सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत दे दी है। सिसोदिया को फरवरी 2023 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और मार्च 2023 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किया गया था। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि मुकदमे में देरी होने के कारण सिसोदिया को जमानत दी गई है।
कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया 17 महीनों से बिना मुकदमे के जेल में बंद हैं, जो कि उनके त्वरित मुकदमे के अधिकार का उल्लंघन है। पीठ ने इस बात पर भी जोर दिया कि बड़ी संख्या में गवाहों और दस्तावेजों के कारण निकट भविष्य में मुकदमा समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है। सिसोदिया को 10 लाख रुपए के बेल बॉण्ड भरने, पासपोर्ट जमा करने और हर सोमवार को पुलिस स्टेशन में हाजिरी देने जैसी शर्तों के साथ जमानत दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने 'जमानत नियम है, जेल अपवाद' के सिद्धांत को दुहराते हुए सीबीआई और ईडी के समान बेल शर्तों के अनुरोध को खारिज कर दिया। यह फैसला दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े लंबी कानूनी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। आप नेता संजय सिंह और राघव चड्ढा ने इसे सत्य की जीत बताते हुए खुशी जताई और अन्य आप नेताओं, जिनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी शामिल हैं, की रिहाई की उम्मीद जताई है।
संसद और कानून विशेषज्ञों का मानना है कि कोर्ट का यह फैसला मानवाधिकारों और न्यायिक प्रक्रियाओं के महत्व को दर्शाता है। यह इस बात पर भी जोर देता है कि किसी भी व्यक्ति को लंबे समय तक बिना किसी मुकदमे के जेल में नहीं रखा जाना चाहिए।
मनीष सिसोदिया की रिहाई के बाद अब सभी की निगाहें आगे होने वाली कानूनी प्रक्रियाओं और इस केस के भविष्य पर टिकी हुई हैं। इस केस के साथ ही अन्य नेताओं के मामलों में भी कोर्ट का फैसला अहम भूमिका निभाएगा।
सिसोदिया के मामले में अदालत ने बोला कि बेल एक अधिकार है और जेल अपवाद। बड़ा सवाल यह है कि क्या यह सिद्धांत और मामलों पर भी लागू होगा? दिल्ली शराब नीति घोटाले में अब तक की जांच और कोर्ट का यह फैसला निश्चित रूप से अन्य मामलों पर भी प्रभाव डाल सकता है।
जमानत मिलने के बाद सिसोदिया के परिवारजनों और समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। यह देखना होगा कि आगे की कानूनी लड़ाई में और कौन-कौन से कदम उठाए जाते हैं और इससे जुड़े अन्य मामलों में क्या मोड़ आता है।
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