तेलुगु सिनेमा की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘गैंग्स ऑफ गोदावरी’ में प्रमुख भूमिका निभाने वाले विष्णुक सेन ने अपनी दमदार अदाकारी से दिल जीत लिया है। फिल्म का निर्देशन एक अनाम निर्देशक ने किया है और इसकी कहानी 1990 के दशक में गोदावरी जिले में आधारित है। फिल्म की कहानी एक युवा अनाथ रत्नाकर की यात्रा पर केंद्रित है, जो एक एमएलए बनने की संघर्षपूर्ण कहानी है।
‘गैंग्स ऑफ गोदावरी’ की कहानी रत्नाकर के बचपन से शुरू होती है, जब वह अपने माता-पिता को खो देता है और जीवित रहने के लिए छोटे-मोटे चोरी-चकारी का सहारा लेता है। रत्नाकर का जीवन तब बदलता है जब वह स्थानीय एमएलए दोरास्वामी राजू का दाहिना हाथ बन जाता है। विशेषकर, उसका रिश्ता रत्नमाला नामक एक वेश्यावृत्ति करने वाली स्त्री के साथ गहरा हो जाता है, जिसे अंजलि ने निभाया है।
रत्नाकर चुपके-चुपके राजनीतिक रैंक के ऊँचे सोपान चढ़ता है और इस दौरान वह कई चुनौतियों का सामना करता है। उसकी जिंदगी तब और मुश्किल हो जाती है जब वह अपने राजनीतिक विरोधी ननाजी की बेटी बूज्जी के प्रति प्रेम का अहसास करता है। ननाजी का किरदार नज़ार ने और बूज्जी का किरदार ने निभाया है।
फिल्म का प्रस्तुतीकरण और कहानी कहने का अंदाज उसे अन्य राजनीतिक थ्रिलर्स से अलग बनाता है। विष्णुक सेन की उत्कृष्ट अदाकारी एक बड़ी हाइलाइट है। फिल्म का संगीत और प्रमोशन्स ने पहले से ही दर्शकों के बीच काफी चर्चा पैदा की है।
‘गैंग्स ऑफ गोदावरी’ में कुछ पूर्वानुमानित तत्व हो सकते हैं, लेकिन इसके बावजूद, यह फिल्म राजनीतिक थ्रिलर के प्रशंसकों के लिए देखने योग्य है।
‘गैंग्स ऑफ गोदावरी’ की कहानी और पटकथा दोनों बहुत ही मजबूती के साथ बुनी गई हैं। रत्नाकर का किरदार, जो विष्णुक सेन ने निभाया है, हर दृश्य में अपनी छाप छोड़ता है। उनकी भावनात्मक अभिव्यक्ति और एक्शन सीन में उनका रंगीन प्रदर्शन काबिले तारीफ है। फिल्म का स्पीड और पेसिंग भी संतुलित और स्पष्ट होता है, जिससे दर्शक कभी भी उबाऊ महसूस नहीं करते।
फिल्म के दृश्य और गॉडावरी जिले की ग्रामीण पृष्ठभूमि का चित्रण वास्तव में प्रशंसनीय है, जिससे फिल्म को एक नया जीवन मिला है। गाँव के मेले, पात्रों के परिधान, और घरेलू नाटक के दृश्य सभी यथार्थवादी और जीवंत महसूस होते हैं।
रत्नमाला का किरदार, जिसे अंजलि ने निभाया है, भी ऐसी चरित्र है जो दर्शकों के दिल में उतर जाती है। अंजलि का भावनात्मक प्रदर्शन वास्तव में फिल्म को एक ऊँचा स्तरीय बनाता है।
निकटतम राजनीतिक दलों के बीच संघर्ष और रत्नाकर की बढ़ती यात्रा के दौरान आने वाली चुनौतियाँ, फिल्म को एक नया मोड़ देती हैं।
फिल्म के संवाद भी काफी प्रभावी और यादगार हैं। हर संवाद दर्शकों के मन पर छाप छोड़ता है और उनके दिल को छू जाता है। संगीत, जो फिल्म का एक और मुख्य अंश है, फिल्म की कहानी को और अधिक प्रभावी बनाता है।
कुल मिलाकर, 'गैंग्स ऑफ गोदावरी' एक ऐसी फिल्म है जिसे तेलुगु सिनेमा के प्रशंसक कतई नहीं मिस कर सकते। यह फिल्म न केवल राजनीतिक थ्रिलर के तत्वों को प्रस्तुत करती है, बल्कि इसमें एक भावनात्मक और गहन कहानी भी है जो दर्शकों को अंत तक जोड़े रखती है।
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