जब बात रेलवे मंत्रालय, भारत के रेल नेटवर्क की योजना, संचालन और विकास के लिए जिम्मेदार मुख्य सरकारी विभाग. Also known as मंत्रालय ऑफ़ रेल्स, it shapes how millions travel daily. उसी समय भारतीय रेलवे, देश की सबसे बड़ी रेल प्रणाली, लगभग 20,000 स्टेशन और 115,000 कर्मी को नीति‑निर्देशन, फंडिंग और नियमन की जरूरत होती है. फिर रेलवे सुरक्षा, ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने, यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय भी मंत्रालय के प्रमुख फोकस में रहता है. अंत में रेलवे आधुनिकीकरण, इलेक्ट्रिक लो-कंट्रोल, हाई-स्पीड ट्रैक और डिजिटल सिग्नलिंग जैसे प्रोजेक्ट्स के माध्यम से भारतीय रेल को भविष्य‑तैयार बनाता है.
रेलवे मंत्रालय के फैसले सीधे रेलवे परियोजना की गति को निर्धारित करते हैं। नई रूट्स, डी‑बेडिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर अपडेट्स के लिए फंडिंग आवंटन यहाँ से शुरू होता है। उदाहरण के तौर पर, हाई‑स्पीड ट्रेन corridors की योजना, वर्ल्ड‑क्लास टर्मिनल निर्माण और एंटी‑कोरोना प्रोटोकॉल लागू करने में मंत्रालय की भूमिका स्पष्ट है। इस दिशा में, रेल मंत्रालय ने पिछले साल 10,000 किमी से अधिक ट्रैक का इलेक्ट्रिफिकेशन किया, जिससे डीजल उपयोग में 30% कमी आई.
भारतीय रेलवे की दैनिक चलाने वाली ट्रेनें, स्थानीय कम्यूटर्स से लेकर अंतरराष्ट्रीय यात्रियों तक को जोड़ती हैं। मंत्रालय ने इस बुनियादी ढांचे को सुरक्षित रखने के लिए रेलवे सुरक्षा को तीन स्तरीय मॉडल में बाँटा: तकनीकी, ऑपरेशनल और लोकल जागरूकता। तकनीकी पहल में ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) सिस्टम, डिटेक्शन सेंसर और एआई‑आधारित मोनिटरिंग शामिल हैं। ऑपरेशनल स्तर पर, टाइम‑टेबल अनुकूलन और रियल‑टाइम ट्रैक मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है। अंत में, यात्रियों को सुरक्षा निर्देशों की नियमित शिक्षा दी जाती है, जिससे दुर्घटनाओं का जोखिम घटता है.
एक और महत्वपूर्ण स्तंभ रेलवे आधुनिकीकरण है, जिसमें डिजिटल टिकटिंग, मोबाइल एप्प्स और कागज़‑रहित बोरिंग सिस्टम को बढ़ावा दिया जाता है। इन डिजिटल उपायों ने यात्रियों के सफर को तेज़ और सुगम बना दिया है। साथ ही, हाई‑स्पीड नेटवर्क की योजना में बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा को विशेष रूप से लक्षित किया गया है, जैसे कि सुरक्षित प्लेटफ़ॉर्म डिज़ाइन और बेहतर प्रकाश व्यवस्था। इस तरह के प्रोजेक्ट्स मंत्रालय के व्यापक लक्ष्य – "सुरक्षित, तेज़ और सतत" – को साकार करने में मदद करते हैं.
रेलवे मंत्रालय की नीति‑निर्देशन में आर्थिक पहलू भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जाता। बजट आवंटन, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल और विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए आसान नियम बनाना, सभी इनका उद्देश्य रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर को तेज़ी से विकसित करना है। हाल ही में, विभाग ने एक बाहरी विक्रेता के साथ मिलकर 5,000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट पर साइन किया, जिसमें कंटेनर फ्रेट टर्मिनल के निर्माण और एसी‑फ़्रोजन लॉजिस्टिक सेंटर शामिल हैं। इस कदम ने भारतीय रेल को लॉजिस्टिक्स हब में बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है.
विभागीय संचार और पारदर्शिता भी मंत्रालय के कार्य‑प्रवाह का हिस्सा है। ऑनलाइन पोर्टल, मोबाइल ऐप और सोशल मीडिया के माध्यम से जनता को रेल सेवाओं की स्थिति, टाइम‑टेबल में बदलाव और आपातकालीन सूचना समय पर उपलब्ध कराई जाती है। यह डिजिटल जुड़ाव यात्रियों को निर्णय‑लेने में मदद करता है और विभाग को फीडबैक के जरिए सुधार करने का अवसर देता है.
इन सभी पहलुओं को मिलाकर देखें तो, रेलवे मंत्रालय न केवल भारतीय रेलवे की दूरदर्शी योजना बनाता है, बल्कि उसे जमीन पर उतारने, सुरक्षित रखने और भविष्य‑सुरक्षित बनाते हुए लोगों के जीवन में बदलाव लाता है। नीचे आप इस टैग से जुड़े विभिन्न समाचार लेखों और अपडेट्स को देखेंगे, जो मंत्री मंडल की नवीनतम पहल, नई परियोजनाओं और सुरक्षा उपायों की विस्तृत जानकारी देते हैं.
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