सिटापुर जेल से लगभग अजब खान को 12 बजे 20 मिनट के बाद जेल से बाहर निकाला गया। 77 साल के इस पूर्व सांसद ने अपनी पहचान वाली सफ़ेद कुर्ता पायजामा के साथ काली कमरबन्दी पहनी हुई थी। जेल से निकलते ही उनके बेटे अदीब और अब्दुल्ला ने भीड़ का स्वागत किया, जहाँ 300 से अधिक पार्टी कार्यकर्ता मीठा बाँट रहे थे।
काफी केसों में बैंल मिलते ही उनका जुड़ाव समाप्त हुआ – 72 मामलों में बैंल, जबकि रांपुर हाई कोर्ट ने 20 सितम्बर को एक दुश्मन संपत्ति केस को भी खारिज किया। अलाहाबाद हाई कोर्ट ने 18 सितम्बर को क्वालिटी बार भूमि अतिक्रमण केस में बैंल दे दिया था, जिससे कानूनी बाधा समाप्त हुई।
जेल के बाहर प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया। पुलिस ने ड्रोन कैमरों से भीड़ पर नज़र रखी और यातायात में जाम के बावजूद सुरक्षा को कायम रखा।
समाजवादी पार्टी के नेता रुचि वीरा ने इस दिन को "न्याय की जीत" कहा, जबकि अखिलेश यादव ने कहा कि पार्टी सत्ता में आए तो अजब खान के खिलाफ चल रहे सभी "झूठे केस" हटाए जाएंगे। पार्टी के कई बड़े नेता, जिनमें मोरादाबाद की विधायिका रुची वीरा शामिल हैं, ने भीर में मौजूद होकर इस रिहाई को महत्त्वपूर्ण बताया।
विशेषज्ञों का मानना है कि अजब खान की वापसी से पार्टी का मुस्लिम वोट बेस और मजबूत होगा, खासकर रांपुर, मोरादाबाद और आसपास के क्षेत्रों में जहाँ उनका असर खासा है। हालांकि, कुछ аналитики यह भी चेतावनी दे रहे हैं कि उनका कड़क रुख और पार्टी के भीतर कभी‑कभी दूरी internal friction का कारण बन सकता है।
रात में रांपुर की जेल रोड पर उनके घर पहुंचते ही भारी भीड़ ने उनका स्वागत किया; घर के दरवाज़े तक पहुँचना भी मुश्किल हो गया, जिससे उनके लोकप्रियता की झलक मिलती है।
एक टिप्पणी लिखें