31 जनवरी 2025 को महाराष्ट्र क्रिकेट असोसिएशन स्टेडियम, पुणे में भारत और इंग्लैंड के बीच चौथा T20I मैच खेला जा रहा था। इस मुकाबले में भारतीय टीम के सामने एक असामान्य चुनौती आई जब उनके खिलाड़ी शिवम दुबे को इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जैमी ओवर्टन की बाउंसर का सामना करना पड़ा। यह स्थिति तब उत्पन्न हुई जब दुबे को अंतिम ओवर में हेलमेट पर चोट लगी। उन्होंने उस समय खेल जारी रखा, लेकिन बाद में चिकित्सकीय परीक्षण के बाद उन्हें मैच से बाहर कर दिया गया। इस परेशानी के बीच, टीम प्रबंधन ने तेज गेंदबाज हरषित राणा को उनके स्थान पर बदलने का निर्णय लिया।
जब हरषित राणा ने मैदान पर कदम रखा, तो उन्होंने तुरंत ही अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया। उनकी दूसरी गेंद पर ही उन्होंने इंग्लैंड के खतरनाक बल्लेबाज लियाम लिविंगस्टोन का विकेट लेकर अपना टैली खोला। यह विकेट भारतीय टीम के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ और अंततः भारत ने इस मुकाबले को 15 रन से जीत लिया। भारतीय टीम के इस निर्णय ने उन्हें न केवल इस मैच में बढ़त दी, बल्कि इसने सीरीज को भी सुनिश्चित किया।
इस बदलाव ने अपनी तरह के विवादों को जन्म दिया। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के नियमों के अनुसार, चोट के कारण सही स्थानापन्न खिलाड़ी को चुनने की आवश्यकता होती है। कुछ विशेषज्ञों का मानना था कि हरषित राणा और शिवम दुबे के खेल में अंतर था। जबकि दुबे मुख्यतः एक बल्लेबाजी ऑलराउंडर के रूप में मैदान पर उतरते थे, राणा एक विशेषज्ञ तेज गेंदबाज थे। इस वजह से एक 'जैसे-के-जैसे' परिवर्तन नहीं माना जा सकता था।
प्रसिद्ध पूर्व इंग्लैंड कप्तान माइकल वॉन ने भी इस मामले पर सवाल उठाए। उनका मानना था कि यह निर्णय भारत के लिए एक अप्रत्याशित फायदेमंद साबित हो सकता था। वॉन का कहना था कि भारतीय टीम ने इस बदलाव के जरिए जो बढ़त हासिल की वह आईसीसी के नियमों का उल्लंघन करती है।
भारतीय टीम की नीति की आलोचना करने वालों के विपरीत, कई विशेषज्ञों ने इस कदम को एक संकल्पशील और सूचित निर्णय माना। भारतीय टीम के कोचों और चिकित्सकीय टीम ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए हरषित राणा को प्रवेश कराने का निर्णय लिया, जिसे टीम के लिए महत्वपूर्ण योगदान मिला। उनकी मौजूदगी ने भारतीय गेंदबाजी को मजबूत किया और अंततः यह निर्णय भारत के पक्ष में काम आया। कई पूर्व क्रिकेटरों का मानना था कि यह गेम प्लान भारतीय टीम की अद्वितीय क्षमता का उदाहरण है।
इस घटना ने अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट में चोट प्रबंधन और खिलाड़ी सुरक्षा के महत्व को एक बार फिर उजागर किया है। इसके साथ ही यह चर्चा यहीं पर नहीं थमेगी, क्योंकि यह बदलाव आने वाले समय में आईसीसी के नियमों के संभावित संशोधनों को प्रभावित कर सकता है।
इस घटना ने खेल के नियमों के आवेदन और उनके व्याख्या में बदलाव की जरूरत की ओर ध्यान आकर्षित किया है। आईसीसी और अन्य क्रिकेट बोर्ड संभावित रूप से नियमों की समीक्षा करने की ओर अग्रसर हो सकते हैं, ताकि टीमों को निश्चित दिशा-निर्देश उपलब्ध हो और आगे ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। इसके अलावा यह मामला चर्चा में बना रहेगा, जब तक कि सभी पक्षों द्वारा इसे ठीक से निपटाया नहीं जाता।
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