सीपीआई(एम) – आपका रोज़ाना महंगाई चेकपॉइंट

जब भी आपकी जेब हल्की महसूस करे, अक्सर इसका कारण महंगाई होता है। भारत में महंगाई को मापने का सबसे भरोसेमंद तरीका है सीपीआई(एम) – यानी Consumer Price Index Monthly. यह आँकड़ा सरकार और बाजार दोनों को बताता है कि सामान‑सेवा की कीमतें एक महीने में कितनी बढ़ी या घटी। अगर आप अपने खर्चे को समझना चाहते हैं या निवेश में सही कदम रखना चाहते हैं, तो इस सेक्शन को पढ़िए.

सीपीआई(एम) कैसे निकाला जाता है?

सीपीआई(एम) की गणना भारत के स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (MOSPI) द्वारा की जाती है. हर महीने 200 से ज्यादा चीज़ों की कीमतें, जैसे खाना‑पानी, कपड़े, शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास, भारत के विभिन्न शहरों में ली जाती हैं. इन कीमतों को वज़न दिया जाता है, क्योंकि सब चीज़ें एक बराबर नहीं होतीं. फिर सब वज़नित कीमतों को जोड़कर एक औसत निकालते हैं. यही औसत ही आपके सीपीआई(एम) का मान बनता है।

उदाहरण ले लीजिए, अगर दो साल पहले चावल की कीमत ₹30/kg थी और अब ₹35/kg हो गई, तो चावल की महंगाई 16.7% होगी. इसी तरह हर आइटम का % बदलता है, और सबको मिलाकर सालाना या मासिक बढ़ोतरी का प्रतिशत निकालते हैं. यह प्रतिशत ही हमें बताता है कि महंगाई कितनी तेज़ी से बढ़ रही है.

सीपीआई(एम) के उपयोग और असर

सीपीआई(एम) सिर्फ आंकड़ा नहीं, यह कई महत्वपूर्ण फैसला‑लेने में काम आता है:

  • नीति बनाना: RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक) ब्याज दर तय करने में सीपीआई को ध्यान में रखता है. अगर महंगाई बढ़ रही है, तो RBI दर बढ़ा सकता है ताकि खर्च घटे.
  • वेतन और पेंशन: कई कंपनियों और सरकारी योजनाओं में वेतन वृद्धि या पेंशन इंडेक्सेशन सीपीआई पर आधारित होती है.
  • बजट बनाना: घर के खर्चे को कंट्रोल करने के लिए आप अपने ख़र्चे को सीपीआई के साथ तुलना कर सकते हैं. अगर एसपीआई बढ़ रहा है, तो अनावश्यक ख़रीदारी से बचें.
  • निवेश रणनीति: महंगाई बढ़ने पर गोल्ड, रियल एस्टेट या महँगी कमोडिटी में निवेश बेहतर हो सकता है. वहीं बचत खाते की ब्याज दर कम रहने पर सोचना पड़ेगा.

अगर आप रीयल‑टाइम सीपीआई(एम) देखना चाहते हैं, तो सरकारी वेबसाइट mospi.gov.in पर जाएँ या भरोसेमंद न्यूज़ एप्प्स में “CPI Monthly” सर्च करें. डेटा हर महीने पहले हफ़्ते की शुरुआत में अपडेट होता है, तो आप इसे अपने मासिक बजट में शामिल कर सकते हैं.

अंत में एक छोटा टिप: अपनी घर की सबसे बड़ी खर्चे वाली आइटम (जैसे गैस, बिजली या राशन) की कीमत को नोट करें और सीपीआई के साथ तुलना करें. अगर आपका खर्चा सीपीआई से तेज़ बढ़ रहा है, तो वैकल्पिक विकल्प खोजें, जैसे लो‑कास्ट ब्रांड या डिल्स. इस तरह आप महंगाई की मार को थोड़ा कम कर पाएँगे.

सीपीआई(एम) को समझना कठिन नहीं, बस इससे जुड़े मुख्य बिंदु याद रखें और नियमित रूप से डेटा देखें. यही आपका सबसे आसान टूल है महंगाई को मात देने का.

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  • Sharmila PK
  • दिनांक चढ़ा हुआ 8 अग॰ 2024

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