अगर आप थोड़ा-बहुत बचत कर रहे हैं या पहले से ही शेयर बाजार में हैं, तो यह पेज आपके लिए है। यहाँ हम सीधे‑सधे तरीकों से बताते हैं कि पैसों को कैसे बढ़ाया जा सकता है, बिना जटिल शब्दावली के.
हर महीने की आय में से 10‑15 प्रतिशत बचत को एक सिस्टमेटिक प्लान (SIP) में डाल दें। यह सरल तरीका है, लेकिन लंबे समय में बड़ी पूंजी बनाता है। अगर आपके पास पहले से emergency fund है, तो SIP से रीटर्न की उम्मीद रख सकते हैं।
ध्यान दें: बड़े‑छोटे शेयर नहीं, बल्कि अच्छे क्वॉलिटी वाले म्यूचुअल फंड चुनें। फंड का इतिहास देखें, लेकिन सिर्फ़ पिछले साल के रिटर्न पर न टिकें।
बाजार में रोज़ नई जानकारी आती है – कंपनी के क़्वार्टर रेज़ल्ट, नई प्रोडक्ट लॉन्च, या सरकारी नीतियों का असर। इन खबरों को जल्दी समझना फ़ायदा देता है।
उदाहरण के तौर पर, हाल ही में भारतीय एयरफोर्स‑नेवी द्वारा ब्रह्मोस मिसाइल पर बड़ा निवेश किया। इससे defence‑related स्टॉक्स में इंटरेस्ट बढ़ सकता है। इसी तरह Meta AI जॉब की खबर ने टेक‑सेक्टर्स में उछाल दिया।
ताज़ा ख़बरों को पढ़ते समय, सिर्फ़ हेडलाइन नहीं, बल्कि कंपनी की फंडामेंटल्स पर फोकस रखें। अगर बॉर्डरलाइन कॉम्पिटिटर्स के साथ बेहतर ग्रोथ दिख रही हो तो वो स्टॉक आपके पोर्टफोलियो में जोड़ने लायक हो सकता है।
अब बात करें कुछ प्रैक्टिकल कदमों की:
अगर आप अभी शुरू कर रहे हैं, तो एक बेसिक बुकमार्क लिस्ट बनाएं: 1) SIP फंड, 2) Blue‑chip स्टॉक्स, 3) Defence/Tech से जुड़े ETFs. ये तीनों मिलकर पोर्टफ़ोलियो को स्थिर रखेंगे और अवसर भी देंगे।
सफल निवेशक हमेशा अपने लक्ष्य को स्पष्ट रखते हैं। चाहे वह 5 साल में घर खरीदना हो या रिटायरमेंट के लिए 20 साल की प्लानिंग, लक्ष्य के हिसाब से एसेट अलोकेशन बदलती है।
अंत में एक छोटी सी याद दिला दूँ: मार्केट में उतार‑चढ़ाव सामान्य है, पैनिक में नहीं जाना चाहिए। धीरज रखिए, प्लान फॉलो कीजिए और नियमित रूप से पोर्टफ़ोलियो रिव्यू करें। यही सबसे बड़ा निवेश‑टिप है।
बीएसई सेंसेक्स में 654 अंकों की गिरावट से निवेशकों को 4.53 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। अमेरिकी जॉब डेटा के मजबूत आंकड़ों ने इस गिरावट को प्रमुख रूप से प्रभावित किया। इससे ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएं धूमिल हो गईं, जिससे भारतीय बाजारों की आकर्षण घटा।
भारत सरकार ने सभी निवेशक वर्ग के लिए 'एंजल टैक्स' समाप्त करने का निर्णय लिया है, जिससे स्टार्टअप्स और उनके निवेशकों को राहत मिलेगी। यह टैक्स 2012 में मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के लिए लाया गया था, लेकिन इसे अत्याचारी माना गया था। स्टार्टअप्स के लिए यह खबर एक बड़ी राहत के रूप में आई है।