पहली बार जब आप पुण्यतिथि सुनते हैं, तो सोचते हैं यह कब और कैसे मनाया जाता है? असल में पुण्यतिथि किसी प्रियजन की वार्षिक याद होती है, जब हम उनके जीवन को याद करते हैं और आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। इस दिन के रीती-रिवाज बहुत सरल होते हैं, बस इरादा सही हो, तो सब ठीक चल जाता है।
पुण्यतिथि का मूल उद्देश्य मृतकों को सम्मान देना और उनका याद रखना है। कई परिवारों में यह दिन साल में एक बार होता है, अक्सर उस दिन को चुनते हैं जब वह व्यक्ति जिया था या उनका जन्मदिन। इस दिन हम अपने रिश्तेदारों को एकत्र करते हैं, कुछ दान करते हैं और भगवान से शांति की गुहार लगाते हैं। ऐसा करने से न केवल मरने वाले की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि रीयलिटी में जो लोग शोक में होते हैं, उन्हें भी मन की शांति मिलती है।
पुण्यतिथि पर सबसे पहले साफ‑सुथरा जगह तैयार करें – घर का कोई कोना या कोई छोटा मंदिर जहाँ आप धूप‑दीप रख सकें। फिर ये कदम अपनाएँ:
अगर आपके पास कोई विशेष दान करने का इरादा है तो जरूरतमंदों को कपड़े, भोजन या पैसे दे सकते हैं। इस तरह का दान खुदा को भी पसंद आता है और इससे रिवाज भी पूरा होता है।
ध्यान रखें, पुण्यतिथि पर भारी खर्च या बड़े कार्यक्रम की ज़रूरत नहीं है। सादगी में ही असली शांति मिलती है। अगर आप बहुत दूर रह रहे हैं, तो फोटो या छोटा वीडियो बना कर ऑनलाइन शेयर कर सकते हैं, जिससे सबको एकजुट महसूस हो।
अंत में, यह याद रखें कि पुण्यतिथि सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि एक मौका है अपने दिल को साफ़ करने का, रिश्तों को फिर से जोड़ने का और अपने बुजुर्गों के योगदान को सम्मान देने का। आप इस दिन को सरल, सच्चे और स्नेह से भरपूर बना सकते हैं।
आज भारत के 'मिसाइल मैन', डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की नौवीं पुण्यतिथि है। 1931 में जन्में कलाम ने भारतीय स्पेस और मिसाइल कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वह 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति रहे और 1997 में भारत रत्न से सम्मानित हुए। उनके प्रमुख योगदानों में प्रथ्वी, अग्नि और त्रिशूल मिसाइलों का विकास शामिल है।
अभिषेक कुमार ने सुशांत सिंह राजपूत की चौथी पुण्यतिथि पर एक मार्मिक संदेश साझा किया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सुशांत के लिए एक भावुक श्रद्धांजलि पोस्ट की, जिसमें सुशांत की यादों का जिक्र किया गया। अभिषेक ने लिखा, 'भला तुझे आज भी कौन भूल पाया है'।