जब नवाक जडोविक, सर्बियाई टेनिस खिलाड़ी और सात बार विम्बलडन विजेता, ने प्रथम राउंड में एलेक्ज़ैंड्रे मुलर को 6-1, 6-7(7), 6-2, 6-2 से हराया, तो बात बन गई। यह मुकाबला विम्बलडन 2025विंबलडन, लंदन के ऑल इंग्लैंड क्लब में मंगलवार को तीन घंटे बीस मिनट तक चला। जडोविक ने अपने पेट की परेशानी के बावजूद शानदार वापसी की, जिससे उनका 40 में से 42 जीत का रोमांचक आँकड़ा एक और स्तर पर पहुंच गया।
जडोविक ने पहले सेट में पूरी ताकत के साथ गेंद को घास पर ऐसे चलाया जैसे वह इस कोर्ट के मालिक हों। 6-1 का स्पष्ट स्कोर लेकर उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी को पीछे धकेल दिया। लेकिन दूसरा सेट शुरू होते ही उनका शरीर असहज होने लगा। मुलर ने एक शानदार ब्रेक लेकर सेट को 6-6 पर ले आया, और टाई‑ब्रेक में जडोविक को छह सेट पॉइंट्स तक खोना पड़ा।
इस बीच टेनिस कोर्ट के किनारे डॉक्टर की झप्पी बार‑बार देखी गई। जडोविक ने खुद को "पेट के बग" की शिकायत की, जबकि वह दो बार मेडिकल ट्रीटमेंट माँग रहे थे। "मैं एक सेट‑आधा बेहतरी महसूस कर रहा था, फिर अचानक 45 मिनट तक सबसे बुरा महसूस किया," उन्होंने बाद में बताया। डॉक्टर की दवा ने उन्हें फिर से ऊर्जा दी, और तीसरे‑चौथे सेट में उन्होंने नियंत्रण फिर से अपने हाथ में ले लिया।
जडोविक के मुकाबले के बाद ही यह खबर आई कि अलेक्जेंडर ज़वेरव, जो टूर्नामेंट में तृतीय सीड थे, पहले दौर में ही बाहर हो गए। उनका हार जर्मनी के युवा खिलाड़ी फ़्रिड्रिख श्मिट के हाथों हुई, जिससे कई विशेषज्ञों ने टूर्नामेंट के ड्रॉ को "सबसे बड़ा उपहास" कहा। ज़वेरव की यह हार जडोविक के लिए एक बड़ी राहत बन गई, क्योंकि अब उनका प्रमुख प्रतिद्वंद्वी पहले ही निकलेगा।
यह जीत जडोविक को 75 लगातार ग्रैंड स्लैम पहली राउंड जीतने का रिकॉर्ड फिर से दोहराने में मदद मिली। साथ ही उन्होंने इस टूर्नामेंट में अपना 100वां विम्बलडन विजय भी हासिल किया—एक ऐसी उपलब्धि जो केवल दो खिलाड़ी ही प्राप्त कर चुके हैं: रोज़र फ़ेडरर और जडोविक खुद। यह आँकड़ा दर्शाता है कि उम्र और छोटे‑छोटे चोटों के बावजूद वह अभी भी शीर्ष पर हैं।
जडोविक के बाद टूर्नामेंट में फिर एक नया चेहरा उभरा: जैनिक सिन्नर ने फाइनल में कार्लोस अल्काराज़ को हराकर नया विजेता का खिताब खुद को दिया। इस बीच टेलीविज़न पर दर्शकों ने कई चौंकाने वाले अपसेट देखे, जैसे जैक ड्रैपर की दूसरी राउंड में हार और टेलर फ्रिट्ज़ का सेमीफ़ाइनल तक पहुंचना।
स्पोर्ट्स एनालिस्टों का कहना है कि जडोविक के लिए अब चुनौतियां दो भाग में बँटी हैं—शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक दृढ़ता। "यदि वह इस तरह की छोटी‑मोटी समस्याओं को जल्दी संभाल लेते हैं, तो आठवीं विम्बलडन जीत की राह उनके कदमों में है," एक टेनिस कोच ने कहा। वहीं ज़वेरव के कोच ने आशा व्यक्त की कि इस हार के बाद युवा खिलाड़ी अपने खेल को फिर से तराशेंगे और अगले सत्र में बेहतर प्रदर्शन करेंगे।
यह जीत जडोविक को पहले दौर में 75‑कड़ी जीत का रिकॉर्ड देती है और साथ ही उनका 100वां विम्बलडन जीत बनाती है, जो इतिहास में केवल दो खिलाड़ियों ने ही किया है। इससे उनके आठवीं विम्बलडन खिताब की संभावना फिर से जीवंत हो गई।
मुलर ने दूसरे सेट में टाई‑ब्रेक जीत कर खेल को बराबर किया और जडोविक को दो सेट पॉइंट खोने पर मजबूर किया, लेकिन शारीरिक समस्या के कारण वह अंततः पीछे रह गया।
ज़वेरव की शुरुआती हार ने प्रतियोगिता में एक बड़ा गैप बना दिया, जिससे जडोविक के रास्ते में कम प्रतिद्वंद्वी रहेंगे। साथ ही यह युवा जर्मन खिलाड़ियों को प्रेरित कर सकता है कि वे अगले सीज़न में अपनी फिटनेस और रणनीति पर काम करें।
सिन्नर ने अपने सर्वर की सटीकता और बेसलाइन पर स्थिरता को बढ़ाया, साथ ही अल्काराज़ की गलती के मौके को तेज़ी से भुनाया। उनकी प्ले‑ऑफ़ रणनीति और शारीरिक फिटनेस ने उन्हें फाइनल में विजेता बनाया।
सबसे बड़ी चुनौती उनकी शारीरिक स्थिरता है, खासकर पेट की समस्याओं और छोटे‑मोटे चोटों से उबरना। साथ ही, जवानी की नई पीढ़ी—जैसे सिन्नर और अल्काराज़—का सामना करने के लिए उन्हें रणनीति में बदलाव करने की जरूरत होगी।
vishal Hoc
जडोविक की जीत देखकर अच्छा लगा।