डेडलाइन विस्तार के पीछे के कारण
केंद्रीय बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेज़ (CBDT) ने आयकर वर्ष 2025-26 के लिए टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की जमा करने की अंतिम तिथि 30 सितम्बर 2025 से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दी। यह कदम कई चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) संघों की लगातार मांगों के बाद उठाया गया, जिनमें चंडीगढ़ चार्टर्ड टैक्सेशन एसोसिएशन (CCATAX) प्रमुख रहा। CCATAX के सचिव मनोज कोहली ने कहा, "मौजूदा कैलेंडर बहुत ही अव्यावहारिक है, तकनीकी बाधाओं, बिजली कटौतियों और मानसून की बाढ़ ने प्रोफेशनलों को झकझोर कर रखा है।"
विस्तार के मुख्य कारणों में शामिल हैं:
- इन्कम टैक्स ई‑फ़ाइलिंग पोर्टल पर लगातार तकनीकी गड़बड़ियां, जैसे सर्वर क्रैश और सत्र टाइम‑आउट।
- Annual Information Statement (AIS) और Form 26AS के बीच डेटा मिसमैच, जिससे रिटर्न फाइलिंग में कठिनाई हुई।
- कई राज्यों में बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं ने बिजनेस एक्टिविटी और ऑफिस संचालन में रुकावट डाली।
- इंस्टीट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया (ICAI) द्वारा गैर‑कॉरपोरेट इकाइयों के लिए नए फाइनेंशियल स्टेटमेंट फॉर्मेट का परिचय, जो प्रशिक्षण और सॉफ़्टवेयर अपडेट की मांग करता है।
इन सभी मुद्दों को देखते हुए, CBDT ने आधिकारिक घोषणा में बताया कि उन्नत तकनीकी बुनियादी ढांचे की कमी और प्राकृतिक आपदाओं के कारण समय सीमा में लचीलापन जरूरी था।
विस्तार के संभावित प्रभाव
डेडलाइन में 30‑दिन की वृद्धि से दोनों करदाता और ऑडिट पेशेवरों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है। अक्टूबर तक का अतिरिक्त समय उन्हें:
- तकनीकी समस्याओं का समाधान करने, पोर्टल के साथ डेटा को सटीक रूप से मिलाने,
- नए ICAI फॉर्मेट पर प्रशिक्षण प्राप्त करने और सॉफ़्टवेयर को अपडेट करने का अवसर देगा,
- बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों में शारीरिक रूप से दस्तावेज़ इकट्ठा करने या क्लाइंट्स के साथ मीटिंग आयोजित करने के लिए पर्याप्त समय प्रदान करेगा।
CBDT ने यह भी बताया कि 24 सितम्बर तक 4.02 लाख से अधिक टैक्स ऑडिट रिपोर्ट सफलतापूर्वक अपलोड हो चुकी हैं, जिसमें 60,000 से अधिक रेजिस्ट्री उसी दिन जमा हुईं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि अधिकांश करदाता पहले ही अपने अनुपालन को पूरा कर चुके हैं, लेकिन शेष 30‑40 % को नई समय सीमा का लाभ मिलेगा।
अंत में, यह विस्तार आयकर अधिनियम की धारा 139(1) की परिभाषा के तहत ‘क्लॉज़ (a) ऑफ़ एक्स्प्लानेशन 2’ के तहत आयुक्तों को लागू होगा, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि यह केवल उन टैक्सपेयरों पर लागू है जिन्हें ऑडिट की आवश्यकता है। इस कदम से टैक्स प्रशासन का भरोसा भी बढ़ेगा, क्योंकि वास्तविक बाधाओं को समझते हुए नियामक ने लचीलापन दिखाया है।
rudraksh vashist
bhai ye to badi acchi baat hai! ab to thoda sa time mil gaya, bina tension ke form bharna padega. maine abhi tak ek bhi audit nahi kiya, ab to shant se kar lunga 😌