हर साल राष्ट्रीय आपराधिक रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) भारत के हर कोने से लाखों दस्तावेज़ इकट्ठा करता है। लेकिन अधिकांश लोग इन दस्तावेज़ों को देखकर भी नहीं समझ पाते कि क्या हो रहा है। तो चलिए, इस टैग पेज पर हम आपके लिए सबसे आसान भाषा में बताते हैं कि NCRB डेटा क्या है, इसका प्रयोग कैसे करें और सबसे ज़रूरी रुझान क्या दिखाते हैं।
2023 की रिपोर्ट में कुल अपराध दर्ज 7.2 करोड़ की सीमा तक पहुँच गया, जो पिछले साल से 5 प्रतिशत अधिक है। सबसे ज्यादा बढ़त ‘हिंसा के खिलाफ’ श्रेणी में देखी गई, जहाँ 15 लाख से अधिक मामले हुए। दूसरी ओर, ‘साइबर अपराध’ में 30 प्रतिशत की तीव्र बढ़ोतरी दर्ज हुई, क्योंकि लोग ऑनलाइन लेन‑देन और सोशल मीडिया का ज़्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं।
राज्यवार देखें तो उत्तराखंड, बिहार और झारखंड ने ‘हिंसात्मक अपराधों’ में शीर्ष 3 में जगह बनाई। जबकि केरल, गोवा और हिमाचल प्रदेश में ‘धोखाधड़ी एवं वित्तीय अपराध’ की दर सबसे कम रही। इन आँकड़ों से यह भी पता चलता है कि सामाजिक‑आर्थिक कारक, पुलिस की प्रतिक्रिया और शिक्षा स्तर अपराध दर को सीधे प्रभावित करते हैं।
जब आप NCRB की PDF या एक्सेल फाइल खोलते हैं, तो पहले ‘सारांश तालिका’ पर ध्यान दें। यहाँ मुख्य वर्गीकरण, कुल केस और वर्ष‑वार परिवर्तन दिखता है। फिर ‘राज्य‑वार विवरण’ में जाएँ, जहाँ प्रत्येक राज्य की दरें, ग्राफ़ और तुलना तालिकाएँ मिलती हैं। अगर आप किसी विशेष अपराध की गहराई में जाना चाहते हैं, तो ‘प्रमुख अपराध’ टैब खोलें; यहाँ प्रत्येक आयु‑समूह, लिंग और शहर के हिसाब से आँकड़े मिलते हैं।
इन आँकड़ों को अपने काम में इस्तेमाल करने के दो आसान तरीके हैं। पहला, अगर आप जॉब सर्च कर रहे हैं या मार्केट रिसर्च कर रहे हैं, तो इन डेटा से आप समझ सकते हैं कि कौन‑से क्षेत्र में सुरक्षा सेवाओं की ज़रूरत ज़्यादा है। दूसरा, अगर आप पत्रकार या ब्लॉगर हैं, तो इन आँकड़ों को ग्राफ़ या इन्फोग्राफ़िक में बदलकर अपने पाठकों को आसान समझ दे सकते हैं। बस याद रखें—डेटा को हमेशा आधिकारिक स्रोत (ncrb.gov.in) से डाउनलोड करें और तारीख देखते रहें क्योंकि हर साल नया अपडेट आता है।
एक छोटा ट्रिक: NCRB वेबसाइट पर ‘इंटरऐक्टिव डैशबोर्ड’ विकल्प भी है, जहाँ आप अपना मनपसंद फ़िल्टर लगा कर सिर्फ़ अपने शहर या आयु‑समूह के आँकड़े देख सकते हैं। इस तरह आप बिना पूरे दस्तावेज़ को पढ़े तुरंत ज़रूरी जानकारी निकाल सकते हैं।
तो, अगर आप कभी भी अपराध की प्रवृत्ति, सुरक्षा उपाय या सामाजिक समस्याओं की गहराई में जाना चाहते हैं, तो NCRB डेटा आपका पहला दोस्त बन जाता है। इस टैग पेज पर मौजूद सभी लेखों में हमने ये आँकड़े सरल भाषा में तोड़‑मरोड़ कर समझाए हैं, बस एक क्लिक से पढ़ें और खुद को अपडेट रखें।
मायावती के 2007-2012 कार्यकाल में यूपी में 22,347 दंगे दर्ज किए गए, NCRB डेटा के मुताबिक। इन आंकड़ों में 2011 में लगभग 20% की बढ़ोतरी भी शामिल है। दावों के विपरीत, कानून व्यवस्था में सुधार नहीं दिखता, जबकि दलित सशक्तिकरण के लिए कई परियोजनाएं शुरू की गई थीं।