पाकिस्तान की धरती पर हिन्दुस्तान का ब्रह्मोस मिसाइल जमकर गरजा। ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की रफ्तार और सटीकता ने पाकिस्तानी सेना की रातों की नींद उड़ा दी। इसके बाद अब BrahMos मिसाइल की जबरदस्त डिमांड उठने लगी है। खबर है कि भारतीय वायुसेना और नौसेना मिलकर सैकड़ों ब्रह्मोस मिसाइलें खरीदने जा रही हैं। रक्षा मंत्रालय का बड़ा फैसला इसी हफ्ते आने वाला है, जिसमें नौसेना के युद्धपोतों और एयरफोर्स के लिए अलग-अलग वर्जन खरीदे जाएंगे।
सूत्रों की मानें तो इस चार दिन चले ऑपरेशन में ब्रह्मोस का जमकर इस्तेमाल हुआ। पाक के एयरबेस, सेना की छावनी और आतंकी ठिकानों पर मिसाइलें दागी गईं। जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर पाकिस्तानी पंजाब में खलबली मचा दी। इतनी तेज और सटीक मार के बाद पाकिस्तान को अपनी मिलिट्री संसाधनों की सुरक्षा के लिए फौज को डिफेंसिव मोड में भेजना पड़ा।
भारतीय नौसेना अब अपनी वीयर क्लास वॉरशिप्स को ब्रह्मोस से लैस करेगी। वायुसेना भी रूसी मूल के अपने Su-30 MKI फाइटर जेट्स पर इन मिसाइलों को तैनात करेगी। तेज स्पीड और पिनपॉइंट एक्यूरेसी के चलते वायुसेना के पायलट्स ने इसकी तारीफों के पुल बांध दिए। ऐसे में पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम्स भी जवाब नहीं दे सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ऑपरेशन के बाद इसकी तारीफ की और कहा, ‘दुनिया ने देखा है कि हमारे देश के अपने हथियार कितने ताकतवर हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के एयर डिफेंस, ड्रोन और खासकर ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत ने खुद को साबित किया।’
ब्रह्मोस को दुनिया का सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल माना जाता है। 500 किलोमीटर की रेंज में यह टारगेट ढूंढ निकालता है और चूकता नहीं। इसकी तेज स्पीड इसे एयर डिफेंस यूनिट्स की पकड़ से बाहर बना देती है।
अब वायुसेना को इसी ब्रह्मोस का हल्का और नया वर्जन मिलने वाला है—BrahMos-NG। इसकी एक बड़ी खासियत है इसका साइज़ और वजन, जो पुराने एयर लॉन्च वर्जन के मुकाबले करीब आधा रह गया है। इसका मतलब है—सिर्फ Su-30MKIs नहीं, बल्कि बाकी दूसरे फाइटर जेट्स में भी इसे फिट किया जा सकता है।
लखनऊ में बना नया प्रोडक्शन प्लांट हर साल 80 से 100 ब्रह्मोस-NG बना सकता है। इससे भारतीय सेना के हथियार शस्त्रागार को नया मुकाबला मिलेगा। 'मेक इन इंडिया' का असली असर अब जंग में भी दिखने लगा है।
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