रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की ताज़ा ख़बरें और असर

अगर आप अर्थव्यवस्था की खबरों को फॉलो करते हैं तो RBI का हर कदम आपके पोर्टफ़ोलियो या बचत पर असर डालता है। इसलिए हम यहाँ आसान शब्दों में बताएंगे कि RBI ने अभी‑अभी क्या कहा, क्यों कहा और इसका आपके रोज़मर्रा के जीवन में क्या मतलब है।

RBI की मौद्रिक नीति का असली मतलब

मौद्रिक नीति शब्द सुनते ही दिमाग में जटिल एंटी‑इन्फ्लेशन फ़ॉर्मूला बनता है, पर असल में यह सिर्फ रिफ़ायनिंग रेट, यानी रेपो रेट को बदलना है। जब RBI रेपो रेट घटाता है, बैंकों को सस्ता पैसा मिलता है और वो लोन पर भी कम ब्याज ले सकते हैं। इसका असर होता है कि लोग ज्यादा खर्च करते हैं, जिससे आर्थिक गति तेज़ होती है। उल्टा, जब रेट बढ़ता है, तो खर्च कम होता है और महँगाई को कंट्रोल किया जाता है।

दूसरा महत्वपूर्ण टूल है रिवर्स रेपो रेट, जो बैंकों के पास अतिरिक्त पैसे को RBI के पास सुरक्षित रखने पर मिलता है। इस रेट को बदल कर RBI नकदी को बाहर या अंदर ले जाता है, जिससे बाजार में तरलता का संतुलन बना रहे।

हाल के प्रमुख कदम और उनका असर

पिछले महीने RBI ने रेपो रेट को 6.50% से 6.75% तक बढ़ाया। यह कदम मुख्य रूप से बढ़ती महँगाई को रोकने के लिए था, क्योंकि उपभोक्ता कीमतें लगातार 6% से ऊपर चल रही थीं। इस बढ़ोतरी से घर के लिये लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की किस्तें थोड़ी महँगी हो गईं, लेकिन बचत खातों पर मिलने वाला ब्याज भी थोड़ा बढ़ गया।

इसी समय RBI ने डिजिटल भुगतान को आसान बनाने के लिए नई दिशा-निर्देश जारी किए। छोटे व्यापारियों को QR कोड के जरिए भुगतान स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहन मिला, और इस सेक्टर में ट्रांज़ैक्शन लागत घटाने की योजना बनाई गई। इससे छोटे दुकानदारों को कैश‑लेस लेन‑देने में मदद मिली और डिजिटल इकोसिस्टम मजबूत हुआ।

आगे चलकर RBI ने बैंकों को एटीएम में 24×7 कैश डिपॉजिट की सुविधा देना अनिवार्य किया। इसका मकसद था कि लोग घर से बाहर बैंक नहीं जाएँ और रोज़मर्रा की छोटी-छोटी जमा‑निकासी आसानी से हो सके। लोग कहना शुरू कर रहे हैं कि यह सुविधा जीवन को बहुत आसान बनाती है, खासकर ग्रामीण इलाकों में।

इन्हीं बदलावों के चलते भारतीय स्टॉक मार्केट में थोड़ी अस्थिरता देखी गई। जब RBI ने रेट बढ़ाया, तो निवेशक अक्सर सुरक्षित बांड्स की ओर भागे, जिससे शेयरों में थोड़ा गिरावट आया। लेकिन डिजिटल कदमों से टेक‑स्टार्टअप्स को नया भरोसा मिला, और उनका शेयर मूल्य धीरे‑धीरे पुनः बढ़ा।

अंत में, अगर आप खुद को वित्तीय रूप से तैयार रखना चाहते हैं तो RBI की रिपोर्ट्स को मासिक देखना फायदेमंद रहेगा। नई मौद्रिक नीति आपके लोन की लागत, बचत पर मिलने वाले ब्याज और निवेश के अवसरों को सीधे प्रभावित करती है। इसलिए हर महीने के फाइज़र मीटिंग या प्रेस रिलीज़ को नज़रअंदाज़ न करें।

बजट 2024: भारतीय अर्थव्यवस्था की चार बैलेंस शीट चुनौती का समाधान जरूरी
  • Sharmila PK
  • दिनांक चढ़ा हुआ 2 जुल॰ 2024

बजट 2024: भारतीय अर्थव्यवस्था की चार बैलेंस शीट चुनौती का समाधान जरूरी

बजट 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था की चार बैलेंस शीट चुनौती को सुलझाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह चुनौती सरकार, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, बैंकों और कॉर्पोरेट क्षेत्र की तनावग्रस्त बैलेंस शीट से जुड़ी है। इन सभी क्षेत्रों की बैलेंस शीटों को ठीक किए बिना भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता और विकास संभव नहीं है।