निर्जला एकादशी का महत्व और कैसे मनाएँ

क्या आप जानते हैं कि हर साल मिलने वाला यह विशेष एकादशी आपके जीवन में शांति और समृद्धि लाता है? बहुत से लोग इसे सिर्फ एक और धार्मिक दिन समझते हैं, लेकिन अगर आप सही तरीके से इसे मनाएँ तो जीवन में बड़ी सकारात्मकता आ सकती है। चलिए, बात करते हैं कि यह एकादशी क्यों खास है और इसे घर में कैसे egyszer से निकाल सकें।

निर्जला एकादशी का इतिहास और कथा

निर्जला एकादशी को ‘उष्णकटिबंधीय जल संकटकाल’ से बचाव के लिए भगवान विष्णु ने घोषित किया था। कथा के अनुसार, प्राचीन समय में महासागर में जल संकट आया और समुद्र में अंधेरे के बंधक बन गए थे। विष्णु ने इस समस्या को हल करने के लिए एकादशी पर अपने भक्तों को जल‑पानी न पीने का व्रत रखने को कहा। इस व्रत से जल की शुद्धता बनी रही और सभी को जल‑संसाधन की कद्र समझ आई।

यह कथा हमें यह सिखाती है कि साधारण जल‑पान पर भी जब हम सचेत रहें तो बड़े लाभ मिलते हैं। इसलिए आज भी लोग इस एकादशी को जल‑संरक्षण और शुद्धता के प्रतीक के रूप में मानते हैं।

निर्जला एकादशी पर व्रत और पूजा विधि

व्रत रखने का सबसे आसान तरीका है सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक किसी भी प्रकार का जल न पीना। आप फल, नट, दही या छाछ जैसे हल्के पदार्थ खा सकते हैं, लेकिन पानी या शरबती पेय बिल्कुल नहीं। अगर आपको बहुत प्यास लगे तो आप नारियल पानी या गले में थोड़ा कंचन (साबूदाना) रख सकते हैं, लेकिन यह भी सीमित मात्रा में होना चाहिए।

पूजा की तैयारी में आप भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने सफेद कपड़े बिछाएँ, फिर नारियल, चंदन, और तिल के तेल से अभिषेक करें। अगर आपके पास मोती के धागे हों तो उन्हें माला में पिरोकर भगवान के लिए अर्पित कर सकते हैं। प्रमुख मंत्रों में "ॐ नमो भगवते विष्णवे" और "हर हर महादेव" का जाप करें। घर में हल्की धूप जलाएँ, जिससे वातावरण शुद्ध बने।

पूजा के बाद अपने घर में एक छोटी जल‑संकट जागरूकता का पोस्टर लगाएँ या बच्चों को जल‑संरक्षण की महत्ता समझाएँ। इससे न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलेगा, बल्कि सामाजिक जागरूकता भी बढ़ेगी।

निर्जला एकादशी के बाद आप सुबह के समय पवित्र नदी या तालाब में स्नान कर सकते हैं। यह शुद्धिकरण का एक और तरीका है, जो आपके शरीर और मन को ताजगी देगा। अगर आपके पास कोई जल‑स्रोत नहीं है, तो घर के अंदर ही शुद्ध पानी का छोटा टब भरकर रिवर्सल बाथ ले सकते हैं।

ध्यान रहे, व्रत का मुख्य उद्देश्य शुद्धता और आत्म‑निरीक्षण है, इसलिए इस दिन बहुत अधिक शारीरिक काम या तनावपूर्ण कामों से बचें। आरामदायक कपड़े पहनें, हल्का संगीत सुनें, और धीरे‑धीरे अपने विचारों को शांति की ओर ले जाएँ।

अगर आप इस एकादशी को विशेष बनाना चाहते हैं, तो रिश्तेदारों और दोस्तों को भी इस व्रत में शामिल कराएँ। सामूहिक व्रत आपके सामाजिक बंधनों को और भी मजबूत करेगा। एक साथ मिलकर जल‑संरक्षण के बारे में चर्चा करें, और अपने आसपास के लोगों को भी इस महत्त्वपूर्ण संदेश को फेलाने में मदद करें।

आखिर में, याद रखें कि निर्विलम्ब जल‑बचाव और शुद्धता की भावना ही इस एकादशी का सार है। इसे अपने रोजमर्रा के जीवन में उतारें, और देखिए कैसे यह आपके भीतर सकारात्मक बदलाव लाता है।

जून 2024 में आने वाली एकादशी व्रत: तिथियाँ, शुभ मुहूर्त और महत्व
  • Sharmila PK
  • दिनांक चढ़ा हुआ 2 जून 2024

जून 2024 में आने वाली एकादशी व्रत: तिथियाँ, शुभ मुहूर्त और महत्व

जून 2024 में दो महत्वपूर्ण एकादशी व्रत आयेंगे: अपरा एकादशी और निर्जला एकादशी। अपरा एकादशी 2 जून को और निर्जला एकादशी 17 जून को मनाई जाएगी। इन दोनों व्रतों का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है, जिसमें ये व्रत पापों से मुक्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाले माने जाते हैं। पूजा विधि के अनुसार भगवान विष्णु की आराधना की जाती है।