भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट ने एक बार फिर से अपनी ताकत और संघर्षशीलता का उदाहरण पेश किया जब उन्होंने जापान की चार बार की विश्व चैंपियन युई सुसाकी को पराजित किया। यह मुकाबला टोक्यो ओलंपिक के 50 किलो महिला फ्रीस्टाइल वर्ग का था, जिसमें विनेश ने अंतिम पांच सेकंड में तीन अनमोल अंक लेकर 3-2 से जीत दर्ज की। इस जीत के बाद विनेश फोगाट की आंखों में आंसू थे, यह संकेत था उनके संघर्ष और समर्पण का।
विनेश फोगाट का इस जीत तक का सफर आसान नहीं था। पिछले डेढ़ साल में उन्हें कुश्ती महासंघ की तरफ से कई अड़चनों का सामना करना पड़ा। विनेश का आरोप था कि महासंघ ने उनके सहयोगी स्टाफ के लिए फॉम में देरी करके उन्हें सेलेक्शन से बाहर रखने की कोशिश की। इस पर महासंघ ने दलील दी कि एप्लीकेशन देर से दी गई थी, लेकिन विनेश का कहना था कि यह सब जानबूझकर किया गया था।
इस सब के बीच, विनेश ने सोशल मीडिया पर भी अपनी व्यथा व्यक्त की, जहां उन्होंने लिखा कि 'ब्रज भूषण और उनके डमी संजय सिंह हर संभव प्रयास कर रहे हैं मुझे ओलंपिक खेलने से रोकने के'। यह संघर्ष बहुत ही मुश्किलभरा था क्योंकि विनेश ने यह भी आरोप लगाया था कि कुछ कोच उन्हे डोपिंग केस में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं।
विनेश फोगाट की कहानी केवल कुश्ती के मैदान पर ही नहीं रूकी, बल्कि उनके साहस और दृढ़ता की कहानी भी है। वे उन तीन प्रमुख पहलवानों में से एक थी जिन्होंने वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। जब सिंह को जमानत मिली, तो विनेश को महसूस हुआ कि उनके मौजूदा संघर्ष इसी विरोध का परिणाम हो सकते हैं।
विनेश ने जब खुद पूछा कि 'क्या हमें देश के लिए खेलने से पहले भी राजनीति का सामना करने पड़ेगा क्योंकि हम ने यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाई है?' यह विचारशीलता उनके चरित्र की गहराई को दर्शाती है।
विनेश फोगाट की इस ऐतिहासिक जीत ने न केवल उन्हें बल्कि पूरे देश को गर्व से भर दिया है। यह जीत भारतीय महिला कुश्ती में एक नया अध्याय जोड़ती है और विनेश की संघर्षपूर्ण यात्रा को सलाम करती है। भविष्य में वे और भी बड़ी सफलता प्राप्त करने की उम्मीद कर रही हैं, और उनकी यह विजय उनकी दृढ़ता और हिम्मत का प्रतीक बनती रहेगी।
अंततः विनेश फोगाट की यह यात्रा एक प्रेरणा है कि संघर्ष चाहे जितना भी कठिन क्यों ना हो, हार मानने से सफलता कभी नहीं मिलती। उनकी यह ऐतिहासिक जीत भारतीय कुश्ती की न केवल भविश् प्रकार की आधारशिला रखती है, बल्कि आने वाले नये खिलाड़ीयों के लिए भी मार्गदर्शन का स्रोत बनती है। जैसा उन्होंने खुद कहा था, 'मैं जीवन में कभी झुकूंगी नहीं, चाहे कोई कितना भी कोशिश क्यों न कर ले'।
आशा है कि विनेश की यह जीत आगे आने वाले ओलंपिक और अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में उन्हें और ज्यादा प्रोत्साहित करेगी और वह कई और नए कीर्तिमान स्थापित करेंगी।
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