आजकल हर कोने में नई कंपनी का नाम सुनते हैं। आप भी सोच रहे हैं कि अपना स्टार्टअप कैसे शुरू किया जाए? थोड़ा आराम से पढ़िए, हम सरल शब्दों में बताते हैं कि क्या करना है, किन चीज़ों से बचना है और कौन‑सी चालें काम करती हैं।
पहला कदम है आईडिया। अपने दिमाग में जो भी समस्या दिखे, उससे जुड़ी समाधान सोचा जाए। जितनी बड़ी समस्या, उतनी ही बड़ी संभावना। फिर उस समस्या को छोटे‑छोटे हिस्सों में तोड़िए और देखिए कि आप किस तरह का प्रोडक्ट या सर्विस दे सकते हैं।
दूसरा कदम – मार्केट रिसर्च। अपना आईडिया दोस्तों, परिवार या ऑनलाइन सर्वे के ज़रिए टेस्ट करें। लोगों को सच‑मुच क्या चाहिए, इसे समझना बहुत ज़रूरी है, नहीं तो प्रोडक्ट बनाना बेकार का काम बन सकता है।
तीसरा कदम – न्यूनतम वैकल्पिक प्रोडक्ट (MVP) बनाइए। फ़ुल फ़ीचर वाले प्रोडक्ट को एक महीने में नहीं बना सकते। पहले सिर्फ़ बेसिक वर्ज़न बनाएं, फिर यूज़र फ़ीडबैक लेकर धीरे‑धीरे सुधारें।
चौथा – फंडिंग की सोर्सिंग। शुरुआत में खुद की बचत, परिवार या दोस्तों से छोटा निवेश ठीक है। अगर प्रोडक्ट में traction दिखे तो एंजल इन्वेस्टर या सीड फंडिंग के बारे में सोचिए। बहुत ज़्यादा पैसा एक बार में नहीं लेना चाहिए, क्यूँकि उसे वापिस देना भी पड़ता है।
पाँचवां – टीम बनाइए। अकेले काम करने की हिम्मत नहीं रखनी चाहिए। तकनीकी, मार्केटिंग और ऑपरेशन में विशेषज्ञ लोगों को साथ लाएँ। टीम जितनी मजबूत होगी, उतनी ही जल्दी प्रॉब्लम्स सॉल्व होंगे।
एक उदाहरण देखें – 23‑वर्षीय manoJ Tumu ने Amazon छोड़ कर Meta AI टीम में जॉइन किया। उनका रहस्य था – प्रोफ़ेशनल अनुभव को रिज़्यूमे में सही जगह देना, इंटर्नशिप करके स्किल्स को बड़ाना और कंपनी की वैल्यूज़ को समझकर इंटरव्यू की तैयारी करना। उन्होंने सीधे LinkedIn से अप्लाई किया, रेफ़रल पर निर्भर नहीं रहे। यही तरीका छोटे‑स्टार्टअप्स के लिए भी फायदेमंद है – सही स्किल्स को दिखाएँ, नेटवर्क बनाएँ और कंपनी की संस्कृति को समझें।
दूसरी कहानी – POCO F7 सीरीज़ का लॉन्च। इस फ़ोन में हाई‑परफ़ॉर्मेंस प्रोसेसर और बड़ी बैटरी को रिव्यूस में बेहतरीन रेटिंग मिली क्योंकि कंपनी ने यूज़र की वास्तविक जरूरतों (गैमिंग, बैटरी लाइफ़) पर फोकस किया। ये दिखाता है कि मार्केट की माँग को समझ कर प्रोडक्ट बनाना ही सफलता की कुंजी है।
अब आपका रोल क्या है? अपने आइडिया को जल्दी से जल्दी वर्केबल बनाइए, छोटे‑छोटे प्रयोग करें और फीडबैक को जल्दी अपनाएँ। हर स्टार्टअप में री‑इटरेशन का चक्र चलता रहता है – इसे अपनाएँ तो ही आगे बढ़ पाएँगे।
अंत में, याद रखिए कि सफल स्टार्टअप बनाना रातों‑रात नहीं होता। धीरज रखें, सही लोगों से सीखें और हमेशा अपडेटेड रहें। जब आप यह सब करेंगे तो आपका स्टार्टअप भी अगले बड़े नाम बन सकता है।
भारत सरकार ने सभी निवेशक वर्ग के लिए 'एंजल टैक्स' समाप्त करने का निर्णय लिया है, जिससे स्टार्टअप्स और उनके निवेशकों को राहत मिलेगी। यह टैक्स 2012 में मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के लिए लाया गया था, लेकिन इसे अत्याचारी माना गया था। स्टार्टअप्स के लिए यह खबर एक बड़ी राहत के रूप में आई है।