्षा क्षमताओं में एक बड़ा इजाफ़ा होगा।
मिसाइल टेक्नोलॉजी में काम करने वाले वैज्ञानिक अक्सर शौक से ही शुरू करते हैं—छोटे मॉडल बनाते, गणित में तेज़ी से अंक जुटाते। इसके बाद DRDO, ISRO या निजी रक्षा कंपनियों में प्रशिक्षण मिलता है। प्रमुख कदम है इंटर्नशिप करना, जैसे कि लाब में ड्रेसिंग या सिमुलेशन सॉफ़्टवेयर सीखना। कई बार पेशेवर अनुभव को रेज़्यूमे में उजागर करने से ही बड़ी कंपनियों के प्रोजेक्ट में हाथ मिलाते हैं।
अधिकांश मिसाइल प्रोजेक्ट में टीम वर्क ज़रूरी है। एक प्रोजेक्ट मैनेजर, एरोडायनामिक्स विशेषज्ञ, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर और टेस्ट पायलट मिलकर काम करते हैं। अगर आप इस क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं, तो शुरुआती चरण में इंटर्नशिप या रिसर्च असिस्टेंट की जॉबें देखें।
कौशल की बात करें तो कंप्यूटर-एडेड डिज़ाइन (CAD), फ्लुइड डायनेमिक्स सॉफ़्टवेयर जैसे ANSYS, और प्रोग्रामिंग भाषा C/C++ बहुत काम आती हैं। ये टूल्स कई बार मोडलों को सुचारु रूप से चलाने और प्रोटोटाइप टेस्ट करने में मदद करते हैं।
एक और जरूरी बात है निरंतर सीखना। रक्षा तकनीक समय के साथ बदलती है, इसलिए नई उड़ान सिद्धांत, नई आयुध प्रणाली और नई सामग्री विज्ञान को समझना आवश्यक है। ऑनलाइन कोर्स, वेबिनार और इंडस्ट्री कॉन्फ्रेंस में भाग लेकर आप अपने ज्ञान को अपडेट रख सकते हैं।
अगर आप मिसाइल मैन बनना चाहते हैं, तो सबसे पहले एक मजबूत मूलभूत शिक्षा लीजिए—भौतिकी, गणित और इलेक्ट्रॉनिक्स। फिर टेक्निकल प्रोजेक्ट में हाथ डालिए, चाहे वह कॉलेज के फाइनल ईयर प्रोजेक्ट हो या व्यक्तिगत रॉकेट बनाना। बड़े सपने देखिए, लेकिन छोटे-छोटे कदमों से आगे बढ़िए।
आज के समय में भारत ने कई नई मिसाइलें विकसित की हैं—इरुपी, अग्निप्रहार और अग्निशक्ति जैसी। इन सबके पीछे वही ‘मिसाइल मैन’ की टीम है जो निरंतर नवाचारी सोच और कड़ी मेहनत से काम करती है। इस टैग पेज पर आप इन सभी खबरों को फॉलो कर सकते हैं और रक्षा तकनीक की ताज़ा अपडेट्स पा सकते हैं।
तो, अगली बार जब आप बात करेंगे ‘मिसाइल मैन’ की, तो याद रखें कि यह सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि उन लोगों की कहानी है जिन्होंने भारत की सुरक्षा को नई ऊँचाइयों पर पहुंचाया है।
आज भारत के 'मिसाइल मैन', डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की नौवीं पुण्यतिथि है। 1931 में जन्में कलाम ने भारतीय स्पेस और मिसाइल कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वह 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति रहे और 1997 में भारत रत्न से सम्मानित हुए। उनके प्रमुख योगदानों में प्रथ्वी, अग्नि और त्रिशूल मिसाइलों का विकास शामिल है।